– दिशा रवि के बाद एडवोकेट निकिता जैकब और शांतनु के खिलाफ टूल किट मामले में गैर जमानती वारंट
नई दिल्ली, 15 फरवरी
देश में किसान आंदोलन के जरिए अशांति और अस्थिरता पैदा करने के लिए एक इंटरनेट दस्तावेज तैयार करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है। गूगल टूल किट (दस्तावेज) तैयार या संपादित करने के मामले में दिल्ली पुलिस ने गत शनिवार को बेंगलुरू की पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ्तार किया था।
जांच के दौरान मुंबई की वकील नितिका जैकब और शांतनु का नाम सामने आया था। इनके खिलाफ गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस ने गैर जमानती वारंट हासिल किया है। एडवोकेट निकिता जैकब ने ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया है। न्यायमूर्ति पीडी नाइक मामले को लेकर कल सुनवाई करेंगे।
निकिता जैकब और शांतनु के खिलाफ गैर जमानती वारंट
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच और साइबर सेल टूलकिट मामले की जांच कर रही है। जांच के दौरान यह पता चला कि निकिता जैकब ने टूलकिट में कुछ संपादित किया था और उसे आगे फॉरवर्ड किया था। मामले में निकिता जैकब की संलिप्तता सामने आने के बाद उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है।
दिशा रवि की हो चुकी है गिरफ्तारी
गौरतलब है कि टूलकिट मामले में साइबर सेल दिशा रवि को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। दिशा रवि एक पर्यावरण कार्यकर्ता है और टूल किट को एडिट करने और उसे फॉरवर्ड करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार करने के बाद रविवार को उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे पांच दिनों की पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया था।
दिशा रवि पर आरोप है कि उन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में बनाई गई टूल किट को संपादित किया और उसे सोशल मीडिया पर शेयर किया। यह वही टूल किट है, जिसे जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी ट्वीटर पर शेयर किया था। दिल्ली पुलिस ने इस किट को विद्रोह पैदा करने वाला दस्तावेज बताते हुए आईपीसी की धारा-124ए, 153ए, 153, 120बी के तहत अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया था।
क्या है टूल किट ?
टूल किट किसी भी मुद्दे को समझाने के लिए बनाया गया एक गूगल डॉक्यूमेंट होता है। टूल किट में किसी भी कार्यक्रम की रणनीति की रूपरेखा तैयार की जाती है। इसमें प्वाइंट दर प्वाइंट एक्शन लिखा होता है। इसका मुख्य रूप से इस्तेमाल सोशल मीडिया पर मुद्दे को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
ट्विटर पर मुहिम छेड़ना था मकसद
दिल्ली पुलिस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि खालिस्तानी संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जुड़े मो धालीवाल ने निकिता जैकब से संपर्क किया। इसके लिए कनाडा में ही रहने वाले पुनीत ने मदद की। इनका मक़सद था 26 जनवरी से पहले ट्विटर पर एक बड़ी मुहिम छेड़ना। रिपब्लिक डे से पहले इन सबकी एक ऑनलाइन मीटिंग भी हुई थी। इस मीटिंग में निकिता, धालीवाल के साथ दिशा भी शामिल हुई थीं। इनका मकसद किसानों में अफवाहें फैलाना था।
जांच जारी है….
दिल्ली पुलिस यह भी पता लगा रही है कि कही 26 जनवरी को ट्रेक्टर रैली के दौरान हुई किसान की मौत को पुलिस की गोली से हुई मौत दिखाने के पीछे भी इन्हीं का हाथ था या नहीं। दिशा रवि ग्रेटा को पिछले 3 सालों से जानती थी। दिल्ली पुलिस की टीम 11 तारीख को निकिता के घर गयी थी।
जहां उसके घर और कंप्यूटर की जांच की गई। उस समय निकिता ने पुलिस को सहयोग करने का वादा किया था लेकिन उसके बाद से ही वह भूमिगत हो गई है। जिसके बाद उसके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी करवाया है।
टूल किट मामले पर संयुक्त पुलिस आयुक्त साइबर सेल प्रेमनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि आनलाइन जांच की गई है। जांच में पर्याप्त सबूत मिलने के बाद इन्हें कोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार किया गया। किसानों का प्रदर्शन 27 नवंबर से हो रहा है।
दिशा ने निकिता और शांतनु के साथ मिलकर तैयार की टूल किट
संयुक्त पुलिस आयुक्त प्रेमनाथ ने बताया कि बेंगलुरु से 13 फरवरी को दिशा को गिरफ्तार किया गया और दिल्ली लाया गया। मेडिकल कराने के बाद दिशा को कोर्ट में पेश किया गया। निकिता जैकब और शांतनु नहीं मिल रहे हैं, इसलिए गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है, आगे की जांच जारी है।
उन्होंने कहा कि दिशा से पूछताछ में उसके फोन से महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। जानकारी से स्पष्ट हुआ कि दिशा अपने साथियों (निकिता और शांतनु) के साथ मिलकर टूलकिट गूगल डॉक्यूमेंट को बनाया और शेयर किया। दिशा ने टेलीग्राम के जरिए ही ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट भेजी थी।
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