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July 27, 2024
हेल्थ

ब्लड प्रेशर : खतरनाक बीमारी का कारण

वर्तमान समय में खराब जीवन-शैली और  खराब खानपान के कारण तनाव होना आम सी बात हो गई है और इस तनाव के कारण ब्लड प्रेशर होना आम बीमारी हो गई है। ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर भी कहते हैं, क्योंकि इस बीमारी के लक्षण देर से पता चलते है। व्यक्ति के शरीर मे जो रक्त होता है वह लगातार नसों में दौड़ता रहता है। इसी रक्त से शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन, ग्लूकोज, विटामिन्स, मिनरल्स पहुंचते हैं।  ब्लड प्रेशर उसे कहते है जो रक्त प्रवाह की वजह से नसों की दीवारों पर पड़ता है।

ब्लड प्रेशर बीमारी

ये ब्लड प्रेशर इस बात पर निर्भर करता है कि हृदय कितनी गति से रक्त को पंप कर रहा है और रक्त को नसों में प्रवाहित होने में कितने अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है। प्रत्‍येक व्‍यक्ति के ब्‍लड प्रेशर में दो प्रकार होते हैं, पहली सिस्टोलिक और दूसरी डायस्टोलिक। इसे उच्‍चतम रीडिंग और निम्‍नतम रीडिंग भी कहा जाता है। किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के सामान्य रक्‍तचाप में उच्‍चतम रीडिंग यानी सिस्टोलिक 100 से 140 के बीच होती है और डायस्‍टोलिक यानी निचली रीडिंग 60 से 90 के बीच होती है।


हाई ब्लड प्रेशर होने के कारण


पहले के समय में ब्लड प्रेशर की बीमारी बड़े-बुजुर्गों को होती थी, लेकिन आज के समय में यह बीमारी युवाओं को भी हो रही हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार ‘जब धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ता है तो इसे कंट्रोल करने के लिए दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसी वजह से हाई ब्लड प्रेशर या फिर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है।’ अगर लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर रहे तो यह खतरनाक बीमारियों का भी कारण बन जाता है।

इसके कारण दिल की बीमारी, मल्टीपल ऑर्गन फेलियर और ब्रेन स्ट्रोक जैसी जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती है। समय पर हाई ब्लड प्रेशर की पहचान करना बेहद ही महत्वपूर्ण हो जाता है। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने कई कारण होते है। एल्कोहल का अधिक सेवन करना, नींद की समस्या होना, किडनी की बीमारी होना, थायरॉइड आदि की समस्या होने के कारण हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है। इसके अलावा यह बीमारी अनुवांशिक रूप से भी लोगों में होती है। उम्र के बढ़ने पर, मोटापे की समस्या होने पर, डायबिटीज या फिर अव्यवस्थित जीवन-शैली होने के कारण भी हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है।


हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण


हाई ब्लड प्रेशर में शुरुआत में लक्षण नहीं दिखते, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, वैसे- वैसे यह दिल, दिमाग, आंख और किडनी पर इसका असर दिखने लगता है। इसके कारण चक्कर आना, छाती में तेज दर्द होना, सिर दर्द ,आंखों की रोशनी धुंधली होना, सांस फूलने और नाक से खून आने जैसी समस्याएं होने लगती है। इसी के साथ हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को हड्डियों की बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण भी हो सकते है।जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर होता है, उन्हें तुरंत ही डॉक्टर  की सलाह लेनी चाहिए। इसी के साथ ही अपनी जीवन-शैली में सुधार लाना चाहिए और खानपान में बदलाव करना चाहिए जिससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को नियंत्रण में रखा जा सकता है। 


लो ब्लड प्रेशर से लाखों लोग परेशान


लो ब्लड प्रेशर को हाइपोटेंशन भी कहते है। यह तब होता है जब रक्तचाप सामान्य से काफी कम हो जाता है। इसका अर्थ यह है कि पर्याप्त मात्रा में रक्त हृदय, मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों में नहीं पहुंच पाता। लो ब्लड प्रेशर से हार्ट अटैक और मल्टीपल ऑर्गन फेलियर जैसी जानलेवा स्थितियां पैदा हो सकती है। हाई ब्लड प्रेशर की तरह लो ब्लड प्रेशर की समस्या से भी लाखों लोग परेशान हैं। इसके लक्षण काफी साधारण होते है। जिनका समय रहकर पता नही चल पाता। ऐसे भी मामले आये है, जिनमें ब्लड प्रेशर कम होने पर कोई लक्षण नहीं होते हैं। ऐसे में इसे हानिकारक नहीं कहा जा सकता है। लो ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड प्रेशर होने का जोखिम उम्र बढ़ने के साथ-साथ बढ़ता रहता है। 


लो ब्लड प्रेशर के कारण


लो ब्लड प्रेशर की समस्या होने के कई कारण होते है। अत्याधिक तनाव, डीहाइड्रेशन, खराब जीवनशैली और खराब खानपान, दवाइयों का अधिक प्रयोग करना,बार-बार सिर चकराना, शरीर का ठंडा पड़ना, सूखी त्वचा, ध्यान केंद्रित ना कर पाना, भ्रम की स्थिति में रहना  इसके अलावा यह बीमारी अनुवांशिक रूप से भी लोगों में होती है, सर्जरी और गंभीर चोट लगने के कारण, आदि समस्याएं भी हो सकती हैं जिसके कारण ब्लड प्रेशर लो हो सकता है। खाने में अंडा, मीट, दाल, बीन्स, फल, पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए।

इसके अलावा नमक का उपयोग करना चाहिए क्योंकि नमक ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है।अगर ब्लड प्रेशर लो है, और इसके लक्षण या तो नही है या कम है तो इलाज की आमतौर पर जरुरत नहीं पड़ती है। यदि लक्षण हैं तो उपचार उसके होने के कारणों पर निर्भर करता है। जैसे कि लो ब्लड प्रेशर अगर दवाओं के लेने के कारण होता है, तो दवा बदलने या रोकने या खुराक कम करने से उसका उपचार किया जाता है।

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