- अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैश ने जून से शुरू होने वाली तिमाही के जीडीपी अनुमान को कम किया
नई दिल्ली: पिछले साल कोरोना संक्रमण के पहले हमले और उसके बाद लगे लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को बेहाल कर दिया था। अब इस साल शुरू हुई कोरोना की दूसरी लहर भी देश की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ती हुई नजर आने लगी है। अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैश ने 1 अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान 10.9 फीसदी से घटाकर 10.5 फीसदी कर दिया है।
इसके अलावा शेयर बाजार के मार्केट कैप और बढ़त के अनुमानों को भी संशोधित कर दिया गया है। ब्रोकरेज फर्म का अनुमान है कि कोरोना के असर के कारण जून तिमाही की वृद्धि भी प्रभावित होगी। गोल्डमैन सैश ने इसके साथ ही 2021 में आमदनी में वृद्धि के अनुमान को 27 फीसदी से घटाकर 24 फीसदी कर दिया है।
अपने आकलन में ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि कोरोना संकट के कारण जुलाई तक का समय कठिन हो सकता है, लेकिन जुलाई से पाबंदियों में ढील दी जा सकती है। इसके साथ ही टीकाकरण की रफ्तार में भी तेजी आएगी जिसके कारण अर्थव्यवस्था में एक बार फिर सुधार का रुख दिखाई देने लगेगा।
शेयर बाजार में हो रहा है काफी नुक्सान
गोल्डमैन सैश के अर्थशास्त्रियों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना महामारी के ऑल टाइम हाई पर पहुंच जाने और कई राज्यों में सख्त पाबंदियां लगाए जाने के कारण विकास दर को लेकर आशंकाएं जताई जा रही हैं। इसके साथ ही निवेशकों में अर्थव्यवस्था की स्थिति और आमदनी में सुधार होने की बात को लेकर डर बैठ गया है। गोल्डमैन सैश की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के कारण जैसे हालात बने हैं, उससे शेयर बाजारों में भी भरोसे का संकट दिखने लगा है। भरोसे के संकट की वजह से ही निफ्टी में सोमवार को 3.5 फीसदी का नुकसान हो गया।
रिपोर्ट में इस ब्रोकरेज फर्म ने 2021 की दूसरी यानी जून से शुरू होने वाली तिमाही के जीडीपी के अनुमान को भी कम किया है। लेकिन इसके लिए कोई फर्म की ओर से कोई सपोर्टिंग डाटा नहीं दिया गया है। इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अर्थव्यवस्था को लगने वाले इन झटकों का असर मामूली होना चाहिए, क्योंकि कोरोना संक्रमण के कारण अंकुश कुछ खास क्षेत्रों में ही लगाए गए हैं।
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