प्रयागराज

IIIT Allahabad में नई शिक्षा नीति लागू: प्रो. नागभूषण

प्रयागराज: देश की नई शिक्षा नीति में शामिल कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं को भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान IIIT Allahabad ने तीन साल पूर्व ही सफलतापूर्वक क्रियान्वयन कर दिया है। संस्थान ने पुराने सिस्टम को बदलते हुए Choice and Credit Link Continuous Assessment and Award अध्यादेश लागू किया है।

नई शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए IIIT Allahabad के निदेशक प्रो.पी.नागभूषण ने शुक्रवार को बताया कि संस्थान में 2018 में ही छात्र-छात्राओं को सिर्फ डिग्री हासिल करने की बजाय उन्हें सीखने को बढ़ावा देने के लिए संस्थान के पारम्परिक ढांचे को परिवर्तित करते हुए वर्ष पर्यन्त मूल्यांकन की प्रक्रिया लागू कर दी गयी। जिसके काफी सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं।

IIIT Allahabad

उन्होंने नई शिक्षा नीति का नवनिर्माण करने वाला एक ठोस कदम बताया। कहा कि हमारे यहां हमेशा से कैसे अच्छे अंक प्राप्त करें इस पर ध्यान दिया जाता रहा है। जिसको हमने IIIT Allahabad में समाप्त करके सीखने पर बल दिया है।

IIIT में वर्तमान में लागू सिस्टम के अनुसार अब छात्र यदि चार साल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ना चाहता तो उसे वर्ष के अनुसार प्रमाण-पत्र, डिप्लोमा व डिग्री प्राप्त कर सकता है। यह समस्त परिवर्तन देश और समाज की मांग को देखते हुए अच्छे विद्यार्थी तैयार करना हैं।

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क्या क्या हुआ है बदलाव ?

प्रो. नागभूषण ने बताया कि नई शिक्षा नीति के अनुसार अन्य मानविकी विषयों को भी संस्थान ने तीन साल पूर्व ही लागू कर दिया है। जिसके अंतर्गत अब छात्रों को उनके पसंद के अनुसार अन्य विषयों को एड ऑन में चुन सकता है।

जिसमें गांधीवाद, अध्यात्मिकता संस्कृत, जर्मन, अंग्रेजी, योग, तैराकी व प्रबंधन एवं भौतिक विज्ञान के विभिन्न पहलुओं का शामिल किया गया हैं। निदेशक ने छात्रों को अब दो प्रकार के फंडामेन्टल असेसमेन्ट और सममेटिव असेसमेन्ट से गुजरना होता हैं, जिसमें रटने की बजाय सीखने पर बल दिया गया हैं।

डॉ. नीतेश पुरोहित, पूर्व अध्यक्ष, अध्यादेश ड्राफ्टिंग कमेटी ने बताया कि अब लागू प्रक्रिया में यदि विद्यार्थी चाहे तो IT से इलेक्ट्रानिक कम्युनिकेशन में अपने पसंद के अनुसार चुन सकता है। जिसका जिक्र नई शिक्षा नीति में किया गया हैं। अब एड आन विषयों को नई शिक्षा नीति के अनुसार मान्यता मिली है। अभी इनमे और नए विषयों को शामिल किया जायेगा। अब इन्हें सीनेट के सहमति आसानी से मिल सकती हैं।

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