नई दिल्ली: ऑनलाइन एवं ऑफलाइन परीक्षा को लेकर यूजीसी के साथ छात्रों, शिक्षकों के मध्य विवाद गहराता जा रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को आम आदमी पार्टी समर्थित छात्र संगठन छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) ने यूजीसी की प्रस्तावित परीक्षाओं का विरोध जताते हुए राष्ट्रव्यापी भूख हड़ताल की। इस भूख हड़ताल में सीवाईएसएस के बैनर तले देश भर के 15 राज्यों से अधिक छात्र संगठनों ने भाग लेकर ऑनलाइन परीक्षा का विरोध किया।
पंजाब विश्वविद्यालय में अनशन कर रहे सीवाईएसएस के स्टेट महासचिव छात्र परमिंदर ने कहा कि देश आज कोरोना महामारी से गुजर रहा है। अधिकांश छात्रों के पास ऑनलाइन/ऑफलाइन परीक्षा के लिए बुनियादी आवश्यकताएं जैसे लैपटॉप, कंप्यूटर, इंटरनेट आदि नहीं हैं। आज कुलपति से लेकर शिक्षामंत्री कोई भी छात्रों की समस्याओं को सुनने के लिए तैयार नहीं है। इस कारण छात्र मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अनशनरत छात्रों की समस्याओं को अवगत कराते हुए सीवाईएसएस के राज्य महासचिव अंकित परिहार ने कहा कि यूजीसी की गाइडलाइंस सिर्फ एक तुगलकी फरमान है। दिल्ली राज्य की तर्ज पर प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि वो देश के सभी विश्वविद्यालयों में प्रस्तावित ऑनलाइन/ऑफलाइन परीक्षा को रद्द कर सभी छात्रों को प्रमोट करने का निर्देश जारी करे।
ऑनलाइन परीक्षा सामाजिक न्याय के विरुद्ध है
जम्मू कश्मीर से सीवाईएसएस की मीडिया प्रभारी शिवानी सिंह ने कहा कि ऑनलाइन परीक्षा सामाजिक न्याय के विरुद्ध है। जम्मू कश्मीर में 2जी स्पीड के साथ इंटरनेट व्यवस्था है और ऑनलाइन परीक्षा के लिए छात्रों को कम से कम 4जी स्पीड चाहिए। उन्होंने कहा कि असम, बिहार जैसे देश के कई क्षेत्र बाढ़ग्रस्त हैं जहां छात्र बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। छात्र पहले से ही कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं और ऊपर से परीक्षा के बोझ को लेकर काफी तनाव में हैं।
सीवाईएसएस संगठन के नेशनल कॉर्डिनेटर अनुरागेन्द्र निगम ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार छात्रों की मांगों को स्वीकार कर, यूजीसी द्वारा प्रस्तावित ऑनलाइन/ऑफलाइन परीक्षा को रद्द नहीं करती, संगठन अपने विरोध प्रदर्शन को इसी तरह जारी रखकर, इसे देश के कोने-कोने में लेकर जाएगा।
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