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जाते-जाते ग्राम प्रधान के कुबेर का खजाना बन्द कर गया 2020

फर्रुखाबाद: पिछले 5 साल से विकास कार्यों के नाम पर कुबेर का खजाना खाली कर रहे ग्राम प्रधान के लिए 2020 जाते-जाते अशुभ संदेश दे गया है। शुक्रवार आधी रात से प्रधानों के खाते पूरी तरह से सीज कर दिए जाएंगे और 2021 में उनके लिए कुबेर के खजाने के दरवाजे पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। 

बताते चलें कि, पिछले 5 साल से चुनाव जीतकर ग्राम प्रधान बने लोगों ने विकास के नाम पर जमकर लूटपाट की। कहीं इंदिरा आवास के नाम पर कमाई की गई। तो कहीं प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं के नाम पर प्रधानों ने जमकर लूट खसूट की। ग्राम प्रधानों को नहीं मालूम था की वर्ष 2020 जाते-जाते उन्हें रुला जाएगा और उनके खाते यीशु के जन्मदिन पर ही बंद कर दिए जाएंगे। एका-एक आए शासन से निर्देश के बाद यहां जिले की 512 ग्राम सभाओं के खाते आज रात 12:00 बजे से बंद कर दिए जाएंगे।अब ग्राम प्रधान इन खातों से लेन-देन नहीं कर सकेंगे। 

शासन ने ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी अब प्रशासक के रूप में एडीओ पंचायत को सौंपी है। एडीओ पंचायत कल से इनके खातों पर काले नाग की तरह कुंडली मारकर बैठ जाएंगे। यीशु के जन्म पर ग्राम प्रधानों के खातों का संचालन आज से बंद कर दिया गया है। 

ग्राम प्रधान

आज रात से लग जायेगी खाता संचालन पर रोक

मुख्य विकास अधिकारी डॉ राजेंद्र पेशिया ने बताया कि अब ग्राम प्रधान आज 12:00 बजे रात से पूर्व प्रधान हो जाएंगे। इनके खातों का संचालन पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ 5 साल से सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे ग्राम प्रधानों ने आने वाले पंचायत चुनाव के लिए अभी से राजनीति की सियासी चौसर पर गोटियां बिछाने शुरू कर दी है। 

उन्होंने अपने अपने पक्ष के लोगों को ग्राम सभा में उतार दिया है। जो कि मतदाताओं का मन टटोल रहे हैं ।मजे की बात यह है कि 20 20 जाते-जाते ग्राम प्रधानों के लिए खुला कुबेर के खजाने का दरवाजा हमेशा हमेशा के लिए बंद कर गया है। फिलहाल ग्राम प्रधानों को नई साल का आगमन और पुराने की विदाई मुफलिसी में कटेगी। 

कुल मिलाकर शासन से आए आदेश के बाद ग्राम प्रधान अवकाश होने के बाद भी आज भी अपने अपने खातों से पैसे निकालने के चक्कर में जोड़-तोड़ कर रहे हैं लेकिन जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह की सक्रियता के चलते उनकी हर चाल नाकाम हो रही है। पंचायत चुनाव की घोषणा से पहले भूतपूर्व हुए ग्राम प्रधानो ने गांवों में जोड़-तोड़ व काट छांट की राजनीति शुरू कर दी है।

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