दांत स्वस्थ तो तन स्वस्थ! विश्व ओरल हेल्थ दिवस 20 मार्च पर दंत चिकित्सक लोगों को यही मंत्र दे रहे हैं। उनका कहना है कि दांतों की सही प्रकार से देखभाल लोगों के लिए लाभप्रद है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रतिवर्ष 20 मार्च को विश्व ओरल हेल्थ दिवस मनाया जाता है। अच्छे ओरल हेल्थ के महत्त्व को बताने और सामान्य स्वास्थ्य व तंदुरुस्ती बनाए रखने में इसका खासा महत्व है।
जिला अस्पताल के वरिष्ठ दंत चिकित्सक डाॅ. सौरभ मिश्रा का कहना है कि मुंह की सफाई अन्य अंगों की सफाई की तरह ही बहुत जरूरी है। अगर हम दांतों और मसूड़ों की सफाई अच्छी तरह से नहीं करते हैं, तो इससे कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। दांतों की सफाई ना करने से मुंह से बदबू आना। मसूड़ों में दर्द होना। कैविटी जैसी कई अन्य समस्याएं होने लगती हैं। ध्यान नहीं देने पर कई और भी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि दांतों या मुंह की सफाई और हाइजीन को लेकर काफी कुछ कहा जाता रहा है।
ओरल हेल्थ के लिए खान पान के तरीकों पर ध्यान देना है आवश्यक
उन्होंने बताया कि जब हमारे खानपान के तौर-तरीकों और खाद्य पदार्थों के स्वरूप में बहुत परिवर्तन आ गया है। ऐसे में ओरल हेल्थ को लेकर सजग रहना आवश्यक है। ओरल हेल्थ से पूरे शरीर का स्वास्थ्य जुड़ा हुआ है। अक्सर रात का खाना खाने के बाद हम ब्रश नहीं करते हैं। इस वजह से हमारे दांतों के बीच खाना फंस जाता है। अगर आपको भी ऐसी आदत है, तो ये एक गंभीर रूप धारण कर सकता है।
ओरल कैंसर का कारण बन रही गंदगीडाॅ. सौरभ का कहना है कि दांतों के बीच लंबे समय तक खाना फंसे होने की वजह से बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं। दांतों में मौजूद ये बैक्टीरिया भोजन के कणों को सड़ाकर सल्फरडाइऑक्साइड पैदा करता है। इस वजह से हमारे दांतों में हैलिटोसिस की समस्या हो सकती है ओरल कैंसर का ज्यादा खतरा तंबाकू व सिगरेट पीने वालों को जल्दी होता है। ब्रश करते समय दांतों के एक-एक हिस्से की सफाई खास तौर पर करनी चाहिए।
मीठा खाना अक्सर दांतों में सड़न या कैविटीज का कारण बन सकता है। डायबिटीज की वजह से भी दांतों में तकलीफ पैदा हो सकती है। यह तकलीफ आगे जाकर अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। मसूड़ों में होने वाली समस्या या बीमारियां अक्सर डायबिटीज के फैलाव की गति को और बढ़ा देती हैं। उन्होंने बताया कि शोध बताते हैं कि ऐसे लोग जिनके मसूढ़ों या दांतों में समस्या बनी रहती है उन लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में हृदय रोग होने की आशंका भी बढ़ जाती है। यह खतरा हृदयघात में भी बदल सकता है।
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