नई दिल्ली: यूजीसी ने दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार की ओर से फाइनल ईयर की परीक्षा निरस्त करने के फैसले का विरोध किया है। यूजीसी ने कहा है कि दोनों सरकारें विरोध वाले फैसले ले रही हैं। एक तरफ वो फाइनल ईयर की परीक्षा निरस्त करने का आदेश देती है और दूसरी तरफ नए एकेडमिक सत्र के शुरू होने की बात करती है। इस मामले पर कल यानि 14 अगस्त को सुनवाई होगी।
यूजीसी के एजुकेशन अफसर डॉ. निखिल कुमार की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि फाइनल ईयर या सेमेस्टर की परीक्षाएं निरस्त करने का आदेश देना यूजीसी के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है और छात्रों के हित में फाइनल ईयर की परीक्षाएं होनी चाहिए। हलफनामे में कहा गया है कि यूजीसी को भी छात्रों की समस्याओं की चिंता है और फाइनल ईयर की परीक्षाएं लेने के लिए पर्याप्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
परीक्षा निरस्त करने का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली 10 अगस्त को यूजीसी को दिल्ली सरकार और महाराष्ट्र सरकार के उस आदेश पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने अपने-अपने राज्य में परीक्षा न कराने की बात कही गई है। सुनवाई के दौरान यूजीसी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार को फाइनल ईयर की परीक्षा निरस्त करने का अधिकार नहीं है। ये अधिकार केवल यूजीसी को है। उन्होंने कहा था कि अगर राज्य सरकारें अपने से फैसला करने लगेंगी तो छात्रों की डिग्रियों को यूजीसी मान्यता नहीं देगी।
महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने राज्य में कोई परीक्षा आयोजित नहीं करने का फैसला किया है। पिछली 31 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करतचे हुए महाराष्ट्र में महाराष्ट्र राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार की तरफ से लिए गए फैसले की कॉपी रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया है। इस मामले पर 10 अगस्त को सुनवाई होगी।
महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि यूजीसी के 6 जुलाई के दिशा-निर्देश के बाद राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने 13 जुलाई को बैठक की थी। उस बैठक में राज्य में कोई परीक्षा आयोजित नहीं करने का फैसला किया गया।
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