विचार

डॉ. कलाम का आत्मनिर्भर भारत

apz abdul kalam

भारत की बेमिसाल शख़्सियत डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम खुली आंखों से सपने देखने और उन्हें पूरा करने में यकीन रखते थे। उनका सपना भारत को 2020 तक आर्थिक रूप से समृद्ध देश बनाना था। जिसे उन्होंने शिद्दत से पूरा करने का प्रयास किया। लेकिन असमय ही 27 जुलाई सन् 2015 को मेघालय के शिलांग में अपनी सबसे पसन्दीदा जगह ’बच्चों के बीच, बच्चों को सम्बोधित करते हुए’ दुनिया को अलविदा कह गए। उनके जीवन के वो आखिरी पल देश की यादगार धरोहर की तरह कैमरे में कैद हो गए। डॉ. कलाम साहब अपने सपने को देश के करोड़ों बच्चों की आंखों में बसा गए, जिसे वो पूरा होते देखना चाहते थे।

सन् 1980 में जब रोहिणी उपग्रह भारत का पहला स्वदेश-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बना, डॉ. कलाम बेहद खुश थे। यह देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मजबूत कदम था। भारत अन्तरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। डॉ. कलाम भारत को टेक्नोलाॅजी की दुनिया में आत्मनिर्भर बनाने की इबारत लिखने की तैयारियों में जुट गए। डॉ. कलाम ने स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया। भारतीय तकनीक से पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइलों को बनाया। भारत की सरज़मीं से बेइन्तेहां मोहब्बत करने वाले भारत के इस होनहार बेटे ने भारत की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए कई सफल प्रयोग किए।

वतनपरस्ती का जज़्बा

डॉ. कलाम जानते थे कि भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। इस बात का जिक्र वे अपनी आत्मकथा में करते हैं, हैदराबाद में अपनी मेहमान नवाज़ी से खुश होकर डॉ. कलाम लिखते हैं कि ’मैं जानता हूं कि बहुत से साइंस के महारथी और इंजीनियर मौका मिलते ही वतन छोड़ जाते हैं। दूसरे मुल्कों में चले जाते हैं। ज्यादा रुपये कमाने के लिए ज्यादा आमदनी के लिए लेकिन वहां रहकर ये आदर ये इज्जत क्या कमा सकते हैं, जो उन्हें अपने वतन से मिलती है।’ वतनपरस्ती का कमाल का जज़्बा था डॉ. कलाम में।

लगातार कई वर्षों के परिश्रम के परिणामस्वरूप जब ’अग्नि’ मिसाइल का सफल परीक्षण हुआ, डॉ. कलाम कहते हैं कि ’अग्नि को इस नज़र से मत देखो, ये सिर्फ ऊपर उठने का साधन नहीं है, न शक्ति की नुमाइश है, अग्नि एक लौ है जो हर हिन्दुस्तानी के दिलों में जल रही है। इसे मिसाइल मत समझो! यह कौम के माथे पर चमकता हुआ आग का सुनहरा तिलक है।’ डॉ. कलाम ने एक के बाद एक कई सशक्त सुरक्षा के हथियारों मिसाइल से लेकर परमाणु परीक्षण तक में भारत को दुनिया के परमाणु सम्पन्न देशों की श्रेणी में लाने का सफल प्रयास किया। लेकिन उनके स्वभाव की सौम्यता इन हथियारों को आधुनिक तकनीक के साथ विकास से जोड़कर देखती है।

देशभक्ति का जूनून

भारत की शान्ति प्रियता हमले में नहीं रक्षा में यकीन रखती है। भारत हमेशा से शान्तिप्रिय देश है, दुनिया को यह बेहतर तरीके से समझाने का काम किया कलाम साहब ने। डॉ. कलाम का कहना था कि ’मेरे ख्याल से मेरे वतन के नौजवानों को एक साफ नजरिये और दिशा की जरूरत है। वो भारत को वैश्विक परिदृश्य में विकसित देशों की श्रेणी में देखना चाहते थे। वो कहते थे ’काश! हर हिन्दुस्तानी के दिल में जलती हुई लौ को पंख लग जाए और उस लौ की परवाज़ से सारा आसमान रौशन हो जाए।’

भारत रत्न डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम भारत की बेशकीमती विरासत हैं। एक साधारण से परिवार में जन्मे कलाम साहब ने राष्ट्रपति बनने तक का सफर तय किया। उनकी सादगी, मितव्ययिता और ईमानदारी आज भी एक मिसाल है। जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और सीख बनेगी। उन्होंने देश की सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर मजबूती बनाते हुए विकास के माॅडल का खाका तैयार किया। जिसका नेतृत्व देश के युवाओं को सौंपने का पक्ष लिया।

महत्वपूर्ण योगदान

डॉ. कलाम की पुस्तकें- इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ाॅर द न्यू मिलेनियम, माई जर्नी तथा इग्नाटिड माइंड्स-अनलीशिंग द पाॅवर विदिन इंडिया, इण्डिया-माय ड्रीम, विंग्स ऑफ फायर, एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन: टेक्नालाॅजी फार सोसायटल ट्रांसफॉरमेशन आदि भारत की धरोहर हैं। दर्जनों किताबें लिखने वाले डॉ. कलाम अपने आपको हमेशा लर्नर ही कहते रहे। डॉ. कलाम के विचार-संदेश इन पुस्तकों के माध्यम से हमेशा देश के युवाओं को प्रेरित करेंगे। डॉ. कलाम ने सितम्बर 1985 में त्रिशूल, फरवरी 1988 में पृथ्वी, मई 1989 में रूस के साथ मिलकर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उनके इस जज़्बे को सलाम करते हुए देश उन्हें मिसाइल मैन के नाम से सम्बोधित करता है। डॉ. कलाम को 1981 में भारत सरकार ने पद्म भूषण, 1990 में पदम् विभूषण और 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया। डॉ. कलाम का मिशन 2020 भारत को आत्मनिर्भर देश के तौर पर देखना था। जिसे भारत सरकार और भारत के निर्भीक नेतृत्व वाले भारतीयों द्वारा जरूर पूरा किया जाएगा।

-डॉ. नाज़ परवीन (लेखिका एडवोकेट हैं।)

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