ये हैं दिल्ली के 7 बेहतरीन स्ट्रीट फूड कार्नर
बात स्ट्रीट फूड की हो और भला दिल्ली का नाम न आये ऐसा तो हो ही नहीं सकता। दुनिया भर में अपने बेहतरीन स्ट्रीट फूड के लिए जानी जाने वाली दिल्ली की सड़कें आपको हमेशा से ही अपनी तरफ आकर्षित करती रहीं हैं।
बीतें कुछ सालों में यहां के स्ट्रीट फूड ने सिर्फ भारतीय ही नही बल्कि विदेशी ज़ायकों को भी अपने मेन्यू में शामिल किया है। और इन विदेशी ज़ायकों में जब देशी तड़का लगता है तो फिर क्या ही कहने। तो आज हम आपको राजधानी की कुछ बेहतरीन स्ट्रीट फूड स्टाल के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आपको भी जरूर जाना चाहिए। तो चलिए शुरू करते हैं।

डोलमा आंटी के मोमोस
दिल्ली में रहते हों और भला मोमोज नही पसंद तो क्या ख़ाक दिल्ली में रहते हों। ऐसा माना गया है कि मोमोज की वैराइटी और क्वालिटी दोनो ही मामले में दिल्ली के मोमोज का कोई मुकाबला ही नही हैं। वैसे तो दिल्ली में बहुत से मोमोज की दुकान फेमस है लेकिन इन सब मे एक बेस्ट दुकान का रिव्यु हम आपको देंगे।
दिल्ली के लाजपत नगर के फेज टू में डोलमा आंटी मोमोज की दुकान स्थित है। जहां के मोमोज के तो क्या ही कहने। अगर आपने अभी तक लुफ्त नही उठाया तो आज ही जाइये। पूरी दिल्ली में इनके तीन आउटलेट्स हैं –
- लाजपत नगर – ब्लॉक ए, लाजपत नगर II, लाजपत नगर, नई दिल्ली, दिल्ली
- कमला नगर – दुकान नंबर 3 यूबी नियर, बंगला रोड, कमला नगर, दिल्ली, 110007
- फ्रेंड्स कॉलोनी– 74-76, ब्लॉक ए, फ्रेंड्स; कॉलोनी ईस्ट फ्रेंड्स कॉलोनी, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नई दिल्ली।

गुरु चेला मूंग दाल का पिज़्ज़ा
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के स्किल इंडिया से प्रेरित होकर कुलदीप मदान नाम के शख्स ने ITO में एक नए स्टाइल के पिज़्ज़ा का अविष्कार किया जिसका बेस मूंग दाल का चीला हैं। विदेशी जयको में ऐसा देशी तड़का लोगो को काफी पसंद आ रहा है। आप भी एक बार जरूर आएं यहां का पिज़्ज़ा टेस्ट करनें के लिए।
- पता – विष्णु दिगंबर मार्ग, आईटीओ, नई दिल्ली
- समय – शाम 4 बजे से 10 बजे रात तक

लोटन जी छोले कुलचे वाले
साल 1918 से चावड़ी बाजार की तंग गलियों में दिल्ली की सबसे पुरानी छोले कुलचे की दुकान “लोटन जी छोले कुलचे वाले” का नाम यहां लगभग हर कोई जानता हैं। यहां के सुपर स्पाइसी छोले कुलचे आपने नही खाये तो आपने ज़िन्दगी में कुछ नही खाया। यहां के छोले कुल्चो के स्वाद में 100 साल का इतिहास छुपा हैं। इस स्वाद को लेने के लिए आपको अपने सुबह की नींद जरूर ख़राब करनी पड़ेगी।
- पता – चावड़ी बाजार, पुरानी दिल्ली
- समय – सुबह 7 बजे से 10 बजे तक

कंप्यूटराइज्ड छोले कुलचे (लक्ष्मी नगर)
दिल्ली के स्ट्रीट फूड में छोले कुलचे सबसे ज्यादा मशहूर हैं। किफायती और स्वाद से भरपूर दिल्ली का ये नाश्ता आपके जेब पर भी ज्यादा असर नही डालता हैं। दिल्ली में तो हर आधे किलोमीटर की दूरी पर आपको छोले कुलचे के स्टाल मिल जाएंगे, लेकिन इसमें से कुछ ऐसे है जहां खाने के लिए लोगो का तांता लगा रहता है।
निर्माण विहार मेट्रो स्टेशन के पास लक्ष्मी नगर गली नंबर 4 में एक दुकान हैं जिसका नाम है, “कंप्यूटराइज्ड छोले कुलचे” इतने अजीब नाम के पीछे भी एक कहानी है जो आप को वहां तक खिंच ले आएगी।

सीता राम दीवान चंद के छोले भटूरे
बात दिल्ली के सबसे बेहतरीन छोले – भटुरों की हों तो पहाड़ जंग में स्थित “सीता राम दिमान चंद्र” का नाम सबसे पहले आता है। पहाड़गंज में स्थित ये दुकान करीब 70 साल पुरानी हैं। जिसके छोले भटुरों के जयको में देश के 70 साल का इतिहास छिपा हुआ है।
- पता – सीता राम दिमान चन्द्र, पहनगंज चुना मंडी, नई दिल्ली
- समय – सुबह आठ बजे से शाम 6 बजे तक

चाट तड़का (तिलक नगर)
अगर आप भी हैं गोलगप्पो के शौकीन और दिल्ली में खाना चाहतें हैं सबसे सस्ते और अच्छे गोलगप्पे तो आज ही पहुँचिये तिलक नगर के चाट तड़का शॉप पर। यहां आपको 30 रुपये में अनलिमिटेड गोलगप्पे खाने को मिलेंगे। वो भी तीन अलग फ्लेवर के पानी के साथ तो आज ही जाइये और मज़े लीजिए इन जायकेदार गोलगप्पो का।
- पता – तिलक नगर मेट्रो स्टेशन के ठीक सामने

शर्मा जी चाट भंडार
दही भल्ले और पापड़ी चाट के शानदार जायकों का स्वाद लेना है और वो भी किफ़ायती दाम पर तो आप चले जाइये नेहरू प्लेस, यहां सत्यम सिनेमा के पास शर्मा जी चाट भंडार के नाम से मशहूर एक दुकान है जहां आपको मिलेंगे दिल्ली के सबसे बेहतरीन दही भल्ले, तो देर मत कीजिये और आज ही जाइये।
- पता – नेहरू प्लस, सत्यम सिनेमा के पास
तो ये थे दिल्ली के 7 सबसे मशहूर स्ट्रीट फूड जहां पूरी दिल्ली से लोग आया करतें हैं। ये सभी जगह सिर्फ अपने बेहतरीन जयको के लिए ही नही बल्कि अपने जयको के एक लंबे इतिहास के लिए भी जानी जाती है। तो अगर आप भी इन बेहतरीन जयको का स्वाद लेना चाहतें हैं तो आज ही आइये और उठाइये इन बेहतरीन व्यंजनों का लुफ्त साथ ही हमें कमेंट करके जरूर बताइये की यहां जानें के बाद आपका अनुभव कैसा रहा।
-गरिमा सिंह (दिल्ली विश्वविद्यालय)