भारत को “युवाओं” से भरा देश कहा जाता है, ऐसे में अगर यह वर्ग किसी बेहतर काम में लग जाए तो भारत का भविष्य और अच्छा हो सकता है। लेकिन यह सभी देशवासियों के लिए शर्म की बात है क्योंकि यहाँ के करोड़ों युवा मानसिक तनाव और ड्रग्स की लत से जूझ रहे हैं और यही नहीं ऐसा अनुमान है कि आने वाले समय में ऐसे युवा और बढ़ सकते हैं।
“मानसिक तनाव” वर्तमान समय में एक बहुत बड़ी समस्या है। इस तनाव को कम करने के लिए युवा वर्ग ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका यह भ्रम है कि नशा का सेवन करने से तनाव कम होता है बल्कि इसका नकारात्मक प्रभाव यह है कि इसके उपयोग से मानसिक स्थिति तो सुधरती नहीं बल्कि यह शरीर को अंदर से खोखला कर देता है।
मानसिक तनाव को कम करने के लिए सबसे बेहतर उपाय योग है। प्रतिदिन योग करने से शरीर तो स्वस्थ रहेगा ही साथ में मानसिक तनाव भी कम होगा। लेकिन युवा वर्ग योग से अधिक नशा को तव्वजो दे रहा है और इसी वजह से ड्रग्स के लगातार बढ़ते मामले को लेकर भारत सरकार भी अब सजग हो गई है और गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है।
सवाल यह है कि ड्रग्स को लेकर देश के युवाओं के क्या हालात हैं?
फिलहाल के लिए यहाँ युवाओं की स्थिति काफी गम्भीर है। “नशीली दवाओं के अनुसंधान और विश्लेषण के लिए उत्कृष्टता केंद्र” तथा “राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय“ के द्वारा की गई रिसर्च के मुताबिक कि भारत के युवा भारी मात्रा में “नार्को-टेरर” की चपेट में आ रहे हैं। यहाँ 2.8 प्रतिशत लोग “कैनबिस” यानी गांजा, अफीम तथा नींद की दवा इन सब का प्रयोग करते हैं।
वहीं, कोरोना वायरस की महामारी के दौरान कैनबिस का ही उपयोग सबसे अधिक किया गया है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ लड़के ही नशा कर रहे हैं बल्कि लड़कियाँ भी इसकी चपेट में आ रही हैं। यही वजह है कि “नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट” के अनुसार अधिकतर महिलाएँ “शराब” का नशा करना अधिक पसन्द करती हैं।
ऐसा इस लिए हो रहा है क्योंकि आज के समय में लोगों के लिए नशा करना एक “स्टाइल” बन गया है। इसकी वजह यह है कि वर्तमान में आई कुछ फिल्मों में नशा करने वाले किरदार को काफी बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जा रहा है जिसका नकारात्मक प्रभाव आज के युवा वर्ग पर पड़ रहा है।
अब प्रश्न यह है कि भारत में ड्रग्स आता कहाँ से हैं?
तो इसका जवाब है कि यहाँ दो क्रिसेंट जगहों से ड्रग्स को लाया जाता है। पहला “गोल्डन क्रिसेंट” जिसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान है और दूसरा “गोल्डन ट्राइएंगल” जिसमें थाइलैंड, लाओस और म्यांमार देश आतें हैं।
अफगानिस्तान में अफीम की बहुत अधिक खेती होती है और वह पाकिस्तान के रास्ते अवैध रूप से भारत में लाया जाता है और इसी पर आधारित है फिल्म “उड़ता पंजाब”। बात करें “गोल्डन ट्राइएंगल” की तो यहाँ बार्डर सेक्युरिटी उतनी मजबूत नहीं है जिसकी वजह से यहाँ से भी अवैध रूप से ड्रग्स को लाया जाता है।
Also Read: Online Pathology Lab पर रोक लगाने के मामले में ICMR से जवाब तलब
आखिर दुनिया में कितने लोग नशा करते हैं?
ऐसा नहीं है कि भारत में ही ड्रग्स का सेवन करने का प्रचलन चला है। बल्कि पूरी दुनिया के युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं। अमेरिका के “यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम” द्वारा हाल ही में 2010 से लेकर ‘2019 वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट‘ निकाली गई है और इसके मुताबिक इन नौ सालों के भीतर ड्रग्स लेने वालों की संख्या में 22% इजाफा हुआ है।
इसके अलावा पूरी दुनिया के लगभग ’28 करोड़’ लोग ड्रग्स लेकर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं और साढ़े तीन करोड़ लोग इसकी वजह से किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। लोग सबसे अधिक “कैनबिस’ का उपयोग नशा करने के लिए कर रहे हैं। शर्मनाक बात यह है कि 15 प्रतिशत लोग यानी करीब 20-25 करोड़ लोग जिनकी उम्र 10 से 70 साल के बीच में है वह शराब का नशा करते हैं
तो इस पर केंद्र ने साफ कह दिया है कि भारत में ड्रग्स को और पैर पसारने नहीं देंगे और सभी लोग इसके खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ेंगे। क्योंकि अगर एक बार ड्रग्स की लत लोगों को लग गई तो 130 करोड़ की जनता का ऐसा हश्र होगा जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।
आखिर कैसे मिलेगा नशा करने से छुटकारा?
अगर किसी व्यक्ति को अपने नशे की लत छोड़नी है तो उसे यह ज़रूर ज्ञात होना चाहिए कि यह एक दिन कंट्रोल करने से नहीं छूटेगी। ऐसे में उसे अपनी दिनचर्या में बदलाव की ज़रूरत है। प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर योग, व्यायाम करें और धीरे-धीरे नशा करने की आदत को कम करें। जैसे यदि कोई व्यक्ति एक दिन में पाँच सिगरेट पीता है तो उसे चार करे और समय के साथ उसकी संख्या को कम करता जाए।
ऐसा कुछ दिनों तक करने से नशे की लत को खत्म किया जा सकता है। लेकिन इन सबके बीच यदि कोई व्यक्ति किसी के दबाव में आकर नशा करना छोड़ता है तो वह ज्यादा दिन तक इस पर काबू नहीं रख पाता। ऐसे में लोगों को अपने आप से सतर्क होना होगा और इस लत को अपने जिंदगी से बाहर करना होगा वरना यह व्यक्तियों के जीवन को धीरे-धीरे निगल जाएगा और हमारे देश का युवा बर्बाद हो जाएगा |
-यशस्वी सिंह