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November 21, 2024
देश

​भारत-चीन ने पैंगोंग झील पर फायरिंग रेंज में तैनात किये टैंक

- एनएसए अजीत डोभाल ने शीर्ष अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक
- ब्रिगेड कमांडर स्तर की वार्ता में भारत ने पीएलए की तैनाती पर जताई आपत्ति
- भारत में चीनी दूतावास ने कहा-भारत ने पैंगोंग झील में 'चीन के इलाके' में घुसपैठ की

नई दिल्ली: पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर चीनी सैनिकों से ताजा झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख की सीमा पर स्थिति लगातार तनावपूर्ण होती जा रही है। ​​चीन ने बड़ी संख्या में बड़े और छोटे टैंक की तैनाती कर दी है, जो भारतीय रेंज के बिल्कुल पास है। चीन की हर हरकत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने भी झड़प वाली जगह के दक्षिणी छोर पर टैंक और आर्टिलरी सपोर्ट का जाल बिछा दिया है।दोनों ओर से भारत और चीन ने जहां अपने-अपने टैंकों की तैनाती की है वहां से दोनों सेनाएं एक-दूसरे के फायरिंग रेंज में हैं।

भारत-चीन सीमा को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मंगलवार को शीर्ष अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी आज ही एक और उच्च स्तरीय बैठक कर सकते हैं। पैंगोंग झील इलाके के दक्षिणी क्षेत्र में हुई घटना के बाद भारत-चीन के बीच तनाव को देखते हुए सोमवार को भारतीय क्षेत्र चुशुल में दोनों देशों के बीच ब्रिगेड कमांडर स्तर की वार्ता हुई लेकिन कुछ नतीजा नहीं निकला। इसलिए तनाव खत्म करने की दिशा में आज फिर मंगलवार को चीनी क्षेत्र के मोल्डो में ब्रिगेड कमांडर स्तर की वार्ता हो रही है लेकिन इसका भी कुछ नतीजा आता नहीं दिख रहा है। 

पैंगोंग झील

भारतीय सेना पीएलए की तुलना में सामरिक दृष्टिकोण से बेहतर और मजबूत स्थिति में

भारत ने इस वार्ता में हेलमेट टॉप एंड ब्लैक टॉप जैसे क्षेत्रों में पीएलए की तैनाती पर आपत्ति जताई है। इनपुट के अनुसार भारतीय सेना पीएलए की तुलना में सामरिक दृष्टिकोण से बेहतर और मजबूत स्थिति में है, क्योंकि चीनी सेना की नीयत को देखते हुए भारत ने ऊंचाइयों के अग्रिम मोर्चों पर सेना की तैनाती कर रखी है। भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन कहते हैं कि भारतीय पक्ष काफी सक्रिय रहा है। निगरानी के बाद जब हमने पाया कि चीनी उन ऊंचाइयों तक रेंगने की कोशिश कर रहे थे, तो हमने यह सुनिश्चित कर लिया कि हम उस पर जल्दी से कब्जा कर लें।

लद्दाख बॉर्डर पर भारत की हर मोर्चे पर नजर है, ताकि वक्त आने पर चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। इस बीच भारत और चीन ने अपनी-अपनी ओर टैंकों की तैनाती कर दी है, जो ऐसी जगह हैं, जहां से फायरिंग की जा सकती है। चीनी टैंक और सैन्य वाहन पैंगोंग इलाके के काला टॉप माउंटेन क्षेत्र के पास मौजूद हैं, जिसे भारतीय सेना ने अपने कब्जे में ले लिया है और चीन की हर चालाकी पर नजर गड़ाए है।

भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग में ‘चीन के इलाके’ में घुसने की कोशिश की

भारतीय सेना ने चुशूल और स्पैंगोर त्सो इलाके के बीच पहले से ही अपने टैंक तैनात कर रखे हैं। अब भारतीय टैंक झील के उस दक्षिणी छोर पर तैनात किए गए हैं, जहां ताजा झड़प हुई है। भारत-चीन सीमा को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने आज शीर्ष अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी आज ही एक और उच्च स्तरीय बैठक कर सकते हैं। भारत में चीन के दूतावास ने आज बयान जारी कर कहा है कि भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग में ‘चीन के इलाके’ में घुसने की कोशिश की। बयान में कहा गया है कि ‘भारत से सैनिकों को नियंत्रित करने को कहा गया है।’

‘एलएसी को पश्चिम की ओर धकेलने की अपनी योजना के तहत चीन पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर अपने दावे को फिर से स्थापित करने की कोशिश में लगा हैं। 29-30 अगस्त की रात जिस थाकुंग चोटी पर चीन के कब्ज़ा करने की कोशिश की, उसे काला टॉप के नाम से भी जाना जाता है।

विवाद का मुख्य मुद्दा फिंगर-4 पर पीएलए की मौजूदगी

भारत-चीन के बीच हुए 1960 में आधिकारिक समझौते के अनुसार यह इलाका एलएसी पर भारतीय हिस्से में लगभग 1.5 किलोमीटर अन्दर है। इसके अलावा विवाद का मुख्य मुद्दा फिंगर-4 पर पीएलए की मौजूदगी है, क्योंकि यह भी 1960 के समझौते के अनुसार पश्चिम में एलएसी पर भारतीय हिस्से में पांच किलोमीटर अन्दर है।

वैसे तो चीन और भारत के बीच मई के बाद से ही हालात बिगड़ रहे हैं। 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प इसी तनाव का नतीजा थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। अब एक बार फिर पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर चीनी सैनिकों से ताजा झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख की सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण है। 1993 से जब से भारत ने ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ की अवधारणा को स्वीकार करना शुरू किया, तब से अब तक 16-20 स्थानों पर दोनों देशों के परस्पर दावे बढ़े हैं।

इनमें 10 जगह पूर्वी लद्दाख में हैं और चार मध्य लद्दाख में हैं। इन जगहों के लिए तय हुआ था कि दोनों पक्ष अपनी-अपनी समझ के हिसाब से गश्त करेंगे कि एलएसी कहां पर है लेकिन अब यही जगह असहमति बढ़ने पर विवादित हो गई हैं। भारत ने एलएसी पर अपनी स्थिति मजबूत कर रखी है और वास्तव में चीन की तुलना में आगे हैं। 

पढ़ें: राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर ​दर्ज होंगे गलवान में ​शहीद 20 सैनिकों के नाम

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