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April 18, 2024
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कृषि कानून पर किसानों की दो टूक ‘कानून वापस तो हम घर वापस’

कृषि कानून: नये कृषि कानूनों को लेकर उपजे गतिरोध को समाप्त करने के लिए किसान संगठनों और सरकार के बीच आठवें दौर की वार्ता भी बिना समाधान के समाप्त हुई। किसान नेता नये कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की मांग पर अड़े रहे और सरकार के साथ बैठक में तीखी नोकझोंक भी हुई। 

दरअसल बैठक शुरू होने के समय ही सरकार की ओर से कहा गया कि वो कानून को वापस नहीं ले सकती। इसके अलावा वह किसी भी अन्य प्रस्ताव पर विचार के लिए तैयार है। इसके बावजूद किसान नेता तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने पर ही अड़े रहे। किसानों का साफ कहना है, ‘कानून वापस तो हम घर वापस,’ नहीं तो अंतिम सांस तक आंदोलन जारी रहेगा। सरकार और किसान संगठनों के बीच अगले दौर की वार्ता अब 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे होगी। 

कृषि कानून पर किसान

किसान संगठनों और सरकार के मंत्रियों के बीच विज्ञान भवन में करीब साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 15 जनवरी को सरकार द्वारा फिर से बैठक बुलाई गई है, हम आएंगे। सरकार सिर्फ ‘तारीख पर तारीख’ का खेल खेलने में लगी है। सरकार हमारी बात नहीं मान रही तो हम भी उनकी नहीं सुन रहे। 

कृषि कानूनों पर राकेश टिकैत

राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार क़ानूनों में संशोधन की बात कर रही है परन्तु हम क़ानून वापस लेने के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। सरकार के मंत्री चाहते हैं कि हम लोग प्रावधान में फंसे लेकिन ऐसा कुछ नहीं होगा। कानून निरस्त होने से पहले किसान भरोसा नहीं करेंगे। किसान का स्टैंड साफ है कि नए कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए। 

Farmers Protest Banner

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि आज की बैठक में तीखी नोकझोंक हुई लेकिन किसानों की सोच स्पष्ट है और कानूनों की वापसी के इतर कुछ भी मान्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वो अपनी समस्या को लेकर सिर्फ सरकार से बात करेंगे, वो कानून के मसले पर कभी भी या किसी भी कोर्ट का रुख नहीं करेंगे। किसानों ने कभी नहीं कहा कि नए कृषि क़ानून गैर-क़ानूनी हैं। हम इसके खिलाफ हैं। इन्हें सरकार वापस ले। हम कोर्ट में नहीं जाएंगे। हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। अब सरकार या तो कानूनों को वापस लेगी या फिर हमारा लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को तय कार्यक्रम के मुताबिक हमारी परेड होगी। 

आज की बैठक के दौरान सरकार द्वारा किसानों को कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिए जाने पर किसान नेता हनान मुला ने कहा कि कृषि कानून किसान विरोधी हैं। 11 जनवरी को किसान संगठनों की बैठक होगी। अपनी मांगों के इतर सरकार के किसी अन्य प्रस्ताव को मानना तो दूर किसान सुनने तक को तैयार नहीं हैं। इसका उदाहरण सरकार के साथ बैठक के दौरान ही उस समय देखने को मिला जब एक किसान नेता बलवंत सिंह बहरामके ने अपनी टेबल से पंजाबी भाषा में लिखा हुआ पर्चा दिखाया ‘…या मरेंगे या जीतेंगे…’।

यह भी पढ़ें: Bharat Bandh: पंजाब में व्यापक असर, प्रदर्शनकारी किसानों ने रास्तों को किया जाम

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