नई दिल्ली: Black Fungus का उपचार बहुत महंगा होने के कारण आम आदमी की पहुंच से बाहर है क्योंकि लिपोसोमल साल्ट जिससे Black Fungus के इंजेक्शन बनते हैं उसकी कीमत लगभग 7 हजार रुपये है और इससे पीड़ित व्यक्ति के इलाज के लिए लगभग 70 से 100 इंजेक्शन की आवश्यकता होती है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया को एक पत्र भेजकर आग्रह किया कि जो फार्मा कंपनियां ये इंजेक्शन बना रही हैं, सरकार उनसे बातचीत करके इन इंजेक्शनों की कीमत कम करवाए ताकि Black Fungus से संक्रमित आम आदमी भी अपना इलाज करा सके।
वर्तमान में, सिप्ला, भारत सीरम, सीलोन लैब्स, मायलन लैबोरेटरीज, एबॉट लेबोरेटरीज आदि इस इंजेक्शन का निर्माण कर रही हैं। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने केन्द्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया को भेजे पत्र कहा है कि Black Fungus के इलाज के लिए पूरे देश में डॉक्टरों द्वारा निर्धारित एम्फोटेरिसिन बी-50 मिलीग्राम इंजेक्शन की कमी है। इसकी कमी को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए।
खंडेलवाल ने कहा कि इन इंजेक्शनों की एमआरपी लगभग 7000 रुपये प्रति इंजेक्शन है। चिकित्सा प्रोटोकॉल के अनुसार वर्तमान में डॉक्टर बीमारी की गंभीरता के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति को इन इंजेक्शनों की 70 से 100 शीशियां लिख रहे हैं, जिससे देश में एक आम आदमी के लिए इलाज बेहद महंगा और पहुंच से बाहर हो गया है।