11.1 C
New Delhi
December 8, 2024
देश

श्री राम जन्मभूमि मंदिर: सृष्टि का हर प्राणी कह रहा आयो अवध श्रीराम, मंगल गाओ रे…

अयोध्या: त्रेतायुग में 14 वर्ष वनवास का समय बिताने वाले भगवान श्रीराम कलियुग में 500 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटने वाले हैं। 05 अगस्त को यह शुभ दिन आएगा, जब यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ के भूमि-पूजन का कार्य सम्पन्न होगा। तैयारियां इस कदर हैं, मानो यहां की दीवारें, प्राणी और यहां तक कि सृष्टि का हर जीव-जंतु यह कह रहा है कि आयो अवध श्रीराम, मंगल गाओ रे। 

इस दिन के हर क्षण का आनंद लेने के लिए भले ही हिन्दू समाज का एक बड़ा तबका अनुपस्थित रहेगा, लेकिन उनके मन-मस्तिष्क में अयोध्या में होने वाले भगवान श्री राम जन्मभूमि मंदिर के भूमि-पूजन की हर गतिविधि उनकी परिकल्पनाओं के हिसाब से ही होगा। हालांकि, वे इसे केवल महसूस कर सकेंगे। वजह, कोरोना वायरस से शुरू हुई लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने की कड़ी अभी टूटी नहीं है।

श्री राम जन्मभूमि

तकरीबन 500 वर्ष के संघर्षों के बाद अयोध्या में भगवान श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने की मंशा को मिली जीत के बाद 05 अगस्त को भूमि-पूजन होना है। इस शुभ क्षण को लेकर इस समय भी त्रेतायुग की तरह ही पूरा हिन्दू समाज उल्लसित और प्रफुल्लित है। हर परिवार में अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा भाव जगा है। दीपोत्सव मनाने की तैयारियां हैं।

अयोध्या नगर भी कमतर नहीं है। यहां भगवान श्रीराम को याद करते हुए पूरे नगर परिक्षेत्र को ‘श्री रामायण’ के प्रसंगों को याद दिलाने वाला बनाया जा रहा है। गली-मोहल्ले की दीवारों पर इन प्रसंगों की चित्र-कलाएं उकेरी जा रही हैं। हालांकि, अधिकांश दीवारें इन मनोहारी चित्रों और पेंटिंग्स से पट चुकीं हैं। श्रीराम की अयोध्या की दीवारों पर ‘श्रीरामायण’ के प्रसंगों से जुड़ी चित्रकारिता और पेंटिंग भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े पलों को याद दिलाने लगी है।

भूमि-पूजन की तैयारियां

पूरा परिक्षेत्र भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र के इर्द-गिर्द घूम रहा है। भगवान श्रीराम और उनकी महत्ता को बताने वाले भजनों से पूरा परिक्षेत्र गुंजायमान है। हर परिवार यहां तक कि हर व्यक्ति 05 अगस्त को होने वाले ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ के भूमि-पूजन की तैयारियां अपने तरह से कर रहा है। न्यास की ओर से कुछ चुनिंदा लोगों को नेवता (आमंत्रण) भेजा गया है तो को कुछ व्यापारी संगठनों द्वारा ‘चांदी के ईंट’ भेज भूमि-पूजन में सांकेतिक उपस्थिति दर्ज कराई जा रही है।

यहां तक कि संत समाज और संगठनों से न सिर्फ आध्यात्मिक चेतना मिल रही है, बल्कि दान में धनराशि भी आ रही है। भारतीय क्षेत्र के अनेक भाषा-भाषी क्षेत्रों से मिट्टी और पवित्र नदियों का आने वाला जल सबको एक सूत्र में पिरो रही है। त्रेतायुग में समाज में एकात्म भाव जागृत करने वाले श्रीराम के नाम मात्र से ही भारतवर्ष की यह भूमि एक बार फिर एकात्म भाव से परिपूर्ण होने की ओर अग्रसर हो रहा है।

बता दें कि अयोध्या का विवाद पांच सदियों से चला आ रहा है। आजादी के बाद से अब तक इस विवाद ने देश की राजनीति को प्रभावित किया है। पिछली पांच सदियों में अयोध्या का कालचक्र घूमता रहा। अभी उम्मीद की किरण फूटी तो कभी निराशा का भाव जागृत हुआ। 500 वर्षों से चले रहे विवाद का कालचक्र घूमता रहा। इस विवाद की कहानी मुगल शासक बाबर से शुरू हुई तो इसका खात्मा सुप्रीम कोर्ट के 16 अक्टूबर 2019 की सुनवाई के साथ पूरी हुई। अब 05 अगस्त को भूमि-पूजन है।

यह भी पढ़ें: केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि घोषित, 17 मई को प्रातः 5 बजे खुलेंगे

Related posts

मशहूर शायर राहत इंदौरी का कोरोना संक्रमण से निधन: मप्र

Buland Dustak

खेतों में सफेद सोना, किसानों को बना रहा आत्‍मनिर्भर

Buland Dustak

दिसम्बर-2023 तक पूर्ण होगा उत्तर-पश्चिम रेलवे जोन का विद्युतीकरण : रेलवे जीएम

Buland Dustak

देश में पहले दिन 1,91,181 लाभार्थियों को लगे टीके

Buland Dustak

42 हफ्ते के प्रशिक्षण के बाद 64 गोरखा रंगरूट बने भारतीय सेना का हिस्सा

Buland Dustak

Facebook नहीं होगा बैन, IT के नए डिजिटल नियमों का होगा पालन

Buland Dustak