-आर्मड फोर्स मेडिकल सर्विसेज (AFMS) ने 15 लाख स्वास्थ्य कर्मियों पर किया अध्ययन -स्वास्थ्य मंत्रालय ने ICMR से मांगा डेटा
नई दिल्ली: कोरोना रोधी टीका कोविशील्ड लगाने के बाद कोरोना संक्रमण से बचाव 93 प्रतिशत तक सुनिश्चित हो जाता है और मौत की संभावना भी 98 प्रतिशत तक कम हो जाती है। आर्मड फोर्स मेडिकल सर्विसेज (AFMS) के 15 लाख स्वास्थ्य कर्मियों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि कोविशील्ड लगाने के बाद उनमें नए इंफेक्शन की संभावना 93 प्रतिशत तक कम हो गई।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने मंगलवार को बताया कि इस शोध में सेना के 15 लाख डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को शामिल किया गया था। अध्ययन में पाया गया कि 15 लाख स्वास्थ्य कर्मियों में 93 प्रतिशत लोग कोरोना से सुरक्षित रहे। वहीं, जिन लोगों को कोरोना हुआ भी उनमें सात लोगों की मौत हो गई यानी 98 प्रतिशत तक मौत का खतरा कम हो गया।
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कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक वैक्सीन के ट्रायल में भाग लेने वालों को दिया जाएगा सर्टिफिकेट
देश में कोरोना रोधी टीके कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक वैक्सीन के ट्रायल में भाग लेने वाले लोगों को सर्टिफिकेट दिया जाएगा। मंगलवार को इस संबंध में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने ICMR को चिट्ठी लिखकर इन तीनों वैक्सीन के तीनों चरण के ट्रायल में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का ब्योरा मांगा है।
राजेश भूषण ने चिट्ठी लिख कर ICMR से सिर्फ कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक के ट्रायल में भाग लेने वाले लोगों का ब्योरा मांगा है। इन वैक्सीन को भारत में आपत इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिली है।
इसके साथ ICMR से सिर्फ उन लोगों का डेटा साझा करने को कहा गया है जिन्हें वैक्सीन दिया गया है। चूंकि ट्रायल में कई लोगों को प्लेसीबो वैक्सीन भी दिया गया है यानि कोई वैक्सीन नहीं दिया गया।
बता दें कि इन वैक्सीन के ट्रायल में भाग लेने वाले के नाम कोविन पोर्टल पर दर्ज नहीं किए गए थे इसलिए प्रतिभागियों को वैक्सीन सर्टिफिकेट नहीं दिया गया था, लेकिन अब इन्हें भी प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।