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फ्यूचर ग्रुप ने ऐमजॉन से मांगी 8 बार मदद, लेकिन नहीं मिला जवाब

मुंबई/नई दिल्ली: फ्यूचर ग्रुप के संस्थापक किशोर बियानी ने कहा कि जब उनके समूह को मदद की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब ऐमजॉन ने उनसे मुंह फेर लिया। मीडिया के साथ बातचीत में बियानी ने कहा कि ऐमजॉन अब रिलायंस रिटेल के साथ Future Group की डील में रोड़ा अटकाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने रिलायंस रिटेल को रक्षक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐमजॉन Future Group को बर्बाद होते देखना चाहती है।

बियानी ने कहा कि उन्होंने फ्यूचर ग्रुप की खस्ता हालत को ऐमजॉन से आठ बार बात की थी लेकिन, उसने उनकी एक बार भी बात नहीं सुनी। उसने तब भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया, जब हमें कर्ज देने वाले बैंक हमारे शेयर बेचने लगे थे।

ऐमजॉन

पिछले साल अगस्त में रिलायंस इंडस्ट्रीज से डील के बाद मीडिया के साथ पहली बार रू-ब-रू हुए बियानी ने कहा, “समझौते के मुताबिक हमारी मदद के लिए ऐमजॉन सहायक कंपनियों या वित्तीय संस्थानों के जरिए पैसे का इंतजाम कर सकती थी। वह बैंकों से कर्ज ले सकती थी लेकिन उसने हमारी गुजारिश और समझौते की शर्त के बावजूद ऐसा नहीं किया।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल अगस्त में फ्यूचर ग्रुप ने अपना रिटेल एसेट रिलायंस को 25,000 करोड़ रुपये में बेचने के लिए डील की थी। ऐमजॉन ने इस डील के खिलाफ सिंगापुर मध्यस्था कोर्ट (एसआईएसी) का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद एसआईएसी ने Future Group और रिलायंस के बीच हुई डील पर रोक लगा दी थी।

उधर, ऐमजॉन का कहना है कि फ्यूचर ग्रुप ने समझौते की शर्त तोड़ी है। दोनों के बीच हुए समझौते के तहत उसे फर्स्ट रिफ्यूजल का राइट्स हासिल था। इसके अलावा Future Group को रिलायंस समेत किसी भी दूसरी कंपनी से डील करने का अधिकार नहीं था।

क्या है पूरा मामला ?

विवाद उस समय शुरू हुआ, जब फ्यूचर ग्रुप ने करीब 24 हजार करोड़ रुपये में अपना खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक्स कारोबार रिलायंस इंडस्ट्री को बेचने की डील की। इस सौदे पर आपत्ति जताते हुए ऐमजॉन ने कहा था कि उसने फ्यूचर रिटेल की प्रवर्तक कंपनी एफसीपीएल में पिछले साल अगस्त में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके लिए हुए सौदे में ऐमजॉन को फ्यूचर समूह में निवेश करने के बारे में पहले पूछे जाने का अधिकार मिला है। साथ ही तीन से 10 साल की अवधि के बाद समूह की प्रमुख कंपनी फ्यूचर रिटेल में हिस्सेदारी खरीदने का भी अधिकार मिला है। गौरतलब है कि एफसीपीएल की फ्यूचर रिटेल में 7.3 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

पूरे मामले में एक बात तो साफ है कि असली लड़ाई Future Group और ऐमजॉन की है, लेकिन रिलायंस रिटेल इन दोनों के बीच चल रही कानूनी लड़ाई में फंस गया है। अब तक इस लड़ाई का कोई हल नहीं निकल सका है और दिल्ली हाईकोर्ट में फिलहाल इस मामले को लेकर कानूनी लड़ाई जारी है।

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