- जॉब रिजर्वेशन कानून से डरे स्टार्टअप
नई दिल्ली: हरियाणा सरकार के हाल में बनाए जॉब रिजर्वेशन कानून के कारण एनसीआर के गुरुग्राम (गुड़गांव) में काम कर रही कई स्टार्टअप कंपनी ने दूसरे इलाकों में शिफ्ट होने की तैयारी कर ली है। इसके अलावा इस साल के अंत तक अपना काम शुरू करने की योजना बना रही 30 से ज्यादा नई स्टार्टअप कंपनियों ने भी अपनी योजना को कुछ समय के लिए टालने का फैसला किया है।
आईटी कंपनियों के संगठन नैसकॉम और कुछ स्टाफिंग फर्म्स से मिली जानकारी के मुताबिक हरियाणा के नए कानून से स्टार्टअप्स पर काफी असर पड़ने की आशंका है। यही कारण है कि कानूनी फंदे से बचने के लिए पहले से काम कर रहे Startup और जल्दी शुरू होने वाले नए Startups ने एनसीआर में ही हरियाणा के बाहर के विकल्पों पर गौर करना शुरू कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि हरियाणा सरकार ने हाल में ही जॉब रिजर्वेशन कानून के तहत 50,000 तक के वेतन वाले पदों पर 75 फीसदी नौकरी स्थानीय निवासियों को ही देने का नियम बना दिया है। इस नए कानून के कारण स्टार्टअप समुदाय में चिंता का माहौल है और इसे उनके कामकाज में सरकार के जबरन दखल के रूप में देखा जा रहा है।
आरक्षण के कारण कर्मचारियों की योग्यता से करना होगा समझौता
स्टार्टअप कंपनियों से जुड़े उद्यमियों का कहना है कि वे छोटी लागत में बेहतरीन मुनाफा तभी कमा सकते हैं और ज्यादा से ज्यादा लोगों को तभी रोजगार दे सकते हैं, जबकि उनके पास काम करने वाले योग्य लोगों की टीम हो। लेकिन आरक्षण की बाध्यता के कारण उन्हें अपने कर्मचारियों की योग्यता में समझौता भी करना पड़ सकता है, जिसका असर आगे चलकर उनके मुनाफे और कंपनी के भविष्य पर पड़ेगा।
यही कारण है कि जिस गुरुग्राम को दिल्ली-NCR में स्टार्टअप कंपनियों का हब माना जाता है, वहां से स्टार्टअप कंपनियां अपना काम-काज समेटकर दिल्ली, नोएडा या ग्रेटर नोएडा की ओर जाने की योजना बना रही हैं। इसके अलावा कुछ कंपनियों ने देश के सबसे बड़े स्टार्टअप हब बेंगलुरु की ओर भी रूख करने का मन बना लिया है।
माना जा रहा है कि सरकार के इस नए कानून के कारण स्टार्टअप कंपनी के जरिए मिलने वाली कई नौकरियां छिन भी सकती हैं। अभी गुरुग्राम की स्टार्टअप कंपनी में 11,000 से अधिक लोग काम कर रहे हैं। इनमें आधा से ज्यादा दूसरे राज्यों के बाशिंदे हैं। हरियाणा सरकार का कानून अमल में आने के बाद स्टार्टअप कंपनी को इनमें से कई कर्मचारियों को नौकरी से निकालना होगा और उनकी जगह हरियाणा के स्थानीय लोगों को नौकरी देनी होगी। लेकिन यही बात इन कंपनियों को रास नहीं आ रही है।
यह भी पढ़ें: खाद्य पदार्थों की कीमतों ने बिगाड़ा हाल, फरवरी में 4.17% पर पहुंची थोक महंगाई दर