कोरोना वॉलंटियर्स ने की पहल
भोपाल: पर्यावरण जीवन की वो इकाई है जिसके कारण पृथ्वी पर जीव-जन्तुओं का अस्तित्व है। यदि पेड़ ही नहीं होंगे तो यह जीवन भी समाप्त हो जाएगा। इसलिए मानव विकास के लिए अंधाधुंध पेड़ों की हो रही कटाई के बीच इस बात की भी जरूरत है कि हर हाल में ऑक्सीजन के साक्षात स्वरूप इन पेड़ों को बहुतायत में लगातार लगाते रहना है, जिससे कम से कम हमारे पर्यावरण पर जीवन का संकट ना खड़ा हो।
भागती जिंदगी में नहीं पता हमारी छत पर आ रहे हैं कौन से नए पक्षी
अभी कुछ दिन पहले ही पर्यावरण दिवस गुजरा है। इस साल के लिए जो थीम निर्धारित की गई है वह है “प्रकृति के लिए समय“, लेकिन आज बड़ा प्रश्न है, क्या हम प्रकृति के लिए समय निकाल पा रहे हैं? ये अपने आप में एक ऐसा सवाल है जिसका उत्तर अधिकांश लोगों का ना ही आने वाला है। कारण हमारी तेजी से भागती जिन्दगी है।
आगे बढ़ने की जल्दी इतनी अधिक है कि अपने आस -पास क्या घट रहा है, रोज छत पर कौन से नए पक्षी आ रहे हैं, हमें पता ही नहीं। कह सकते हैं कि व्यस्त जिंदगी के बीच पर्यावरण पर किसी का ध्यान नहीं है। ऐसे दौर में आपको यह जानकर बहुत खुशी होगी कि कई पर्यावरण वॉरियर्स हैं वास्तव में जिनके समर्पण से आज पर्यावरण बचा हुआ है।
विश्व भर में हर दिन कटते हैं दो करोड़ 98 हजार पेड़
एक तरफ जहां दुनियाभर में हर दिन लगभग दो करोड़ 98 हजार पेड़ काट दिए जाते हैं। इन सबके बीच मध्य प्रदेश के मंदसौर में शिल्पा मित्तल और उनकी महिला दोस्तों की टीम कुछ ऐसे ही कार्य को आजकल अंजाम देने में लगी हुई हैं। जिसमें पर्यावरण में शुद्ध वायु के लिए आवश्यक पेड़ों की संख्या को स्वत: नैसर्गिक रूप से बढ़ाया जाना संभव रहे।
इन स्वयंसेवी महिलाओं का ये तरीका फिर से धरती मां का वास्तविक स्वरूप उन्हें लौटा रहा है। इन्होंने Seed balls के माध्यम से वृक्षारोपण करने का कार्य कर एक अभिनव पहल की शुरुआत की है। इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि वृक्षारोपण के लिए विशेष परिश्रम की भी आवश्यकता नहीं होती है, जबकि मिट्टी की seed balls के अंदर ही पौधे के बीज को रख दिया जाता है।
मिट्टी की बॉल से हो रहा पर्यावरण संरक्षण
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अपने इस अभिनव प्रयास को लेकर उत्साहित शिल्पा मित्तल कहती हैं कि उनके द्वारा बनाई जा रही यह बाल जहां भी गिरती है वहां पर पौधा बन जाता है। हमारे साथी कोरोना वॉलंटियर्स के द्वारा मिट्टी में बीज डालकर Seed balls बनाई जा रही है। मिट्टी के बाल यहां कई स्थानों पर दी जा रही है। उसे वे लोग जिन्हें भी यह मिल रही है, जहां कहीं भी गिराएंगे या फैकेंगे वहां पौधरोपण स्वत: हो जाएगा।
निम्बोली, मीठा नीम, इमली, जामुन, लौकी के बीजों को दी जा रही प्रमुखता
शिल्पा बताती हैं कि seed balls प्रक्रिया से पौधरोपण करने की विधि बहुत अच्छी है। जिसका परिणाम काफी अच्छा है। इनके द्वारा निम्बोली, मीठा नीम, इमली, जामुन, लौकी आदि के बीज से बॉल बनाये गए हैं। इन्हें नगर के विभिन्न क्षेत्रों, टोल नाके पर यात्रियों को प्रदान किया जा रहा है, ताकि वे यात्रा क दौरान कहीं भी इन बॉल्स को रोप दें।
एक पेड़ हर दिन छोड़ता है 230 लीटर ऑक्सीजन
कहना होगा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इन महिलाओं का यह अनूठा प्रयोग बड़े काम का है। मिट्टी के लड्डू बनाकर उन्हें कागज की थैलियों में रखो और यह संदेश देते जाओ कि हमें पॉलीथीन का उपयोग नहीं करना है। ये बीज एक दिन पेड़ बनेंगे। एक स्वस्थ पेड़ हर दिन लगभग 230 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे सात लोगों को प्राण वायु मिलती है।
Seed balls से पौधा रोपण भविष्य में अपार ऑक्सीजन के जरिए मानव जीवन को बचाने का प्रयोग है। यह एक पेड़ ही होता है जो मिट्टी के क्षरण यानी उसे धूल बनने से रोकता है। जमीन से उसे बांधे रखता है। भू जल स्तर को बढ़ाने में सबसे ज्यादा मदद करता है और इसके आगे यह पेड़ वायु मंडल के तापक्रम को कम करता है। इसलिए आइए हम भी अपने आसपास ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। इन महिलाओं की तरह इस दिशा में कुछ नया करें।