-समाज में स्थापित करें "बेटी बोझ नहीं बुढ़ापे का सहारा है" का विचार : शिवराज -लाड़ली लक्ष्मी योजना की समीक्षा: योजना को शिक्षा और रोजगार से जोड़ा जाएगा
भोपाल: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि Ladli Laxmi Yojana को शिक्षा और रोजगार से जोड़ा जाएगा। समाज में यह धारणा स्थापित करना है कि ‘बेटी बोझ नहीं बुढ़ापे का सहारा है‘।
लाड़ली लक्ष्मी योजना में पंजीकृत लाड़लियाँ, सशक्त, समर्थ, सक्षम और आत्म-निर्भर बनकर समाज में योगदान दें, इसके लिए लाड़ली लक्ष्मियों को उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, रोजगार, स्व-रोजगार आदि के लिए हरसंभव मार्गदर्शन और प्रोत्साहन उपलब्ध कराया जाएगा।

Ladli Laxmi Yojana में बालिकाओं के आर्थिक सशक्तिकरण, कौशल संवर्धन और उन्हें आत्म-निर्भर बनाने के लिए आवश्यक व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए योजना को नया स्वरूप प्रदान किया जाएगा।
मुख्यमंत्री चौहान मंगलवार को लाड़ली लक्ष्मी योजना पर मंत्रालय में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास अशोक शाह तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
बालिकाओं की कक्षावार ट्रेकिंग होगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि Ladli Laxmi Yojana में पंजीकृत सभी बालिकाओं की शिक्षा की निरंतरता के लिए कक्षावार ट्रेकिंग की जाएगी। लाड़ली लक्ष्मी बालिका के पहली में प्रवेश लेने से लेकर 12वीं कक्षा तक ट्रेकिंग के लिए पोर्टल विकसित किया जाएगा। लाड़ली लक्ष्मियों के व्यक्तित्व विकास के लिए उन्हें एन.सी.सी, एन.एस.एस. जैसी गतिविधियों से भी जोड़ा जाएगा।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लाड़लियों को कॉउंसलिंग और कोचिंग की व्यवस्था
उन्होंने कहा कि 12वीं कक्षा के बाद लाड़ली लक्ष्मी की रूचि, दक्षता और क्षमता के अनुसार उच्च शिक्षा या तकनीकी, व्यवसायिक शिक्षा के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और प्रोत्साहन उपलब्ध कराया जाएगा। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कॉउंसलिंग और कोचिंग की व्यवस्था भी की जाएगी। बालिकाओं को स्टार्टअप, लघु-मध्यम उद्योग और निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ने के लिए भी आवश्यक प्रशिक्षण एवं कौशल उन्नयन के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।
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12वीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए 20 हजार रुपये देने का प्रावधान
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि योजना में पंजीकृत बालिकाओं को 12वीं कक्षा तक पढ़ाई पूरी करने पर आगे की शिक्षा अथवा व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहन स्वरूप 20 हजार रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। एक लाख रुपये में से शेष 80 हजार रुपये का भुगतान 21 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर होगा।
Ladli Laxmi Yojana को स्वास्थ्य और पोषण से भी जोड़ा जाएगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए योजना को स्वास्थ्य और पोषण से भी जोड़ा जाएगा। लाभार्थी बालिकाओं के टीकाकरण, एनीमिया सहित अन्य आवश्यक स्वास्थ्य जाँचों की व्यवस्था और पोषण आहार की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
लाड़ली लक्ष्मी के माता-पिता को बालिका कल्याण के लिए संचालित सुकन्या समृद्धि योजना जैसी योजनाओं में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। राज्य शासन की ओर से प्रोत्साहन प्रदान करने पर विचार किया जा रहा है। इससे माता-पिता में बचत की आदत भीविकसित होगी।
बेहतर लिंगानुपात के लिए पुरस्कार: मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बेहतर लिंगानुपात सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों को पुरस्कृत किया जाएगा।
बालिकाओं का आत्म-विश्वास बढ़ाना आवश्यक
उन्होंने कहा कि Ladli Laxmi Yojana को केवल आर्थिक सहायता प्रदान करने वाली योजना तक सीमित नहीं रखा जाए। बालिकाओं को सकारात्मक वातावरण देना और निरंतर प्रोत्साहित करना आवश्यक है। बालिकाओं को यह अनुभव कराना होगा कि वे अपने माता-पिता और समाज के लिए विशेष महत्व रखती हैं। उन्हें विश्वास देना होगा कि वे जीवन में नए आयाम और उपलब्धियाँ प्राप्त कर सकती हैं।
बालिकाओं के उत्साहवर्धन और उनसे संवाद के लिए होंगे कार्यक्रम
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बालिकाओं के उत्साहवर्धन और उनसे संवाद के लिए प्रतिवर्ष प्रेरणास्पद तीन या चार कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। इससे बालिकाओं का बेहतर व्यक्तित्व विकास भी होगा।
प्रदेश में 39 लाख 37 हजार लाड़ली लक्ष्मियाँ
बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में 39 लाख 37 हजार बालिकाएँ Ladli Laxmi Yojana में पंजीकृत हैं। लाड़ली लक्ष्मी निधि में 9,150 करोड़ रुपये जमा हैं। स्कूल जाने वाली 5 लाख 91 हजार 203 बालिकाओं को 136 करोड़ की छात्रवृत्ति का अब तक वितरण किया जा चुका है। प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी अधिनियम 2018 प्रभावशील है।
योजना के अंतर्गत वर्तमान में कक्षा 6 में प्रवेश पर 2 हजार रुपये, कक्षा 9 में प्रवेश पर 4 हजार, कक्षा 11वीं में प्रवेश पर 6 हजार और कक्षा 12 में प्रवेश पर 6 हजार रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। बालिका के 12वीं की परीक्षा में शामिल होने और 18 वर्ष की आयु तक विवाह न करने तथा 21 वर्ष पूर्ण होने पर एक लाख रुपये के भुगतान की व्यवस्था है।