बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय में AK-47, मैगजीन और करीब दो सौ राउंड नई गोली मिलने के बाद एकबार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म है। बिहार में जब कहीं एके-47 मिलता है तो बेगूसराय अपने आप चर्चा में आ जाता है, क्योंकि AK-47 और बिहार का रिश्ता आज से करीब 35 साल पुराना है।
कहा जाता है कि जब बिहार पुलिस में आधुनिक हथियार को देखा भी नहीं था तो बिहार में सबसे पहले बेगूसराय निवासी अशोक सम्राट ने एके-47 खरीदा और 1986 में पहली बार AK-47 का इस्तेमाल मुजफ्फरपुर में किया गया था। तब अपराध जगत में बहुत कम लोग जानते थे कि AK-47 क्या चीज है।
अपराध से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 1986 में मुजफ्फरपुर अपराध की राजधानी और यूनिवर्सिटी अपराध का अड्डा हुआ करता था और मुजफ्फरपुर के बाहुबली चंदेश्वर सिंह एवं बेगूसराय के डॉन मिनी नरेश में अदावत थी।
इसी दौरान मिनी नरेश के सहयोगी बेगूसराय निवासी अशोक सम्राट ने बिहार में पहली बार एके-47 का प्रयोग कर दिनदहाड़े चंदेश्वर सिंह की हत्या कर दी थी। 1994 में छोटन शुक्ला की हत्या में भी AK-47 का इस्तेमाल हुआ।
90 के दशक में ही अशोक सम्राट ने बहदरपुर ठाकुरबाड़ी के महंत और अंडरवर्ल्ड से जुड़े रामलगन दास दास की एके-47 से भून कर हत्या करने के बाद गांधी सेतु से फेंक दिया था। 1995 में हाजीपुर में अपराधियों से मुठभेड़ के बाद अशोक सम्राट का शव और पहली बार पुलिस ने एक साथ दो एके-47 राइफल मिली।
1998 में पटना अस्पताल में बृज बिहारी प्रसाद AK-47 से मारे गए
1996 में कश्मीर से बड़ी संख्या में AK-47 सीवान के बाहुबली शहाबुद्दीन के घर पहुंची थी और शहाबुद्दीन ने एक दर्जन एके-47 अपने पास रखने के बाद बाकी यूपी के बाहुबली और रांची के अपराधियों के हाथ बेचे गए। शहाबुद्दीन के घर पुलिस से मुठभेड़ में दस लोग मारे गए और घर से कई एके-47 राइफल मिली थी।
1998 में पटना अस्पताल में बृज बिहारी प्रसाद AK-47 से मारे गए। मुंगेर से एके-47 की खेप मिली थी। मुजफ्फरपुर में मेयर समीर कुमार की हत्या एवं हाजीपुर में बृजलाल सिंह की हत्या, दरभंगा में दो इंजीनियर की हत्या में भी एके-47 का इस्तेमाल किया गया था।
अनंत सिंह की गिरफ्तारी भी एके-47 की वजह से हुई। 2018-19 में बेगूसराय का पड़ोसी जिला मुंगेर एके-47 के मामलों को लेकर देश-विदेश की सुर्खियों में बना रहा। मुंगेर के विभिन्न जगहों पर कुआं, जमीन के अंदर से 22 AK-47 राइफल मुंगेर पुलिस ने बरामद किया था।
इसका तार सुरक्षा एजेंसी एवं आयुध कारखाना जबलपुर से जुड़ा तो सरकार और गृह मंत्रालय तक एक्टिव हो गई। पकड़े गये हथियार तस्करों ने स्वीकार किया था कि करीब 70 एके-47 राइफल आयुध कारखाना जबलपुर मध्यप्रदेश से चोरी कर मुंगेर लाया गया है लेकिन पुलिस को मात्र 22 AK-47 राइफल ही मिल सकी।
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इसके बाद जब बेगूसराय में AK-47 के तार जुड़े तो अंडरवर्ल्ड के पाताल लोक में चर्चा होने लगी की गंगा पारकर बेगूसराय के रास्ते एके-47 समेत बड़ी मात्रा में हथियार बाहर भेजे जाते रहे हैं।
बेगूसराय में AK-47 से हुई है काफी हत्याएं
बात करें बेगूसराय की तो यहां एक दर्जन से अधिक हत्याएं एके-47 की गोली से हो चुकी है। बेगूसराय में एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार रहने की तो यहां गैंगेस्टर से लेकर सामान्य अपराधी के पास से दुनिया का नंबर वन और सबसे घातक रायफल एके-47 और एके-56 बरामद की जा चुकी है।
1993 में बेगूसराय के तत्कालीन एसपी गुप्तेश्वर पांडेय के आवास पर AK-47 फेंक कर बदमाश भाग गए थे। बीते नौ साल में पुलिस ने दो एके 56, दो एके 47 और दो इंसास रायफल बरामद कर चुकी है। 21 नवम्बर 2015 को बलिया पुलिस ने भगतपुर से एके-56 के साथ दो बदमाश को दबोचा था।
20 मई 2018 को पुलिस ने मटिहानी थाना क्षेत्र के सिहमा दियारा से एक AK-47 बरामद किया गया। 23 अक्टूबर 2018 को सिहमा से ही एसटीएफ ने मोनी सिंह के डेरा से एके-47 बरामद किया।
24 अक्टूबर 2018 को STF ने सिहमा दियारा से इंसास रायफल बरामद किया गया था। बिहार में शायद ही कोई बड़ा सरगना हो जिसके पास यह अति आधुनिक राइफल नहीं होगा। कहा जाता है कि बिहार में विभिन्न अपराधी गिरोहों के पास तीन सौ से भी अधिक एके-47 राइफल है।