बिहार में लगातार हो रही बारिश की वजह से अधिकांश नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। उत्तर-पूर्व बिहार के पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरता, अररिया, खगड़िया और पूर्णिया जिलों से होकर गुजरने वाली नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। हालात यह हैं कि पूर्णिया में महानंदा के कटाव से कई गांवों के लोग पलायन को मजबूर हैं और इनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है।
मुजफ्फरपुर शहरी क्षेत्रों के बीचों-बीच से होकर गुजरने वाली बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से अब नए परेशानियों को जन्म देने लगी है। जिले के शहरी क्षेत्र में स्थित अहियापुर थाना बिल्कुल जलमग्न हो गया है। आने जाने वाले चाहे वह फरियादी हो या पुलिस जवान सभी को करीब कमर भर पानी से होकर गुजरना पड़ता है। बीते दो दिनों से लगातार जलस्तर में वृद्धि हो रही है। बूढ़ी गंडक नदी खतरे के निशान के करीब बह रही है।
अहियापुर थानाध्यक्ष सुनील रजक ने बताया कि बिहार में बारिश की वजह से दो दिनों से आने-जाने में पानी के कारण दिक्कत हो गई है। जल्द ही आवागमन के लिए नाव मंगाया लिया जाएगा। इसी बूढ़ी गंडक के कारण जिले के कांटी प्रखण्ड के लस्करीपुर पंचायत के तीन गांव का आवागमन बाधित हो गया है।
इस बाबत अंचलाधिकारी कांटी शिव शंकर गुप्ता ने बताया कि लश्करीपुर पंचायत के तीन गांव बूढ़ी गंडक नदी के कारण जलमग्न हो गए हैं, जिससे आवागमन बाधित हो गया है। सरकारी स्तर पर लोगों के आवागमन के लिए तीन नाव मुहैया कराया गया है, जिससे लोग ऊंचे स्थानों पर सुरक्षित निकल सकते है। पूरे इलाके में प्रशासन की पल-पल नजर है।
पूर्णिया में महानंदा के जलस्तर में लगातार वृद्धि
महानंदा नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से कई गांवों में कटाव जारी है। यहां 15 दिनों से लगातार महानंदा नदी अपना कहर बरपा रही है। इसे लेकर लोगों में दहशत का माहौल है। बायसी के बंगामा पंचायत स्थित मड़वा महादलित टोला के कई मकान महानंदा नदी में समा चुके हैं और जो मकान बचे हैं उन्हें लोग खुद तोड़ने को मजबूर हैं।
खास बात यह है कि विस्थापित हुए लोगों की सुध लेने वाला तक कोई नहीं है। जिन लोगों का घर कटाव के कारण नदीं में समा गये वे बायसी के मड़वा मध्य विद्यालय में शरण लिए हुए हैं लेकिन सरकार की ओर से यहां किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। इसे लेकर लोगों में असंतोष देखा जा रहा है। पीड़ितों कहना है कि कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी आए जरूर लेकिन आश्वासन के सिवाय उन्हें अब तक कुछ भी नसीब नहीं हुआ।
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पीड़ितों ने बताया कि सरकार की ओर से कटाव निरोधी कार्य चलाए जाने की बात कही गयी लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। कई घर कटाव के कारण नदीं में समां चुके है और जो बचे हैं वे भी आज ना कल महानंदा नदीं के आगोश में समा जाएंगे। कटाव से अपना घर द्वार खो चुके महादलित परिवार 30 जून से मध्य विद्यालय मड़वा में शरण लिए हुए हैं लेकिन जिला प्रशासन के लोग अब तक झांकने तक नहीं पहुंचे।
भूखे पेट लोग यहां सोने को मजबूर हैं। पानी नसीब है लेकिन चावल नहीं और जलावन है लेकिन चूल्हा नहीं। सरकार की तरफ से मध्य विद्यालय मड़वा में अबतक भोजन की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। विस्थापितों की सुध लेना भी किसी ने मुनासिब नहीं समझा।