गुवाहाटी: राजधानी के नीलांचल पहाड़ पर स्थित विश्व विख्यात शक्तिपीठ माँ कामाख्या धाम तक अतिरिक्त यानी दूसरी सड़क बनाने का काम जोरों पर चल रहा है। गुवाहाटी के पांडू टेंपल घाट से माँ कामाख्या धाम तक जाने के लिए अतिरिक्त सड़क बनाने का काम पिछले दो वर्षों से चल रहा है। सड़क से गुजरने पर इसका प्राकृतिक परिदृष्य बेहद मनभावन है।

करीब 13 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हो रही इस सड़क से बहुत कम समय पर शक्तिपीठ पर पहुंचा जा सकता है। खासकर अंबुबासी मेले के अवसर पर जब मंदिर जाने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है तो यह सड़क बेहद सहायक होगी। इस सड़क के तैयार हो जाने पर अंबुबासी मेले की भीड़ पर भी नियंत्रण करने में प्रशासन को सफलता मिलेगी।
कामाख्या-सड़क का प्राकृतिक परिदृश्य मनभावन है
मिथक के अनुसार कामाख्या पहाड़ तक जाने के लिए चार रस्ते हैं और इन रास्तों को एक ही रात में नरकासुर ने तैयार किया था। इनमें से दो पैदल मार्ग हैं जो बहुत प्राचीन हैं। एक पांडू कामाख्या कॉलोनी से होकर जाता है और दूसरा दुर्गा सरोवर के दूसरी दिशा में है। शक्तिपीठ कामाख्या धाम में अंबुबासी के अवसर पर देश-विदेश के लाखों लोग यहां पर आते हैं। इसको देखते हुए सरकार ने पांडू टेंपल घाट से कामाख्या धाम जाने तक अतिरिक्त सड़क बनाने का काम शुरू किया गया था। जिसके तहत पहले जमीन को खाली कराया गया था।
इस सड़क की जो प्राकृतिक शोभा है बहुत निराली है। खासकर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इसका परिदृष्य देखते ही बनता है। सड़क के किनारे से ब्रह्मपुत्र नद का प्रवाह है जो इसकी सुंदरता में को और निखारता है। इलाके के अनेक लोग भी इस सड़क के निर्माण में अपना सहयोग दे रहे हैं।

लोग अभी भी पैदल इस रास्ते से आते जाते रहते हैं। क्योंकि इस रास्ते से बहुत जल्द ही पांडू तक पहुंचा जा सकता है। साथ ही पांडू टेम्पलघाट की सड़क को चौड़ा करने का काम भी चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि पांडू टेंपल घाट से कामाख्या धाम तक जाने के लिए दूसरी सड़क के तैयार होने पर बहुत कम समय में श्रद्धालुगण शक्ति पीठ माँ कामाख्या धाम में पहुंच सकते हैं। वाहनों की आवाजाही का यह दूसरा रास्ता होगा। गत दो वर्ष पहले सड़क बनाने का काम शुरू किया गया था।
सूत्रों का कहना है कि बीते अंबुबासी मेले से पूर्व सड़क बन कर तैयार हो जाने वाली थी, लेकिन बीच में लॉकडाउन लगने और मेला का आयोजन न होने के कारण सड़क का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया।
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