नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर ने कहा है कि हेट स्पीच और फर्जी खबरों पर रोक के लिए उसके पास एक मजबूत प्रणाली है। ट्विटर ने ये हलफनामा आरएसएस के पूर्व विचारक के एन गोविंदाचार्य की सोशल मीडिया से हेट स्पीच हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है।
ट्विटर ने अपने हलफनामे में कहा है कि सोशल मीडिया के बारे में गलत समझदारी के आधार पर यह याचिका दायर की गई है। हलफनामे में कहा गया है कि ट्विटर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की धारा 2(1)(डब्ल्यू) के तहत एक प्लेटफार्म का काम करता है। यह लेखक और पाठक के बीच एक सेतु के बीच काम करता है। वह यूजर्स की ओर से पोस्ट किए गए डाटा को बिना किसी रिव्यू किए संग्रह कर रखता है। वह यूजर्स के ट्वीट पर कोई नियंत्रण नहीं रखता है।
ट्विटर ने कहा है कि उसके पास एक शिकायत अधिकारी है जो इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के रुल 3(11) के तहत काम करता है। वो फर्जी खबरों और हेट स्पीच को लेकर शिकायतों का निवारण करता है। शिकायत अधिकारी के बारे में सभी सूचनाएं सार्वजनिक की गई हैं। ट्विटर ने कहा है कि bois locker room मामले पर दायर की गई शिकायत उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है। ट्विटर ने कहा है कि वो 13 साल से कम उम्र के यूजर्स को अकाउंट शुरु करने की इजाजत नहीं देता है। इसके अलावा संवेदनशील डाटा जैसे पोर्न वीडियो वगैरह से निपटने के लिए एक नीति बनाई गई है।
Bois Locker Room के मामले ने सोशल मीडिया का विद्रुप चेहरा सामने
इस मामले पर फेसबुक अपना जवाब दाखिल कर चुकी है। पिछले 14 जुलाई को कोर्ट ने गूगल और ट्विटर को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। पिछले 19 मई को विराग गुप्ता ने कहा था कि इंस्टाग्राम ने सोशल मीडिया कंपनी ने उन आपत्तिजनक पोस्ट वाले कंटेंट और उन अकाउंट्स को नहीं हटाया है। इसके कुप्रभावों से स्कूली छात्रों को बचाने की जरुरत है। याचिका में कहा गया है कि फर्जी अकाउंट होने के बावजूद उन अकाउंट्स को इसलिए नहीं हटाया जाता है क्योंकि उससे उन्हें लाभ होता है।
याचिका में कहा गया है कि bois locker room के मामले ने सोशल मीडिया का विद्रुप चेहरा सामने लाया है। इसके पीछे बड़ी वजह है फर्जी अकाउंट्स का होना। इन फर्जी अकाउंट्स को इसलिए नहीं हटाया जाता है क्योंकि इन अकाउंट्स के जरिए उन्हें विज्ञापन का लाभ मिलता है। इन फेक अकाउंट्स के जरिए बच्चों में गंदी मानसिकता भरी जा रही है।
पिछले मार्च महीने में लॉकडाउन के पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने गोविंदाचार्य की हेट स्पीच को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। उस याचिका में फर्जी खबरों को हटाने की मांग की गई है। याचिका में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, ट्विटर पर नफरत फैलाने वाले भाषण को हटाने की मांग की गई है। याचिका में हेट स्पीच देने वाले नेताओं की संपत्ति जब्त करने की मांग की गई है।
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