लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं संस्कार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री अमीरचंद (Ameer Chand) को श्रद्धांजलि देने के लिए रविवार को निरालानगर स्थित माधव सभागार में स्मृति सभा का आयोजन किया गया। संस्कार भारती के कला साधकों और संघ परिवार के कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किया।
संस्कार भारती के राष्ट्रीय मंत्री चेतन जोशी ने इस मौके पर कहा कि देश की सांस्कृतिक धारा अपने प्रवाह का मार्ग खोज रही है। सांस्कृतिक धारा का प्रवाह आसान कैसे हो यह कार्य अमीरचंद ने हमारे ऊपर छोड़ा है। उन्होंने कहा कि कला साधना करते हुए राष्ट्र की सांस्कृतिक धारा में हम कितने मददगार हो सकते हैं।

यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। वह कहते थे अगर संस्कृति में हमने कुछ जोड़ा नहीं तो वह संस्कृति बचेगी नहीं। उनके स्वप्न बहुत बड़े थे। युवाओं को संस्कृति और संस्कारों से जोड़ने और विशेषकर युवा कलाकारों की विशेष चिंता करते थे। उनका अंतिम प्रवास भी युवाओं के साथ ही रहा।
कलाकारों को संस्कार भारती से जोड़कर प्रेरणा देने का काम किया
चेतन जोशी ने बताया कि Ameer Chand तवांग में 24 घंटे का कलायज्ञ करना चाह रहे थे। वह तवांग में तीन हजार कलाकारों द्वारा समवेत स्वर में वंदेमातरम गायन का कार्यक्रम कराना चाह रहे थे। उस कार्यक्रम का नाम उन्होंने सरहद को श्रद्धांजलि दिया था। हालांकि उन्हें वहां पर कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं मिली थी। तवांग से उनका विशेष लगाव था।
लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि उन्होंने ही हमें संस्कार भारती से जोड़ा था। उन्होंने हजारों कलाकारों को संस्कार भारती से जोड़कर उन्हें प्रेरणा देने का काम किया। संस्कार भारती ही उनका परिवार था। आज उनकी स्मृतियां ही हमारे बीच हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक राजेन्द्र ने कहा कि वह तपस्वी प्रचारक थे। उन्होंने कबीर दास की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि सुना मरे, आजपा मरे, अनहद ही मर जाय। राम स्नेही ना मेरे, कहत कबीर बुझाय। अर्थात सब मर जायेंगे लेकिन जिसने समाज रूपी संगठन की साधना की है वह मरते नहीं है केवल शरीर बदलते हैं।
कमल ज्योति पत्रिका के प्रबन्धक राजकुमार ने कहा कि स्व. अमीरचंद ने बिखरी हुई कला को एक मंच देने का काम किया। सामान्य परिवार और सामान्य परिवेश से निकले अमीरचंद ने पहली बार सभी विधाओं के पूर्वांचल के कलाकारों का एकत्रीकरण किया था।
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Ameer Chand ने बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर के कलाकारों कि पहचान की
पूर्व आईएएस अधिकारी अरविन्द नारायण मिश्र ने श्रद्धांजलि सभा में कहा कि वह दुर्लभ चरित्र थे। उनके कहे शब्द आज भी हमारे कानों में गूंज रहे हैं। उनके स्थान की भरपाई नहीं की जा सकती। यूपी में संस्कृति नीति को लेकर हमारी उनसी कई बार चर्चा हुई थी।
उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी के उपाध्यक्ष नानक चंद लखमानी ने कहा कि एक दिन जाना सबको है लेकिन कुछ लोग समाज के लिए इतना कर जाते हैं कि उन्हें भूलना कठिन हो जाता है। ऐसे थे हमारे अमीरचंद।
संस्कार भारती के प्रान्तीय अध्यक्ष गणेश ताम्रकार ने कहा कि Ameer Chand ने बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर के कलाकारों की पहचान कर उनको संगठन से जोड़ा। उन्होंने संस्कार भारती के कार्य के साथ अपना तादात्मय स्थापित कर लिया था।
इस मौके पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक अशोक केड़िया, दक्षिण भाग के संघचालक सुभाष अग्रवाल, संस्कार भारती के प्रांतीय पदाधिकारी दिनेश सिंह, कैंट विधायक सुरेश तिवारी, डॉ पूर्णिमा पाण्डेय और गिरीश चन्द्र समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।