नई दिल्ली, 02 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्रीय बजट केन-बेतवा लिंक परियोजना को गरीब, मध्यम वर्ग और युवाओं की बुनियादी जरूरतें उपलब्ध कराने वाला बताया। वहीं उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले बुंदेलखंड की सूरत बदलने के लिये केन-बेतवा लिंक परियोजना नदी जोड़ने की परियोजना तैयार है। इस परियोजना से किसानों के जीवन में भी बदलाव आएगा।
प्रधानमंत्री बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर करते हुये अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय बजट को लेकर पूरवर्ती सरकार और पिछले 7 वर्षों में भाजपा द्वारा लिये गये निर्णयों की तुलना की।
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से आज देश में करीब-करीब 9 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचने लगा है। इसमें से करीब-करीब 5 करोड़ से ज्यादा पानी के कनेक्शन जल जीवन मिशन के तहत पिछले दो वर्षों में दिये गये हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर घर जल… किसान समुदाय की सीधी मदद करता है, जब महिलाओं को पानी लेने के लिये दूर यात्रा नहीं करनी पड़ेगी। वे खेती में अधिक समय लगा सकेंगी। बजट में घोषणा की गई है कि इस साल करीब 4 करोड़ ग्रामीण घरों को पाइप से पानी का कनेक्शन दिया जाएगा। इसपर 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विशेष रूप से केन-बेतवा को लिंक करने के लिए जो हजारों करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, उससे उप्र और मप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र की तस्वीर भी बदलने वाली है। अब बुंदेलखंड के खेतों में हरियाली आएगी। घरों में पीने के लिये और खेतों में फसल के लिये पर्याप्त पानी आएगा।
उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में कोई क्षेत्र पिछड़ा रहे, यह ठीक नहीं है। इसलिए हमने आकांक्षी जिला अभियान शुरू किया था। इन जिलों में गरीबों की शिक्षा के लिये, स्वास्थ्य के लिये, सड़कों के लिये, बिजली-पानी के लिये जो काम हुये उसकी प्रशंसा संयुक्त राष्ट्र ने भी की है।
आगे उन्होंने कहा कि सीमा पर मौजूद गांवों के विकास के बारे में नये सिरे से सोचा गया है। ऐसे गावों में हर प्रकार की सुविधा हो, बिजली-पानी-सड़क का इंतजाम हो, इसके लिये बजट में विशेष वाइब्रेंट विलेज प्रोगाम का ऐलान किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हम नेचुरल फार्मिंग कॉरिडोर पर काम कर रहे हैं। यह कॉरिडोर 2500 किलोमीटर का होगा। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मां गंगा के किनारे पांच किलोमीटर चौड़ा नेचुरल फार्मिंग का कॉरिडोर तैयार किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि हर साल जो लाखों करोड़ रुपए हम खाद्य तेल खरीदने के लिये विदेश भेजते हैं, वह देश के किसानों को ही मिले, इसके लिये विशेष योजनाएं लागू की जा रही हैं। अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का एक बड़ा अभियान निरंतर चल रहा है, जिसके माध्यम से खेत में ही सोलर पैनल लगाने के लिए मदद दी जा रही है।
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