‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ जिसका अर्थ है ‘अंधेरे से ज्योति यानी प्रकाश की ओर जाइए’ इस कथन को सार्थक बनाता है दिवाली का त्यौहार। इस साल 4 नवंबर को दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा। रोशनी और उमंग के इस त्योहार का हिंदू धर्म में बेहद महत्व है। इसे पंचदिवसीय त्यौहार भी कहा जाता है, जो धनतेरस के त्योहार के दिन से शुरू होता है और भाईदूज त्योहार तक मनाया जाता है।
दिवाली का त्यौहार: धनतेरस का महत्व
इस साल 2 नवंबर को धनतेरस है। इस दिन बर्तन, गहने, कपड़े, सोना और चांदी खरीदने की परंपरा है। कहा जाता है कि धनतेरस के दिन खरीददारी करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है। इस दिन यमराज की पूजा भी की जाती है। इसी के साथ यमदीप जलाने की भी परंपरा चलती आ रही है।
कई देशों में मनाया जाता है यह त्योहार: हिन्दू धर्म मे दिवाली को उत्सव के रुप में मनाया जाता है, जिसके चलते इसे महापर्व कहा जाता है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली को असत्य पर सत्य की और अंधकार पर प्रकाश की विजय के उद्देश्य से मनाया जाता है।
इसलिए कहा भी जाता है कि असत्य की उम्र सत्य से कम होती है। भारत के साथ ही श्रीलंका, इंडोनेशिया, मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद, नेपाल, सिंगापुर, मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका में भी दिवाली का त्यौहार बेहद धूमधाम से मनाया जाता है।
प्राचीन समय से ही रोशनी के त्योहार को मनाने की है प्रथा
हिन्दू धर्म मे हर त्योहार का अपना महत्व होता है, उसी तरह से दिवाली का भी महत्व है। यह त्योहार पहली बार तब मनाया गया था जब 14 साल का वनवास काटकर राजा राम रावण का वद्य करके अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे थे। इसी खुशी में अयोध्या के लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दिवाली का त्योहार रोशनी के त्योहार के रूप में मनाने की प्रथा है।
इसके अलावा भी दिवाली की उत्पत्ति को लेकर और कई और मान्यताएं भी प्रचलित हैं। कई जगह मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का विवाह हुआ था, यह भी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी का जन्मदिन होता है, जिसके कारण दिवाली के दिन उनकी पूजा की जाती है। इसलिए अलग-अलग मान्यताओं के चलते इस त्योहार को मनाया जाता है।
दिवाली के दिन कई ऐतिहासिक घटनाएं भी हुई थी, इस दिन भगवान विष्णु ने वमन अवतार का रूप लेकर बाली की कैद से लक्ष्मी जी को छुड़ाया था। इसके अलावा भगवान कृष्ण के द्वारा नरकासुर का वध किया गया था। कहा जाता है नरकासुर ने 16,000 महिलाओं को बंदी बना के रखा हुआ था और कृष्ण जी ने उसका वध करके महिलाओं को छुड़ाया था।
कई मान्यताओं के कारण मनाया जाता है यह त्योहार
इस दिन विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था जो कि हिंदू धर्म के महान राजा थे, वही महार्षि दयानंद के द्वारा इस दिन निर्वान की प्राप्ति की गई थी। दिवाली का दिन जैन समुदाय के लिए भी खास होता है क्योंकि इसी दिन जैन गुरु महावीर को निर्वान की प्राप्ति हुई थी।
सिख समुदाय में भी इस त्योहार को बेहद खास तरीके से मनाया जाता है। कहते हैं इस दिन छठे सिख गुरु हरगोबिंद और 52 अन्य राजाओं को ग्वालियर फोर्ट में कैद से मुक्त किया गया था। पश्चिम बंगाल में दिवाली का त्योहार काली मां को समर्पित होता है।
यह त्योहार देता है सत्य और मर्यादा का संदेश: दिवाली का त्यौहार सत्य, कर्म, मर्यादा और सदभावना का संदेश देता है। यह आपसी प्रेम और एकता का त्योहार है। अमावस्या की काली रात में पटाखें और दीप चारों ओर से अंधेरे को ढककर अपना प्रकाश फैलाते हैं।
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दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन पूरे विधि-विधान से करना बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि धन की देवी अगर प्रसन्न रहे तो घर में खुशियां बनी रहती हैं। दिवाली पर मां लक्ष्मी के साथ गणेश व मां सरस्वती की भी पूजा की जाती है। दिवाली पर दीपों की पूजा का भी अपना विशेष महत्व होता हैं।
जानें, पूजा का शुभ मुहूर्त: इस साल 2 नवंबर को धनतेरस सुबह 8 बजकर 48 मिनट से शुरू होगा, जो कि 3 नवंबर को सुबह 7 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। वही 4 नवंबर को दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा।
इसके बाद 5 नवंबर को गोवर्धन पूजा की जाएगी और 6 नवंबर को भैया दूज मनाया जाएगा। इस बार दिवाली पर लक्ष्मी जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 09 मिनट से शुरू होगा और रात 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। पूजा की अवधि 01 घंटे 55 मिनट की है।
-सोनाली