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June 25, 2025
विचार

सऊदी अरब का कानून- स्वतंत्र हो रहीं सऊदी अरब की महिलाएं

सऊदी अरब ने अपने कानून में किया बड़ा बदलाव 

सऊदी अरब की आबादी 3 करोड़ से अधिक है और यह ऐसा एक देश है जो बेहद ही धन-संपत्ति से परिपूर्ण है । यहां के लोग अपना जीवन शान-शौकत में व्यतीत करते हैं । परंतु इतने स्मृद्ध होने के बावजूद यहाँ की महिलाओं को अभी तक उनके हक की आज़ादी नहीं मिली है । लेकिन हाल ही में महिलाओं की आज़ादी के लिए सऊदी अरब की सरकार ने बड़ा कदम उठाया है और सऊदी कानून के मद्देनज़र अब महिलाओं को पुरुषों से कोई भी कार्य करने के लिए उनकी आज्ञा नही लेनी पड़ेगी ।

अब वहाँ की महिलाओं को अपने जीवन को अपने तरीके से जी सकतीं हैं । यानी कि उन्हें अब कोई भी कार्य करने के लिए किसी की आज्ञा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी । यह पढ़ने में बड़ा ही सामान्य लग रहा होगा कि इसमें नई बात क्या है । लेकिन जिस देश की महिलाएँ सदियों से इसका पालन कर रहीं हैं इस कानून के हटने का सुख सिर्फ वही जान सकतीं हैं ।

सऊदी अरब का कानून
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यहाँ की महिलाएँ “शरिया कानून ” को मानती हैं जिसके तहत अगर कोई महिला को  यात्रा करना हो अपने देश के अंदर या बाहर या फिर अपना खुद का इलाज  कराना हो तो उसके के लिए भी पुरुष की आज्ञा लेना ज़रूरी है । अब पुरुष चाहे वो पति, पिता,भाई या चाचा हो। 2002 में एक हादसा हुआ जिसके चलते इस कानून की काफी आलोचना की गई ।

मामला यह था कि एक स्कूल में आग लग गई थी और लड़कियों के पास आग से अपनीं जान बचाने का पर्याप्त समय था और वह आराम से बाहर आ सकती थीं लेकिन वहां की धार्मिक पुलिस ने उन्हें बाहर नहीं आने दिया क्योंकि उन्होंने बुर्का नहीं पहना था और बड़ी वजह यह थी कि उनको किसी पुरुष से आज्ञा प्राप्त नहीं थी कि वह वहाँ से जा रहीं हैं ।

इन सबका का नतीजा यह रहा कि 15 बेकसूर लड़कियों की जान चली गई। इस हादसे ने सऊदी अरब सरकार की आँखे खोल देने वाला कार्य किया और तभी से वहाँ महिलाओं के उनके हक लिए कदम उठाने की कवायद शुरू कर दी गई थी । कुल-मिलाकर यह कानून यही बताता है कि अगर कोई भी छोटे -बड़े कार्य के लिए हर महिला को पुरुष की आज्ञा लेना अब तक ज़रूरी होता था और अगर आज्ञा ना मिले तो महिला खुद से ये सब कार्य नही कर सकती थी ।

हालांकि सऊदी अरब अब धीरे-धीरे महिलाओं की स्वतंत्रता के लिए कदम बढ़ा रहा है । उदाहरण के तौर पर 2011 में सऊदी अरब सरकार ने नगर निगम चुनावों के लिए महिलाओं को भी वोट डालने का अधिकार दिया था और 2015 में महिलाओं ने पहली बार वोट डाला था । इसके अलावा 2019 में महिलाओं को गाड़ी चलाने की इज़ाजत दी गई थी और अब महिला स्वतन्त्र होकर अपने कार्य कर सकती हैं और अगर वह चाहें तो परिवार के बिना भी अकेले रह सकतीं हैं अब उन्हें किसी की आज्ञा की आवश्यकता नहीं होगी ।

महिलाओं को उनके हक की आज़ादी दिलाने में महिला अधिकार कार्यकर्ता “अज़ीज़ा-अल-यूसुफ “का अहम योगदान है । इन्हीं की बदौलत आज महिलाओं को आज़ादी मिलनी शुरू हुई है । अब महिलाओं के खिलाफ तभी कोई शिकायत दर्ज की जाएगी जब उन्होंने कोई अपराध किया होगा। फिलहाल यह इस आज़ादी का लाभ वयस्क महिलाएँ ही उठा सकतीं हैं । अब देखना यही होगा कि आने वाले समय में सऊदी अरब और क्या-क्या कदम उठाता है महिलाओं की आज़ादी के प्रति।

यशस्वी सिंह (मीडिया छात्र)
इलाहाबाद विश्विद्यालय

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