लखनऊ: बच्चों मेंं आनुवंशिक विकारों (Genetic Disorder) का निदान सम्भव है। अब सभी जीन, विशेष रूप से रोग पैदा करने वाले जीन का परीक्षण एक बार में नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग [एनजीएस] तकनीक द्वारा किया जा सकता है। इस तकनीक से Genetic Disorder के निदान में मदद मिली है। अब बच्चों में अत्यंत दुर्लभ विकारों का निदान सम्भव है।
यह जानकारी संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) लखनऊ की आनुवंशिकी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. शुभा फड़के ने दी। वह शुक्रवार को केजीएमयू के बाल रोग विभाग के स्थापना दिवस पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रही थी। उन्होंने बताया कि 21वीं सदी की चिकित्सा में, एनजीएस आधारित एक्सोम अनुक्रमण और जीनोम अनुक्रमण कई रोगियों के लिए परीक्षण का पहला स्तर बन गया है।
इन परीक्षणों का उपयोग आनुवंशिक चिकित्सा में एक वरदान है। उन्होंने कहा कि जीन में डीएनए भिन्नता के कारण मोनोजेनिक विकार होते हैं। इन विकारों के लिए अभी तक डीएनए आधारित परीक्षण कराना चुनौतीपूर्ण था।
भारत में बढ़ रही सिस्टिक फाइब्रोसिस बीमारी
नई दिल्ली एम्स के अस्थमा और फेफड़ों के विशेषज्ञ प्रो. एस.के.काबरा ने सिस्टिक फाइब्रोसिस बीमारी पर कहा कि पिछले दो तीन दशकों में भारत में यह एक उभरती हुई बीमारी है। भारतीय बच्चों की आनुवंशिक प्रोफ़ाइल भी अलग है फिर भी स्वेट टेस्ट के माध्यम से इसकी पहचान कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि क्लिनिकल फीचर्स, बेसिक डायग्नोस्टिक टेस्ट और एक्वाजेनिक रिंकलिंग को भारत में स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रो. काबरा ने बताया कि जागरूकता की कमी और देरी से निदान होने के कारण बीमारी की जटिलता बढ़ जाती है। इसलिए इस बीमारी की पहचान कर समय पर इलाज करने की आवश्यकता होती है।
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केजीएमयू के बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो.शैली अवस्थी ने बताया कि कोविड संक्रमण वाले बीमार बच्चों के प्रबंधन के लिए विभाग का अपना कोविड पीआईसीयू और एनआईसीयू था। विभाग कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर के लिए डॉक्टरों और नर्सों के ऑनलाइन प्रशिक्षण में सक्रिय रूप से यह विभाग शामिल रहा है।
अब तक लगभग 5000 डॉक्टरों और 5000 नर्सों को यह प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि विभाग ने बाल रोग विशेषज्ञों और रोगियों के लाभ के लिए एक यू ट्यूब चैनल शुरू किया है। स्थापना दिवस समारोह के उदघाटन अवसर पर केजीएमयू के कुलपति डाॅ. बिपिन पुरी भी उपस्थित थे।