नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को “अप्रेंटिशिप (प्रशिक्षुता) अर्थात इंटर्नशिप युक्त डिग्री कार्यक्रम के लिए उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) के दिशानिर्देश” का लोकार्पण किया। इसका उद्देश्य सामान्य डिग्री पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को रोजगार के योग्य बनाना है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत उच्चतर शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार पर कॉन्क्लेव’ के समापन सत्र में यू.जी.सी. के दिशानिर्देश का लोकार्पण करते हुए निशंक ने कहा कि इन दिशानिर्देशों के माध्यम से पहली बार सामान्य शाखा में स्नातक कार्यक्रम को डिग्री कार्यक्रम के एक भाग के रूप में अप्रेंटिसशिप प्रदान करने के लिए डिजाइन किया जाएगा।
युवाओं को रोजगार के योग्य बनाना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी
रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि पाठ्यक्रम में रोजगार क्षमता सहायता के सुदृढ़ पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के लिए बड़ी संख्या में सामान्य डिग्री पाठ्यक्रम में अप्रेंटिसशिप व इंटर्नशिप कार्यक्रम को सम्मिलित करने के लिए विश्वविद्यालय आगे आयें।
उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसर सृजित करने के साथ-साथ युवाओं को रोजगार के योग्य बनाना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है जो कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में भी परिलक्षित होती है। सामान्य शाखा के विद्यार्थियों की रोजगार योग्यता में सुधार के लिए 2020-21 की बजट घोषणा में अप्रेंटिसशिप युक्त डिग्री आरंभ करने का प्रावधान किया गया था।
उन्होंने कहा कि 2030 तक भारत में सबसे अधिक कामकाजी आयु की जनसंख्या होने जा रही है। रोजगार सृजन के लिए उद्योगों की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा के लिए नए दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी।
समापन सत्र में दिशानिर्देशों के लोकार्पण के अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव अमित खरे, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह तथा सचिव, प्रो. रजनीश जैन भी उपस्थित थे। इससे पहले कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया था।
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