उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को दिल्ली विधानसभा में 2021-22 का आउटकम बजट पेश किया। आउटकम बजट अभिभाषण खत्म करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ‘आउटकम बजट शासन प्रणाली का एक अभिन्न अंग बन गया है और सरकार को उनके प्रदर्शन के आधार पर सभी विभागों को रैंक करने में मदद करता है।” सभी विभाग अब अधिक सक्रिय और लक्ष्य आधारित दृष्टिकोण से काम कर रहे है, जिससे बेहतर परिणाम मिलता है।”
वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार पिछले चार सालों से आउटकम बजट पेश कर अपने किये गए कामों और सार्वजनिक व्यय को पूरी पारदर्शिता के साथ जनता के सामने रखने वाली भारत की एकमात्र सरकार है।

सरकार द्वारा शुरू की गई एक नई पहल
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि आउटकम बजट दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गई एक नई पहल है और 2017-18 के बाद लगातार चौथे साल दिल्ली का आउटकम बजट पेश किया गया है। आउटकम बजट सरकार को जवाबदेह बनाने की एक अनूठी पहल है और पूरे देश में इसका कोई और उदाहरण नहीं है। उन्होंने बताया कि आउटकम बजट के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि सरकार द्वारा लोकहित के जो भी कार्य किये गए उससे लोगों को कितना लाभ मिला। साथ ही आउटकम बजट पिछले सत्र में विभिन्न विभागों को किये गए धन आवंटन के आधार पर उनके प्रदर्शन का रिपोर्ट कार्ड भी है।
कोरोना काल में शिक्षा पर पूरा ध्यान
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना काल एक सामान्य सत्र से होने वाली कक्षाओं की तुलना में 220 की जगह 229 दिन ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन किया गया। जिसमें 89 से 98 प्रतिशत बच्चों ने उपस्थिति दर्ज करवाई। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा कोरोना काल में ‘पेरेंटिंग इन दा टाइम ऑफ कोरोना’ जैसी श्रृंखला की शुरुआत की गई। मिड डे मील कार्यक्रम के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए बच्चों को जुलाई से दिसंबर 2020 की अवधि के लिए सूखे राशन किट का वितरण किया गया।
उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में दिल्ली पूरे भारत का एकमात्र ऐसा राज्य था जिसने अपने पूरे बजट का 23.2 प्रतिशत शिक्षा को दिया। शैक्षणिक सत्र 2019-20 में 12वीं का उत्तीर्ण प्रतिशत 97.92 प्रतिशत रहा और 10वीं का रिजल्ट 82.61 प्रतिशत रहा। साथ ही साथ दिल्ली के 728 भवनों में से 459 में सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम पूरा हो चुका है।
राजस्व : रोज 10 लाख लोगों को दिन में दो बार पका हुआ भोजन दिया
दिल्ली के राजस्व विभाग ने कोरोना के दैरान 1941 हंगर रिलीफ सेंटर की शुरुआत की जहां तीन महीने तक लागतार, रोज 10 लाख लोगों को दिन में दो बार पका हुआ भोजन दिया गया। लॉकडाउन के दौरान बेघर हुए लोगों के लिए दिल्ली में 260 अतिरिक्त रैन बसेरों का निर्माण किया गया। दिल्ली सरकार ने लॉकडाउन में लगभग चार लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य भेजने का काम किया। वहीं कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले फ्रंट लाइन कर्मचारियों के परिवार को सरकार की तरफ से एक करोड़ रुपयों की सहायता राशि दी गई।

स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान
कोरोना पर नियंत्रण करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा 31 दिसंबर तक 87.8 लाख जांच किये गए। संक्रमण को रोकने के लिए होम आइसोलेशन और प्लाज़्मा थैरेपी शुरू करने वाला दिल्ली पहला राज्य बना। होम आइसोलेशन के दौरान सरकार ने लोगों को 60,042 ऑक्सिमीटर और 3000 से ज्यादा ऑक्सिजन कॉन्सन्ट्रेटर उपलब्ध करवाए। दिल्ली सरकार ने कोरोना के दौरान दिल्ली के अस्पतालों में 27873 कोविड बेड उपलब्ध करवाए। उल्लेखनीय है कि इनमें से आधे ज्यादातर समय खाली रहे। दिसम्बर 2020 तक दिल्ली में 496 आम आदमी मोहल्ला क्लीनिकों की स्थापना की गई।
खाद्य और नागरिक आपूर्ति
लॉकडाउन के दौरान पका हुआ भोजन करवाने के अलावा दिल्ली सरकार ने अप्रैल से नवंबर तक 71 लाख राशनकार्ड धारकों और अप्रैल से मई तक 60.4 लाख गैर-राशनकार्ड धारकों को मुफ्त में सुखा राशन उपलब्ध करवाया। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा 26 लाख लोगों को ड्राई राशन किट भी मुहैया करवाया गया। इसी क्रम में दिल्ली सरकार ने निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड के अंतर्गत पंजीकृत श्रमिक जिन्हें लॉकडाउन में अपनी आजीविका से हाथ धोना पड़ा ऐसे 44683 श्रमिकों को 10000 रुपयों की सहायता राशि दी।
यातायात पर किया काम
दिल्ली सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 1,56,350 परमिट, पीएसवी बैज धारकों को 5000 रुपयों की सहायता राशि दी। इनमें ऑटो, ई-रिक्शा, फटफट सेवा, ग्रामीण सेवा, स्कूल कैब के चालक शामिल थे। दिल्ली सरकार द्वारा अगस्त 2020 में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी लागू किया गया। इसमें दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर लोगों को सब्सिडी दे रही है। दिल्ली सरकार द्वारा 5200 डीटीसी और क्लस्टर बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। साथ ही साल 2020-21 में डीटीसी और क्लस्टर बसों में महिलाओं को 19.3 करोड़ मुफ्त यात्रा टिकट दिए गए।
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