नई दिल्ली, 09 फरवरी (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में रोहतांग दर्रे के करीब लगभग 10 हजार 171 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई 9 किलोमीटर लंबी रणनीतिक अटल सुरंग बुधवार को ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में दर्ज हो गई। भारतीय प्रतिनिधि डब्ल्यूबीआर लंदन के अध्यक्ष डॉ. दिवाकर सुकुल ने दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग का प्रमाण पत्र आज सीमा सड़क के महानिदेशक (डीजीबीआर) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी को सौंपा। अटल सुरंग का उद्घाटन 03 अक्टूबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की याद में इसे ‘अटल रोहतांग टनल’ नाम दिया गया है।
ऊंचाई के लिहाज से यह दुनिया की पहली सुरंग है, जिससे पाकिस्तान-चीन बॉर्डर पर भारत की ताकत बढ़ी है। निर्माण शुरू होने पर इसकी डिजाइन 8.8 किलोमीटर लंबी सुरंग के रूप में बनाई गई थी लेकिन निर्माण पूरा होने पर जब जीपीएस रीडिंग ली गई तो सुरंग की लम्बाई 9 किमी. निकली। दस मीटर चौ़ड़ी इस सुरंग को 10,171 फीट की ऊंचाई पर रोहतांग पास से जोड़कर बनाया गया है।
अटल टनल शुरू होने पर मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है। पहले मनाली घाटी से लाहौल और स्पीति तक की यात्रा में आमतौर पर पांच घंटे से अधिक समय लगता था जो अब 10 मिनट से कम समय में पूरा हो रहा है। यह सुरंग 13 हजार 50 फीट की ऊंचाई पर स्थित रोहतांग दर्रा तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग भी है।
हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रेणी में बनी इस सुरंग में एक आपातकालीन रास्ता भी है, जिसे मुख्य सुरंग के नीचे बनाया गया है। सुरंग में हर 150 मीटर पर एक टेलीफोन, हर 60 मीटर पर अग्नि हाइड्रेंट, हर 500 मीटर पर आपातकालीन निकास, हर 2.2 किमी में गुफा, हर एक किमी. पर हवा की गुणवत्ता की निगरानी प्रणाली, हर 250 मीटर पर सीसीटीवी कैमरों के साथ प्रसारण प्रणाली और घटना का पता लगाने वाली स्वचालित प्रणाली लगाई गई है।
सीमा सड़क संगठन ने (बीआरओ) ने करीब 4 हजार करोड़ रुपये की लागत से यह सुरंग घोड़े की नाल के आकार में बनाई है। अटल सुरंग का उद्घाटन होने के बाद से पर्यटन गतिविधियों में 622% की तेजी देखी गई है जिससे इस सुरंग ने क्षेत्र में विकास और सामाजिक-आर्थिक विकास के एक नए युग की शुरुआत की है।
इस मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा कि यह आयोजन आधिकारिक तौर पर हमारे वर्चस्व पर मुहर लगाता है और हमारी असाधारण क्षमताओं को भी प्रमाणित करता है, जिस पर प्रत्येक भारतीय को गर्व महसूस करना चाहिए। उन्होंने सुरंग निर्माण के दौरान आईं विभिन्न
अकल्पनीय कठिनाइयों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे सुरंग ने पूरे क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता को बदल दिया है। उन्होंने इस प्रतिष्ठित परियोजना से जुड़े सभी रैंक के अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बीआरओ रिकॉर्ड तोड़ गति से सेला और नेचिफू सुरंग का निर्माण कर रहा है और दोनों परियोजनाएं जल्द ही राष्ट्र को समर्पित की जाएंगी।
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