डिमा हसाउ: असम सरकार को राज्य में शांति बहाली के मोर्चे पर आज फिर बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। राज्य के डिमा हसाउ पहाड़ी जिला के नवगठित उग्रवादी संगठन दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) के मुखिया समेत सभी 80 कैडरों ने आज पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके चलते डिमा हसाउ जिला पूरी तरह से उग्रवाद मुक्त हो गया है।
डीएचडी (जे) और डीएचडी के बाद इस बार डीएनएलए उग्रवादी संगठन भी हथियारों को सौंपकर राष्ट्र की मुख्यधारा में लौट आया। शनिवार को आत्मसमर्पण कार्यक्रम जिला मुख्यालय हाफलांग से लगभग 120 किलोमीटर दूर माइबांग सब डिवीजन के खेप्रे खेल मैदान में आयोजित किया गया।
डीएनएलए के अध्यक्ष इतिका डिफूसा, स्वयंभू मुख्य सेनाध्यक्ष युद्धासान हाफलंगबार और उग्रवादी संगठन के महासचिव प्रीतमजीत जिडूंग के नेतृत्व में संगठन के सभी कैडरों ने अपने हथियार सरकार को सौंपते हुए राष्ट्र की मुख्यधारा में लौट आए।
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इस मौके पर एडीजीपी (विशेष) हिरेन नाथ, आईजीपी (कानून व्यवस्था) दीपक केडिया, उत्तर कछार पहाड़ी स्वायत्तशासी परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य देबोलाल गार्लोसा, नवागंतुक जिलाधिकारी नाजरीन अहमद, पुलिस अधीक्षक जयंत सिंह आदि मौजूद थे।
गौरतलब है कि इसी साल सात सितम्बर को उग्रवादी समूह डीएनएलए ने सरकार के साथ एकतरफा युद्धविराम का ऐलान किया था। इसके बाद 28 अक्टूबर को गुवाहाटी में उग्रवादी संगठन डीएनएलए के अध्यक्ष इतिका डिमासा द्वारा असम में मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा की मौजूदगी में संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए। उक्त समझौते के आधार पर आज डीएनएलए संगठन आधिकारिक तौर पर हथियारों को पुलिस अधिकारियों को सौंपकर राष्ट्र की मुख्यधारा में लौट आया।