इटावा : दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर इटावा के पास भदान और बलरई रेलवे स्टेशन के बीच रेल पटरी फ्रेक्चर होने से डाउन रेलवे ट्रैक पर देर रात रेल यातायात बाधित हो गया। इस बीच नई दिल्ली से कानपुर जा रही शताब्दी एक्सप्रेस के ड्राइवर ने रेलवे ट्रैक फ्रेक्चर देखकर ट्रैन को रोक दिया। चालक ने ट्रैक फ्रेक्चर होने की सूचना रेलवे कंट्रोल रूम को दी।
सूचना मिलने के बाद हरकत में आये रेलवे के आलाधिकारी और इंजीनियरों की टीम देर रात में रेलवे ट्रैक को दुरुस्त करने में जुट गई। इस दौरान डाउन रेलवे ट्रैक पर शताब्दी, राजधानी समेत एक दर्जन से ज्यादा महत्वपूर्ण सवारी गाड़ियों का संचालन बाधित हो गया। करीब ढाई घण्टे से ज्यादा की मशक्कत के बाद रेलवे ट्रैक दुरुस्त करने के बाद रेल यातायात को पहले की तरह शुरू करवाया गया।
जानकारी के मुताबिक, इटावा जनपद में बलरई और भदान रेलवे स्टेशन के बीच पोल संख्या 1182/20 के पास नई दिल्ली से कानपुर जा रही शताब्दी एक्सप्रेस के ड्राइवर को रेल पटरी फ्रेक्चर दिखाई पड़ी। जिसके बाद रेल चालक ने रेल को वही पर रोककर घटना की जानकारी रेलवे के कंट्रोल रूम में दी। जानकारी मिलने के बाद रेलवे के अधिकारियों और इंजीनियरों की टीम ने मौके पर पहुंचकर रेलवे ट्रैक को दुरुस्त करने का काम शुरू कर दिया। इस दौरान डाउन रेलवे ट्रैक पर जा रही शताब्दी, राजधानी, पूर्वा एक्सप्रेस समेत एक दर्जन से ज्यादा महत्वपूर्ण सवारी गाड़ियों को टूंडला और बलरई रेलवे स्टेशन के बीच में रोकना पड़ा। करीब ढाई घण्टे से ज्यादा की मशक्कत के बाद रेलवे ट्रैक को सही कर उस पर रेल यातायात को पहले की तरह शुरू करवाया गया। इसके बाद एहतियातन सभी ट्रेनों को धीमी गति से उनके गन्तव्य के लिए रवाना किया गया।
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रेलवे के सूत्रों की माने तो, सोमवार नई दिल्ली से कानपुर जा रही ट्रैन संख्या 2034 शताब्दी एक्सप्रेस के चालक को देर शाम बलरई और भदान रेलवे स्टेशन के बीच पोल संख्या रेलवे ट्रैक फ्रैक्चर दिखाई दिया। जिसके बाद रेल चालक ने गाड़ी को रोककर मामले की सूचना रेलवे के कंट्रोल रूम में दी। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे रेलवे के अफसर और इंजीनियरों की टीम ने करीब 55 मिनट के बाद शताब्दी एक्सप्रेस को दस किलोमीटर की स्पीड से गुजारा। जबकि उसके पीछे आ रही राजधानी समेत एक दर्जन से ज्यादा ट्रेनों को टूंडला समेत अन्य स्टेशनों पर रोका गया। रेलवे ट्रैक को ढाई घण्टे से ज्यादा की मशक्कत के बाद दुरुस्त करने के बाद रेल यातायात को पहले की भांति शुरू किया गया और सभी ट्रेनों को कॉशन लगाकर धीमी गति से निकाला गया।