रांची: झारखंड राज्य के किसान उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में रुचि ले रहे हैं। इनके लिए परम्परागत खेती अब बीते समय की बात हो गई है। समय की जरूरत को देखते हुए किसान फलों, सब्जियों, औषधीय पौधों, फूलों की खेती एवं मधु का उत्पादन कर आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
राज्य सरकार इसमें किसानों को भरपूर सहयोग दे रही है। किसान झारखंड की माटी में उपजे फलों की मिठास और फूलों की सुगन्ध बिखेर कर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहे हैं। राज्य की जलवायु एवं भौगोलिक स्थिति उद्यानिकी फसलों के लिए काफी उपयुक्त हैं।
पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहां पर उद्यानिकी फसलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं। अधिक से अधिक किसान उद्यानिकी फसलों की खेती से जोड़े जाएं। मुख्यमंत्री की पहल पर किसानों को उद्यान से जोड़ा जा रहा हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्वि के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
फल उत्पादन में ले रहे हैं रुचि
राज्य के किसान फल उत्पादन में भी रुचि दिखा रहे हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2020-21 में फलों की खेती 100.27 हजार हेक्टेयर में की गई। इससे 1203.64 हजार मीट्रिक टन फल का उत्पादन हुआ। प्रति हेक्टर12 टन उत्पादन हुआ, जबकि राष्ट्रीय उत्पादकता 14.82 मीट्रिक टन प्रति हे़क्टेयर हैं।
इस अवधि में 295.95 हजार हेक्टेयर में सब्जी की खेती की गई। इसमें 3603.41 हजार मीट्रिक टन सब्जी का उत्पादन हुआ। 12.17 टन प्रति हेक्टेयर सब्जी का उत्पादन हुआ। राष्ट्रीय उत्पादकता 18.4 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है। फूलों की खेती में भी झारखंड अग्रसर है।
झारखण्ड में 0.99 हजार हेक्टेयर में फूलों की खेती कर किसानों ने 4.64 हजार मीट्रिक टन फूल का उत्पादन किया। 4.68 टन प्रति हेक्टेयर फूल का उत्पादन हुआ जबकि राष्ट्रीय उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 6.57 मीट्रिक टन है।
उत्पादन बढ़ाने के लिए किये गए कार्य
झारखंड राज्य के किसान उद्यानिकी फसलों से होने वाले मुनाफे से वाकिफ हैं। यही वजह है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में फलों की खेती 110.57 हजार हेक्टेयर में हो रही है। अभी तक उत्पादन 1337.897 हजार मीट्रिक टन हुआ है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन 12.1 टन है।
इसके अतिरिक्त 304 हजार हेक्टेयर में सब्जी की खेती हो रही है। अब तक 4061.44 मीट्रिक टन सब्जी का उत्पादन हुआ है। वहीं 1.1 हजार हेक्टेयर में फूलों की खेती की गई, जिससे 5.522 हजार टन फूल का उत्पादन हुआ। झारखंड में प्रति हेक्टेयर 5.02 टन फूल का उत्पादन हो रहा हैं। विभाग ने आने वाले वर्षों में क्षेत्रफल एवं उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है।
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उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण
उद्यानिकी फसलों के उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों के लिए 90 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, ताकि किसान उद्यानिकी फसलों के बारे में नवीनतम जानकारी प्राप्त करें और शहरी क्षेत्रों में अरबन फार्मिंग को बढ़ावा दिया जा सके।
राज्य सरकार ने फसल उत्पादन के बाद पैक हाउस, प्रिजर्वेशन यूनिट, कोल्ड रूम, राइपिंग चेम्बर इत्यादि के निर्माण की योजना बनाई है। सब्जी एवं फूल की खेती के लिए ग्रीन हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग को बढ़ावा देने का भी काम हो रहा है।
झारखंड के किसान लगा सकते हैं इकाई
राज्य में उद्यानिकी फसलों के उत्पाद को नुकसान से बचाने के लिए प्रसंस्करण की आवश्यकता होती है। सब्जियों एवं मसालों में विशेषकार टमाटर, अदरक, मिर्च, लहसुन तथा कटहल के पाउडर के प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव है।
प्रसंस्करण से उत्पादों का गुण, स्वाद, बनावट आदि संरक्षित रहता है। राज्य के किसानों को प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के लिए प्रति इकाई परियेाजना लागत का अधिकतम 55 प्रतिशत अनुदान प्रस्तावित है।
साथ ही कृषकों द्वारा उत्पादित फल एवं सब्जी को सुखाकर प्रिजर्वेशन यूनिट में संरक्षित किया जाता है। इसके लिए सरकार के स्तर से कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदानित राशि भी दी जाती है। इससे कृषक लाभ उठाकर अपने आय की वृद्धि करते है।
क्रय शक्ति बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता
उद्यान में किसान एक से अधिक फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। किसानों को इस से जोड़कर उनकी क्रय शक्ति को बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर किसानों के उत्पाद के भण्डारण के लिए कोल्ड स्टोरेज की कमी को दूर किया जा रहा है।
आने वाले वर्षो में इसका अच्छा परिणाम देखने को मिलेगा। राज्य में कृषकों को क्षमता विकास के अन्तर्गत मधुमक्खी पालन कर मधु उत्पादन एवं विपणन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर करने के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1200 कृषकों को 25 दिन का आवासीय प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव है।
उद्यानिकी के क्षेत्र में आठ हजार ग्रामीण युवाओं को माली प्रशिक्षण के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा देने का प्रस्ताव है। मशरूम उत्पादन के लिये किसानों को 05 दिनों का सर्टिफिकेट कोर्स का प्रशिक्षण दिये जाने का प्रस्ताव है।
हर्बल पार्क की स्थापना की योजना
राज्य में किसानों को हर्बल पौधों की खेती करने एवं उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर्बल उद्योगों के क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए पायलॉट प्रोजेक्ट के तहत प्रथम चरण में राज्य में हर्बल पार्क की स्थापना का प्रस्ताव है।
राज्य के कृषि निदेशक निशा उरांव ने कहा कि झारखंड के किसान हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में भी आगे बढ़े, इस निमित सरकार हर सम्भव सहयोग कृषकों को दे रही है। इसका प्रतिफल है कि कृषक फलों, सब्जियों और फूलों की खेती में दिलचस्पी दिखा रहें हैं।