जब से कोरोना वायरस ने भारत में अपना कहर ढाया है तब से देश बुरा दौर झेल रहा है। लेकिन इन सब के बीच बेहद ही सकारात्मक खबर सामने आई है ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर शहर से जहाँ वह लोग जो कोरोना वैक्सीन लगवाने के योग्य थे उनको कोविड वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी है।
इसी के साथ यह देश का पहला शहर बन गया है जहाँ पर लोग पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुके हैं। अभी हाल ही में ओडिशा का पुरी भी चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि इस शहर में 24×7 पानी की सप्लाई हो रही है।
भुवनेश्वर शहर की पूरी आबादी को वैक्सीनेट करने की शुरुआत कैसे हुई?
भुवनेश्वर म्युनिसिपल कारपोरेशन ने 18 लाख टीके लगाने का लक्ष्य जुलाई 2021 के अंत तक निर्धारित किया था और इसमें यह कामयाब रहे। 2 अगस्त के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार अभी तक 18,50,000 से अधिक टीके लगाए जा चुके हैं जिनमें 18-44 वर्ष के लोगों की संख्या 5.15 लाख से अधिक है तो 45 वर्ष से अधिक लोगों की संख्या 3.20 लाख से अधिक है और इसके अलावा सुरक्षाकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी और अन्य कर्मचारियों को भी टीके लगाए गए हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार भुवनेश्वर की आबादी 8.40 लाख है। ऐसे में वर्तमान समय में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अब करीब 11 लाख से अधिक जनसँख्या हो गई होगी। इनमें से 9 लाख लोग ऐसे हैं जो कि टीकाकरण के योग्य थे और करीब डेढ़ से दो लाख लोग ऐसे हैं जो दूसरे शहर या आसपास के जिलों से यहाँ काम करने आए हैं या पढ़ने आए हैं उनका भी वैक्सिनेशन हुआ है।
दोनों डोज देने की क्या रणनीति बनाई?
सबसे पहले इन्होंने उस वर्ग की पहचान की जिन्हें वैक्सीन की सख्त ज़रूरी थी और उनका वैक्सिनेशन पहले किया गया। जैसे जो स्वास्थ्य कर्मचारी हैं उन्हें जनवरी से ही वैक्सीन लगनी शुरू हो गई थी। फिर फ्रंटलाइन कर्मचारी और उसके बाद 60 वर्ष से अधिक लोगों को वैक्सीन देने की शुरुआत की गई।
इसके बाद वह लोग जिनका लोगों से मिलना अधिक होता है जैसे कैब ड्राइवर, रिक्शा चालक और सामानों की डिलवरी करने वाले लोगों को वैक्सीनेट किया गया। दूसरी रणनीति यह थी कि यहाँ वैक्सिनेशन सेंटर बहुत खोले गये थे जिसकी वजह से लोगों को कोई दिक्कत नहीं हुई।
भुवनेश्वर शहर में 55 वैक्सिनेशन के सेंटर खोले गए हैं जिनमें 10 “ड्राइविंग सुविधा” भी दी गई थी। यानी अगर कोई व्यक्ति गाड़ी से वैक्सीन लगवाने आता है तो उसका वैक्सिनेशन गाड़ी पर ही हो जाएगा यहाँ तक कि उसे उतरने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
इसके अलावा 15 “मोबाइल सेंटर वैन” बनाए गए थे जिसमें वे लोग जो वैक्सिनेशन सेंटर नहीं आ सकते जैसे बुजुर्ग या दिव्यांग। ऐसे में यह वैन उन तक पहुंच जाती थी और उनको वैक्सीनेट कर दिया जाता था।
सबसे खास बात यह है कि जो लोग कोविन एप पर अपना पंजीकरण नहीं कर पा रहे थे उनके लिए “केयरटेकर” की सुविधा उपलब्ध कराई गई और यही उनका पंजीकरण किया करते थे। तीसरी रणनीति यह थी कि बड़े स्तर पर लोगों को जागरूक किया गया ताकि सभी लोग वैक्सीन लगवाएं।
कई लोग जिन्हें वैक्सीन को लेकर डर था या इसे नहीं लगवाना चाहते थे तब उनके घर-घर जाकर वहाँ के लोगों को प्रेरित किया गया। अंततः यह सभी रणनीति काम आई और पूरे शहर को फुल वैक्सीनेट कर दिया गया।
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अब आगे की क्या तैयारियां हैं?
फिलहाल तो पूरे शहर के लोगों का वैक्सिनेशन हो गया है लेकिन अब ज़ोर शहरी प्रवासी मजदूरों पर दिया जा रहा है जो दूसरे जिलों से सुबह आते हैं और काम करके शाम को वापस जाते हैं।
ऐसे में इन्हीं व्यक्तियों का टीकाकरण अब होना है। साथ ही जो गर्भवती महिलाएँ हैं उनके लिए भी टीकाकरण की शुरुआत हो गई है और सेंटर में सिर्फ यही महिलाएँ जा सकेंगी ताकि अन्य लोगों की भीड़ ना हो।
इसके अलावा वह प्रवासी मजदूर जिनकी दूसरी डोज बाकी रह गई है उनका भी टीकाकरण अब तेज़ी से किया जाएगा। तो कुल-मिलाकर जहाँ अन्य राज्यों के सामने टीकाकरण एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ा है तो दूसरी ओर भुवनेश्वर ने फुल वैक्सिनेशन करके यह सिद्ध कर दिया है कि यदि बेहतर रणनीति का इस्तेमाल किया जाए तो देश में टीकाकरण की रफ्तार और तेज़ हो सकती है।
जिस प्रकार से शानदार प्रयास ओडिशा के द्वारा किया जा रहा है उसे देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि अब वह दिन दूर नहीं जब ओडिशा देश का पहला राज्य बनेगा जहाँ के लोगों को दोनों डोज दी जा चुकी होगी।
टीकाकरण करने में देश की क्या स्थिति है?
बहरहाल, वर्तमान में देश के 49 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो चुका है और यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि दिसम्बर 2021 तक देश के सभी लोगों का टीकाकरण किया जा सके।
फिलहाल पिछले कुछ दिनों से वैक्सिनेशन की रफ्तार धीमी पड़ गई थी मगर अब फिर से तेज़ हो गई है और जिस हिसाब से अभी की स्थिति है उसे देख कर यही अनुमान लगाया जा सकता है कि दिसम्बर महीने तक कम से कम वैक्सीन की एक डोज तो सभी देशवासियों को लग ही जाएगी।
राहत की बात यह है कि लोग अब वैक्सीन के प्रति जागरूक हो रहे हैं और खुद ही अब आगे आ रहे हैं। अब देखना यह होगा कि भारत में फुल वैक्सिनेशन कब तक हो पाता है।
-यशस्वी सिंह