भारतीय मुक्केबाजों ने शनिवार को जर्मनी के कोलन में सम्पन्न हुए मुक्केबाजी विश्व कप में नौ पदक जीते। जिनमें तीन स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य शामिल हैं। मुक्केबाजी विश्व कप में भारत की ओर से पांच महिला और आठ पुरुष मुक्केबाजों ने हिस्सा लिया था।
तीन स्वर्ण पदक हासिल करने वाले मुक्केबाज अमित पंघाल, मनीषा मौन और सिमरनजीत कौर हैं। भारत की एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक विजेता सिमरनजीत कौर ने सेमीफाइनल में प्रभावित किया और खिताबी मुकाबले में जर्मनी की स्थानीय मुक्केबाज माया क्लेनहंस को शिकस्त खिलाफ मुकाबला किया। 25 वर्षीय मुक्केबाज ने फाइनल में माया को कोई मौका नहीं दिया और 60 किग्रा वर्ग में सफलतापूर्वक स्वर्ण पदक पर कब्जा किया।
महिला मुक्केबाजी के 57 किग्रा वर्ग के फाइनल में दो भारतीय मुक्केबाज मनीषा मौन और दो बार के एआईबीए महिला युवा विश्व चैंपियन साक्षी चौधरी आमने-सामने थीं। इस मुकाबले को मनीषा ने 3 -2 से जीतकर स्वर्ण पर कब्जा किया,जबकि साक्षी को रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
2018 एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता
2019 के एएसबीसी एशियाई चैंपियन पंघाल ने पुरुषों के फ्लाइवेट (52 किग्रा) में राउंड-रॉबिन प्रतियोगिता जीती। 25 वर्षीय पंघाल ने सेमीफाइनल में फ्रांस के विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता बिलाल बेननमा को 5-0 से हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की की। जहां उन्हें जर्मनी के अरगिष्टी टर्टरयान ने वाकओवर दे दिया और पंघाल ने फाइनल में बिना लड़े स्वर्ण पदक हासिल कर लिया।
पंघाल के अलावा सतीश कुमार (91 किग्रा से अधिक) शनिवार को चोट के कारण जर्मनी में चल रहे कोलोन मुक्केबाजी विश्व कप के फाइनल में नहीं उतर सके जिससे उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता सतीश कुमार ने सेमीफाइनल में फ्रांस के जामिली डिनी मोइनडेज को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। लेकिन उन्हें चोट के कारण जर्मनी के नेल्वी टियाफैक के खिलाफ फाइनल मुकाबले से हटना पड़ा। सोनिया लाठेर (57 किग्रा), पूजा रानी (75 किग्रा) गौरव सोलंकी (57 किग्रा) और मोहम्मद हुसामुद्दीन (57 किग्रा) ने अपने-अपने वर्ग में कांस्य पदक जीता।
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