-वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 15 दिवसीय खादी प्रदर्शनी का आयोजन
खादी उत्पाद प्रदर्शन: अरे वाह! बहुत शानदार, यह आपका लूम है।….जी हां, सामने से फिर पूछा गया, आप चलाती हैं इसे। शशिकला देवी उत्साह के साथ बोलीं बिल्कुल मैं ही इसे चला रही हूं। इतना सुनकर, प्रश्न पूछ रहे सज्जन अपने को रोक नहीं पाए और बोले कि जरा मुझे भी दिखाओ, अपना करघा चला कर, मैं इसे चलते हुए देखना चाहता हूं।
इसके बाद शशिकला ने अपना करघा चला दिया, सामने जो विशेष अतिथि एवं अन्य लोग थे, उन्होंने देखा कि कैसे करघा चलता है और खादी बुनाई की जाती है। यह संवाद कुछ अन्यों के साथ भी यहां हुआ। अगले क्रम पर लगे चरखे और करघे को भी चलवाकर देखा जाता रहा और अतिथि संतुष्ट हो आगे बढ़ते रहे।
दरअसल, यह दृष्य है वाराणसी का। वहां केंद्रीय MSME राज्यमंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा 20 भारतीय राज्यों के उत्कृष्ट हस्तशिल्प उत्पादों को प्रदर्शित करने वाली एक अत्याधुनिक खादी उत्पाद प्रदर्शनी का उद्घाटन करने पहुंचे थे।
जब उन्होंने खादी की इस आधुनिक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया तो वे कारीगरों के साथ संवाद करने से अपने को नहीं रोक सके। उत्साह के इस वातावरण में उन्होंने ना केवल सभी को खादी के प्रचार-प्रसार के लिए धन्यवाद दिया, बल्कि उन्हें भारत की परम्परा को समेटनेवाला अग्रदूत भी बताया।
कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड की कलाकृतियां मन मोह रहीं
यहां मंत्री भानु प्रताप सिंह इस खादी के भव्य परिसर में ज्यों ही कार से उतरे, उन्हें सजे स्टालों के सामने सेवापुरी ब्लाक के सिरहरा गांव की शशिकला देवी मिल गईं। उन्होंने वहां अपना ग्राम लक्ष्मी लूम प्रदर्शनी में लगा रख था। लूम देखते ही मंत्री उधर बढ़े चले गए थे, उसके बाद वे क्रमश: आगे बढ़ते रहे।
परिसर में प्रवेश करते ही दाईं तरफ पहला स्टाल पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के ताजिकुद्दीन का लगा हुआ है, वे अपनी बंगाली संस्कृति में रची गई साड़ियां लेकर यहां आए हैं। इसी तरह आगे बढ़ने पर कहीं कश्मीर, कहीं पंजाब, कहीं राजस्थान एवं उत्तराखंड की कलाकृतियां मन मोह रही हैं तो अपने राज्य के विभिन्न जनपदों के एक जिला-एक उत्पाद के स्टाल कारीगरों की कलाओं का बखान कर रहे हैं।
इन दिनों वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में खादी प्रदर्शनी के बहाने विभिन्न राज्यों के उत्पाद ही नहीं, वहां की लोक-संस्कृति की भी झलक देखने को मिल रही है। जम्मू एवं कश्मीर के प्रीमियम हाई एल्टीट्यूड शहद सहित उत्कृष्ट खादी उत्पादों की एक श्रृंखला, कश्मीरी एवं राजस्थानी ऊनी शॉल की एक विस्तृत विविध किस्म,
पश्चिम बंगाल से मलमल का कपड़ा, पश्चिम बंगाल एवं बिहार से रेशमी कपड़े की एक किस्म, पंजाब से कोटि शॉल, कानपुर से चमड़े के उत्पाद, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश से मिट्टी के बर्तन, मिर्जापुर और प्रयागराज के व्यापक रूप से प्रशंसित हाथ से बुने हुए कालीन इस प्रदर्शनी के सबसे बड़े आकर्षण हैं।
जड़ी-बूटियों से निर्मित हर्बल स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद तो कहीं फैशन-श्रृंगार के सामान भी हैं यहां
उत्तर प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, लेह-लद्दाख, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के खादी संस्थानों के कुल 105 स्टाल लगाए गए हैं। कई खादी संस्थानों, पीएमईजीपी इकाइयों और विभिन्न राज्यों के कई समूहों ने भी अपने स्टॉल लगाए हैं।
कहीं सरस समूहों द्वारा उत्पादित जड़ी-बूटियों से निर्मित हर्बल स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद तो कहीं फैशन एवं श्रृंगार के सामान। एक से बढ़कर एक आकर्षक वस्तुएं एवं खाद्य सामग्रियां, जिन्हें आप देखें तो देखते रह जाएंगे।
दो हजार से अधिक खादी उत्पाद कारीगरों का हुआ सम्मेलन
इसके अलावा KVIC ने एक “खादी कारीगर सम्मेलन” भी आयोजित किया, जिसमें 2000 से अधिक खादी कारीगरों ने हिस्सा लिया। इनमें अधिकांश कारीगर आसपास के 12 जिलों जैसे प्रयागराज, जौनपुर, गाजीपुर और सोनभद्र आदि की महिलाएं थीं।
मंत्री भानु प्रताप सिंह ने खादी प्रदर्शनी और खादी कारीगर सम्मेलन आयोजित करने के लिए KVIC की ह्दय से सराहना की। वे कहते हैं कि इसका उद्देश्य कारीगरों को मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में वाराणसी विभिन्न खादी गतिविधियों के केंद्र के रूप में उभरा है।
कताई, बुनाई, मधुमक्खी पालन और मिट्टी के बर्तन बनना जैसी लगभग सभी ग्रामीण व पारंपरिक कलाओं को यहां बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया गया है, जिसने कारीगरों के लिए स्वरोजगार पैदा किया है और उन्हें आत्मानिर्भर बनाया है। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी इन कारीगरों को अपने उत्पादों के विपणन और अपनी आय बढ़ाने के लिए एक बड़ा मंच भी प्रदान करेगी।
आत्मनिर्भर भारत के लिए कारीगरों की प्रतिबद्धता की एक अभिव्यक्ति है खादी प्रदर्शनी
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना का कहना है कि वाराणसी में राज्यस्तरीय खादी प्रदर्शनी “आत्मनिर्भर भारत” के लिए खादी कारीगरों की प्रतिबद्धता की एक अभिव्यक्ति है। KVIC ने पारंपरिक कलाओं को मजबूत करने एवं स्थानीय कारीगरों को सशक्त बनाने के लिए बड़ी संख्या में खादी संस्थानों, पीएमईजीपी इकाइयों और स्वयं सहायता समूहों की स्थापना की है।
उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी ‘वोकल फॉर लोकल‘ पहल को बढ़ावा देगी और खादी को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। विशेष रूप से वाराणसी, जो प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है, ने खादी को बढ़ावा देने और कारीगरों की सहायता करने के लिए कई गतिविधियां शुरू की हैं।
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विदेशी मुद्रा अर्जन का माध्यम बन रही है खादी उत्पाद
साथ ही वे यह भी कहते हैं कि खादी के कारीगर ही हैं जिनके हुनरमंद हाथों से निकली खादी आज देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रियता के नए शिखर को छू रही है तथा विदेशी मुद्रा अर्जन का माध्यम बन रही है। इसलिए खादी कारीगर सदैव ही प्रशंसा एवं सम्मान के हकदार हैं। फिलहाल वाराणसी में अभी 134 खादी संस्थान कार्यरत हैं, जहां महिलाएं कुल कार्यबल का लगभग 80 फीसदी हिस्सा हैं।
इस पूरे खादी परिसर के माहौल को देखते हुए कहा जा सकता है कि कभी सन्नाटे में गुम रहने वाले खादी भंडारों की रौनक लौट आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंदीदा होने से खादी ब्रांड के रूप में उभरी है। हर तबके के लोगों में इसकी डिमांड बढ़ी है।
खादी भंडार संचालकों के अनुसार प्रधानमंत्री ने जब से खादी अपनाई है, तब से इसके प्रति आकर्षण बढ़ गया है। बंद होने के कगार पर पहुंचे खादी भंडारों के दिन दोबारा बहुर गए हैं। दुकानदार भी लोगों की मांग पर रंग-बिरंगे, सस्ते, महंगे कपड़े ला रहे हैं। ताकि खरीदारों को मायूस न होना पड़े।
इस खादी प्रदर्शनी में भी कारीगर हर तरह की खादी लेकर आए हैं, जो हर वर्ग की पहुंच में हो सकती है। उल्लेखनीय है कि कोविड -19 लॉकडाउन के बाद से वाराणसी में केवीआईसी की यह दूसरी ऐसी प्रदर्शनी है जोकि 15 दिनों के लिए लगाई गई है। 17 अक्टूबर से आरंभ यह आगामी 31 अक्टूबर तक चलेगी।