-गडकरी मंगलवार को करेंगे दोनों टनल के निर्माण कार्य का निरीक्षण
सोनमर्ग (जम्मू कश्मीर जोजिला सुरंग): केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की योजना के अनुसार सब कुछ तय समय पर हुआ तो सोनमर्ग की जनता को सर्दियों में निचले इलाके श्रीनगर का रुख नहीं करना होगा। साथ ही बर्फबारी के बीच भी वे अपने घर इलाके में महफूज़ रहेंगे।
जेडमो टनल के निर्माण से सर्दियों की भारी बर्फबारी में भी सोनमर्ग का श्रीनगर से और जोजिला टनल के तैयार होने के बाद श्रीनगर का लेह, द्रास और कारगिल से संपर्क बना रहेगा।
नेशनल हाइवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एनएचआईडीसी) प्रमुख गुरमीत सिंह कम्बो ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सर्दियों में श्रीनगर से सोनमर्ग पांच महीनों तक कट जाता है। बर्फबारी की वजह से यहां के लोग अपना घर छोड़ कर निचले इलाकों में चले जाते हैं।
सोनमर्ग को श्रीनगर से जोड़ने वाली जेडमो टनल के निर्माण के बाद यह समस्या दूर हो जाएगी। साल भर पर्यटकों का आवागमन बना रहेगा, जिससे सोनमर्ग भी दूसरा गुलमर्ग बन जायेगा। गुलमर्ग में सर्दियों में पर्यटकों का जमावड़ा रहता है। सिंह ने बताया कि वर्ष 2023 के दिसम्बर से पहले यह टनल बन कर तैयार हो जाएगी।
नितिन गडकरी जेडमो-जोजिला सुरंग के निर्माण कार्य का निरीक्षण करेंगे
सिंह ने कहा कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी मंगलवार को जेडमो टनल (सुरंग) और जोजिला टनल के निर्माण कार्य का निरीक्षण करेंगे। उन्होंने बताया कि जेडमो टनल की लंबाई 6.5 किलोमीटर है और इसकी लागत 2300 करोड़ रुपये है। वहीं श्रीनगर से लेह, द्रास, कारगिल को जोड़ने वाली जोडिला टनल की लंबाई 13.5 किलोमीटर है। यह टनल भी दिसम्बर 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगी।
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एनएचआईडीसी प्रमुख ने बताया कि टनल के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। पहाड़ों को तोड़ने के लिए द्रवीय विस्फोटक का प्रयोग किया गया है। यह तकनीक विश्व मे बेहतरीन टनल के निर्माण के लिये पहाड़ो को तोड़ने में इस्तेमाल होती है।
इस टनल का निर्माण एनएचआईडीसी के साथ मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) कर रही है। सिंह ने एमईआईएल की सराहना करते हुए कहा कि कम्पनी ने बेहतरीन इंजीनियरिंग का नमूना पेश किया है।
उल्लेखनीय है कि इस टनल के निर्माण में पहले की कम्पनी ने हाथ खड़े कर दिये थे। उसके बाद एमईआईएल ने मेक इन इंडिया अभियान को संबल देते हुए जोडिला टनल के निर्माण का जिम्मा उठाया।