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प्रदेश के दूसरे उपराज्यपाल के तौर पर शपथ लेंगें मनोज सिन्हा

कठुआ: जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद प्रदेश के दूसरे उपराज्यपाल के तौर पर मनोज सिन्हा शपथ लेंगें। इससे पहले प्रदेश के पहले उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने 5 अगस्त देर शाम इस्तीफा दे दिया था। साफ-सुथरी छवि के मनोज सिन्हा का जन्म 1 जुलाई 1959 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहनपुरवा गाँव में हुआ। मनोज सिन्हा ने गाजीपुर से ही अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की। इस दौरान हाई स्कूल की परीक्षा में यूपी बोर्ड में प्रदेश में सातवां स्थान प्राप्त किया।

मनोज सिन्हा

उच्च शिक्षा के तहत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्थित आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद इन्होंने एमटेक की डिग्री भी हासिल की। लोगों के सुख-दुख में शामिल होने वाले मनोज सिन्हा का रुझान छात्र जीवन से ही राजनीति की तरफ रहा। 1982 में मनोज सिन्हा बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष भी बने।       

गाजीपुर जनपद के मोहम्मदाबाद तहसील अंतर्गत मोहनपुरवा गाँव मे जन्मे और केंद्रीय मंत्री तक रहते हुए मिट्टी से अपने व्यक्तिगत लगाव के चलते गांव का एक सामान्य व्यक्ति भी गले लगकर अपनी बात संजीदगी के साथ कर लेता है यह मनोज सिन्हा की बड़ी खासियत है। सिन्हा छात्र राजनीति के बाद सक्रिय राजनीति के रूप में गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से अपनी राजनीति शुरू की जहां से तीन बार सांसद रहे। इस दौरान वर्ष 2014 में सांसद बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में रेल राज्य मंत्री के रूप में उनका गौरवशाली कार्यकाल रहा। इसके साथ ही उन्हें संचार मंत्रालय स्वतंत्र प्रभार का अतिरिक्त जिम्मेदारी भी दी गई थी।     

सबसे इमानदार सांसद का खिताब दिया है

प्रदेश के दूसरे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा खेती-किसानी से जुड़े परिवार में जन्म लेने की वजह से इनका दिल हमेशा किसान और गांव के लिए धड़कता है। उनका लगाव पिछड़े गांवों की तरफ हमेशा से ही रहा है। मनोज सिन्हा की सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि उन्हें राजनीति में एक इमानदार नेता के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2005 में देश की एक लीडिंग मैगजीन टाइम्स पत्रिका ने उन्हें 1989-2004 के कार्यकाल का सबसे इमानदार सांसद का खिताब दिया है। मैगजीन के मुताबिक वर्तमान में मनोज सिन्हा उन इमानदार नेताओं में शुमार हैं जिहोने अपने सांसद निधि का शत-प्रतिशत इस्तेमाल लोगों के विकास के लिए लगाया है.      

सिन्हा के 2014 से 2019 तक के मंत्रित्वकाल का सबसे खास बात यह रही कि रेल राज्य मंत्री रहते हुए मनोज सिन्हा द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूर्वी भारत में रेल का मजबूत नेटवर्क तैयार करते हुए आमूलचूल परिवर्तन किए। उनके द्वारा कराए गए तमाम विकास कार्यों के चलते उनकी छवि विकास पुरुष के रूप में बन गई। लोकसभा चुनाव 2019 में गाजीपुर लोकसभा सीट से ही तमाम विकास कार्य कराए जाने के बावजूद उन्हें सपा बसपा गठबंधन प्रत्याशी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद वह अपने क्षेत्र में लगे रहे। अब केंद्र सरकार द्वारा नई जिम्मेदारी दिए जाने के बाद समूचे पूर्वांचल में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।

पढ़ें: बच्चों को मानसिक समस्या से उबारने के लिए होगी काउंसलिंग

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