रायपुर: अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर पढ़ाना-लिखना अभियान योजना की जानकारी मिलने पर रायगढ़ जिले के विकासखण्ड लैलूंगा के वार्ड क्रमांक-2 राजपुर की स्वयंसेवी शिक्षक कुमारी अनुराधा पैकरा निपुणता से सर्वे कार्य में लगी रही है। वे असाक्षरों को साक्षर करने के लिए नियमित कक्षा का संचालन कर रही है।
लोक शिक्षा केन्द्र में उन्होंने महिलाओं को कहानी पढ़ाते-पढ़ाते पढ़ना और लिखना भी सीखा रही है। वे महिलाओं को अंक गणित की बेसिक जानकारी भी देती है। गांवों की महिलाओं की छोटी-छोटी मदद करना जैसे बैंक के फॉर्म भरना, आयुष्मान भारत कार्ड, राशन कार्ड की समस्या के निदान की जानकारी भी दे रही है।
उन्होंने समय-समय पर प्रौढ़ महिलाओं को साक्षरता कार्यक्रम से जुड़ने के लिए महिला कबड्डी प्रतियोगिता और जलेबी दौड़ कार्यक्रम का आयोजन भी कराया, जिससे प्रौढ़ महिलाएं साक्षरता कार्यक्रम से जुड़ी और लोक शिक्षा केन्द्र में आने लगी।
चित्रों के माध्यम से अक्षरों को पढ़ने की ललक पैदा की:
सरगुजा जिले के बालगंगाधर तिलक वार्ड क्रमांक-10 की स्वयंसेवी शिक्षक सुश्री दिव्या सिन्हा ने असाक्षरों को पढ़ाने का अनोखा तरीका अपनाया। वे चित्रों के माध्यम से अक्षरों के अंदर पढ़ने की ललक पैदा करने में सफल रही।
उन्होंने कहानी, रंगोली प्रतियोगिता के माध्यम से असाक्षरों का उत्साहवर्धन कर उनमें पढ़ने की ललक पैदा की। सरगुजा जिले की तहसील बतोली के ग्राम सिलमा की सबीना कुजूर दैनिक मजदूरी कर परिवार का लालन-पालन करने के साथ साक्षरता शिक्षा का संचालन भी पूरी तन्मयता के साथ करती है।
प्रोजेक्टर के माध्यम से असाक्षरों में जगाई पढ़ाई की जिज्ञासा:
कबीरधाम जिले के विकासखण्ड़ पण्डरिया की ग्राम पंचायत जंगलपुर के स्वयंसेवी शिक्षक ओमप्रकाश साहू ने स्वयं के संसाधन कम्प्यूटर और प्रोजेक्टर के माध्यम से असाक्षर व्यक्तियों में पढ़ाई की जिज्ञासा जगाई। वे अपनी दिनचर्या में भी एक घंटे की पढ़ाई करवाते हैं। उनके द्वारा पढ़ाए गए असाक्षर आसानी से पढ़-लिख, जोड़-घटना, अंग्रेजी में नाम पता और अन्य नामों को अंग्रेजी में पढ़-लिख सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस: पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती:
बेमेतरा जिले की तहसील बेरला के ग्राम लावातरा के केन्द्र क्रमांक-4 पाटिल पारा की स्वयंसेवी शिक्षका अनिता पाटिल खेतों में आकर महिलाओं को सम्मिलित करती है और सबकों पढ़ाई-लिखाई के फायदे बताती है। वे घरेलू काम के बावजूद रोज पढ़ाने जाती है, पढ़ाई लिखाई के लिए महिलाओं को जागरूक करने घर-घर जाकर बुलाती है।
वे अभी तक 120 घंटे से ज्यादा पढ़ा चुकी है। अक्षर छापी पुस्तक को अभी तक पूरा पढ़ चुकी है और फिर से दुबारा पढ़ रही है। यहां के लोक शिक्षा केन्द्र में सभी शिक्षार्थियों को पढ़ने में मजा आता है। यहां सभी शिक्षार्थी अच्छे से पढ़ते-लिखते और बोलते है कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती।
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गिनती सीखने के लिए परंपरागत खेल का प्रयोग:
रायपुर के भीमराव अंबेडकर वार्ड की स्वयंसेवी शिक्षक पल्लवी टंडन ने गिनती सीखने के लिए छत्तीसगढ़ी महिलाओं द्वारा बचपन में खेले जाने वाले परंपरागत खेल गोटा का प्रयोग किया। उनके इस प्रयोग से महिलाएं बड़ी ही आसानी और रोचक तरीके से गिनती जैसी आधारभूत शिक्षण प्रक्रिया को सीख गई। पल्लवी टंडन ने अपनी कक्षा में आखर-झापी के चौबीस अध्याय को तीन माह में पूर्ण कर लिया है।
कंकड़-पत्थर, पत्तों से नवाचार:
गरियाबंद जिले के विकासखण्ड फिंगेश्वर के मौलीमाता वार्ड की स्वयंसेवी शिक्षक कुमारी गुलेश्वरी यादव और भागवती सांवरा पढ़ना-लिखना अभियान के अंतर्गत दस-दस शिक्षार्थियों को साक्षर बनाने का कार्य कर रही हैं। इन्होंने कंकड़-पत्थर-पत्तों से नवाचार करते हुए गिनती अक्षर पढ़ाने का उल्लेखनीय कार्य किया।