-मरीज को देखकर उसका मर्ज पहचानने की काबिलियत थी डाॅ. रॉय में -अपनी आय को दान कर देते थे नि:स्वार्थ सेवा करने वाले बिधान रॉय
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय के जन्मदिन को भारत में Doctors Day मनाया जाता है। आजादी के बाद से लगभग 74 साल बीतने के बाद भी आज कहा जाता है कि बंगाल में विकास के जो भी कार्य होते हैं, उसकी रूपरेखा बिधान चंद्र रॉय ने ही तैयार की थी। गुरुवार 01 जुलाई को भारत रत्न बिधान चन्द्र रॉय का जन्मदिन है।

देश में उनके जन्मदिन को यूंही Doctors Day यानी चिकित्सक दिवस के तौर पर नहीं मनाया जाता है बल्कि वह उम्दा दर्जे के डॉक्टर थे। उनकी काबिलियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह दूर से देखकर मरीजों का मर्ज को पहचान लेते थे। रॉय के मुख्यमंत्री रहते हुए पश्चिम बंगाल पुलिस में सेवा दे चुके सेवानिवृत्त कॉन्स्टेबल वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपना एक संस्मरण साझा किया है।
सिंह ने बताया कि एक बार उनकी ट्रैफिक ड्यूटी लगी थी और अपने साथी हवलदार के साथ सड़क पर यातायात प्रबंधन का काम कर रहे थे। उस समय कोलकाता भारत के सर्वाधिक विकसित शहरों में से एक था और यहां गाड़ियों की संख्या भी देश के बाकी राज्यों की तुलना में अधिक थी। उनके साथी सिपाही लगातार ट्रैफिक को संभालते हुए पसीने से तरबतर थे। उसी समय वहां से मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय का काफिला गुजरा।
ट्रैफिक ड्यूटी कर रहे कॉन्स्टेबल की बीमारी की थी दूर
कुछ दूर जाने के बाद अचानक मुख्यमंत्री ने अपनी गाड़ी रोक दी। प्रशासन के सभी अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए कि कहीं कोई गड़बड़ी तो नजर नहीं आ गई। लेकिन बात डॉ बिधान चंद्र रॉय के अंदर छिपे एक कुशल डॉक्टर की मानवता की थी। गाड़ी रोकने के बाद मुख्यमंत्री ने अपने सुरक्षाकर्मियों के जरिए उनके साथ ट्रैफिक ड्यूटी कर रहे कॉन्स्टेबल को बुलाया। रॉय ने कहा कि तुम्हारे सिर में दर्द होता होगा और बार-बार सर्दी होती होगी।
इस पर कॉन्स्टेबल ने कहा कि जी ऐसा ही होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रैफिक ड्यूटी करने की वजह से धूल कण तुम्हारी नाक के जरिए मस्तिष्क पर चढ़ गए हैं। कल मेरे चेंबर में आना मैं दवा दूंगा, ठीक हो जाओगे। दूसरे दिन कॉन्स्टेबल उनके आवास पर पहुंचा और मुख्यमंत्री ने उन्हें अपने हाथों से दवा बना कर दी। कुछ दिनों तक खाने के बाद ही कॉन्स्टेबल की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो गई थी।
वशिष्ठ नारायण ने बताया कि बिधान चंद्र रॉय मुख्यमंत्री थे। उन्हें कोई जरूरत नहीं थी कि एक कॉन्स्टेबल की बीमारी के बारे में चिंता करने की लेकिन उनके अंदर मुख्यमंत्री होने के साथ डॉक्टर की भावना अग्रणी थी। केंद्र सरकार ने साल 1991 में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाने की शुरुआत की थी। देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधानचंद्र राय को सम्मान देने के लिए यह दिन हर वर्ष मनाया जाता है।

बिहार में हुआ था बिधान चंद्र रॉय का जन्म
आपको बता दें कि उनका जन्मदिवस और पुण्यतिथि दोनों ही एक ही जुलाई को होती है। इस दिन डॉक्टरों के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। साथ ही जीवन में डॉक्टरों के योगदान को सराहा जाता है। आज के समय में जब कोविड-19 पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है और इंसानियत छटपटा रही है, तब डॉक्टर्स मानवता के सामने ढाल बनकर खड़े हैं। इसीलिए इस बार राष्ट्रीय डॉक्टर्स दिवस बेहद खास है।
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बिधानचंद्र राय का जन्म 01 जुलाई 1882 को बिहार के पटना के खजांची इलाके में हुआ था। वह अपने विद्यार्थी जीवन में मेधावी छात्र थे और इसी कारण उन्होंने अन्य छात्रों के मुकाबले अपनी शिक्षा जल्दी पूरी कर ली थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए थे। बिधानचंद्र राय डॉक्टर के साथ-साथ समाजसेवी, आंदोलनकारी और राजनेता भी थे।
बिधानचंद्र राय ने डॉक्टर के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। वह एक सरकारी अस्पताल में काम करते थे। डॉ. राय का 01 जुलाई 1962 को ह्रदयघात से निधन हो गया। सन् 1961 में उन्हें ‘भारत रत्न‘ से सम्मानित किया गया था।
National Doctors Day मनाने के पीछे डॉ. राय उनकी निस्वार्थ सेवा
डॉ. रॉय ने असहयोग आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। शुरुआत में उन्हें लोग महात्मा गांधी और ज्वाहर लाल नेहरू के डॉक्टर के रूप में जानते थे। महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा था। Doctors Day, बिधानचंद्र रॉय के जन्मदिन के दिन मनाने का सबसे बड़ा कारण है कि वह जो भी आय अर्जित करते थे, सब कुछ दान कर देते थे।
राय लोगों के लिए एक रोल मॉडल हैं। आजादी के आंदोलन के समय उन्होंने घायलों और पीड़ितों की निस्वार्थ भाव से सेवा की थी। Doctors Day मनाने के पीछे का उद्देश्य, डॉक्टर्स के प्रति सहानुभूति रखते हुए उन्हें समाज में सम्मानित करना है।