30.1 C
New Delhi
July 27, 2024
देश

कैग ने उठाए डिफेंस ऑफसेट पॉलिसी पर सवाल

-फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने अभी तक ​डीआरडीओ को ​​नहीं दी इंजन की तकनीक
-पिछले 15 साल में विदेशी कंपनियों से हुए रक्षा सौदों में लागू नहीं हुई ​ऑफसेट पॉलिसी
-​2005-2018 के बीच सौदों में केवल 59 प्रतिशत ​​ऑफसेट पॉलिसी​ का पालन किया गया

नई दिल्ली: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ​ने मानसून सत्र के दौरान डिफेंस ऑफसेट पॉलिसी पर ​​संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में ​पिछले 15 साल में विदेशी कंपनियों से हुए रक्षा सौदों में भारत को 8000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान जताया है​​। ​साथ ही लड़ाकू विमान राफेल बनाने वाली कंपनी पर करार के मुताबिक​ ​​​कावेरी​ इंजन की तकनीक अभी तक हस्तांतरित न करने पर सवाल उठाया है​।

कैग ने उठाए डिफेंस ऑफसेट पॉलिसी पर सवाल

संसद में ​पेश ​​रिपोर्ट में कहा गया है कि ​फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन ​से ​36 राफेल ​विमानों ​की डील ​करते समय ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट ​में ​​डीआरडीओ को ​​कावेरी​ इंजन की तकनीक देकर 30 प्रतिशत ​​ऑफसेट पूरा ​करने की बात तय हुई थी लेकिन अभी तक ​यह वादा पूरा नहीं किया गया ​है। ​अनुसंधान एवं विकास संगठन​ (​​डीआरडीओ​)​ को ​​इंजन (कावेरी)​ की तकनीक हासिल करके स्वदेशी तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए ​​ ​विकसित करना था। 

​​​फ्रांस के साथ 36 विमानों की डील 59 हजार करोड़ रुपये में की गई थी। भारत की डिफेंस​ ऑफसेट पॉलिसी के मुताबिक विदेशी ​कंपनियों को अनुबंध का 30 प्रतिशत ​हिस्सा ​भारत में रिसर्च या उपकरणों ​पर खर्च करना होता है।​ रक्षा मंत्रालय ने यह ​​​​ऑफसेट​ ​​नीति विदेशी कंपनियों से 300 करोड़ ​रुपये से ज्यादा के ​रक्षा सौदों के लिए ​बनाई है​​​​।​​ 

ऑफसेट पॉलिसी के मुताबिक​ विदेशी कंपनी ने अपनी तकनीक भारत को हस्तांतरित नहीं की

इतना ही नहीं कैग ने अपनी रिपोर्ट में ​2005 से 2018 के बीच विदेशी कंपनियों से हुए रक्षा समझौतों की समीक्षा करते हुए कहा है कि ऑफसेट पॉलिसी से मनमाफिक नतीजे नहीं ​मिले​ हैं​​।​ इसलिए रक्षा मंत्रालय को इस पॉलिसी ​की समीक्षा करने ​और लागू करने में आ रही दिक्कतों की पहचान कर​के उनका समाधान ​करने की सलाह दी गई है।​ ​संसद में पेश रिपोर्ट में कैग ने कहा कि ​2005 से 2018 के बीच​ हुए रक्षा समझौतों में किसी भी विदेशी कंपनी ने ​​​​​ऑफसेट पॉलिसी के मुताबिक​ अपनी तकनीक भारत को हस्तांतरित नहीं की है​​​।​​ 

​कैग ने कहा है कि विदेशी कंपनियों को अगले छह साल में लगभग 55 हजार करोड़ रुपये के ऑफसेट दावे पूरे करने हैं​​।​​​ ​फिलहाल ​हर साल 1300 करोड़ रुपये की ऑफसेट प्रतिबद्धताएं ही अभी पूरी हो पा रही हैं​​।​​​ ​इसलिए ​कैग ने छह साल में 55 हजार करोड़ रुपये की ऑफसेट प्रतिबद्धताओं ​का पूरा हो पाना बड़ी ​चुनौती माना है​​।​​​​

​​केवल 59 प्रतिशत ​​ऑफसेट पॉलिसी​ का पालन किया गया ​है

कैग ने ​अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2005 से ​20​18 ​के बीच भारत ने विदेशी​ रक्षा कंपनियों के साथ ​​कुल 66,427 करोड़ ​रुपये ​के​ ​48 ​करार​ किए ​थे। ​रक्षा मंत्रालय की ऑफसेट​ ​​नीति के मुताबिक दिसम्बर,​ 2018 तक ​भारत को ​19,223 करोड़ के ऑफसेट ट्रांसफर हो​ने थे लेकिन केवल 11,​396​ करोड़ का ही ट्रांसफर किया गया। ​​इनमें से भी ​सिर्फ ​5457 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धताएं ही स्वीकार की गईं​ हैं​।​ 

यानी कि ​​केवल 59 प्रतिशत ​​ऑफसेट पॉलिसी​ का पालन किया गया ​है।​ इस तरह देखा जाए तो पिछले 15 साल में विदेशी कंपनियों से हुए रक्षा सौदों में भारत को 8000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है​​​​। ​​ ​​कैग ने फरवरी, 2019 में संसद में राफेल पर अपनी रिपोर्ट पेश करके दावा किया था कि एनडीए सरकार में हुआ राफेल सौदा ​​पूर्ववर्ती​ ​यूपीए सरकार की डील के मुकाबले 2.86 प्रतिशत सस्ता है। उस समय कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने कैग रिपोर्ट की आलोचना की थी।

यह भी पढ़ें: एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन को WHO ने बताया सुरक्षित

Related posts

देश में सबसे पहले जयपुर में ‘Khadi Prakritik Paint’ इकाई का उद्घाटन

Buland Dustak

हिमाचल में भूस्खलन से 148 सड़कें अवरुद्ध, 10 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट

Buland Dustak

‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में दर्ज हुई दुनिया की सबसे ऊंची अटल टनल

Buland Dustak

चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह, अब तक 10 हजार के अधिक पास जारी

Buland Dustak

देश में रिकॉर्ड 331.05 मिलियन टन बागवानी फसल उत्पादन का है अनुमान

Buland Dustak

असम में उग्रवादी संगठन DNLA के मुखिया समेत 80 कैडर का आत्मसमर्पण

Buland Dustak