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April 16, 2024
देश

Persecution NGO जैसी संस्थाएं कर रही भारत की छवि खराब

भोपाल: Persecution Relief NGO जिसे शिबु थॉमस चला रहे हैं, वे देश की छवि खराब करने का काम कर रहे हैं। उन्‍होंने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जो पूरी तरह भ्रामक एवं सत्‍य के परे है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का जो चाइल्‍ड प्रोटेक्‍शन मैकेनिज्म, जेजे एक्‍ट है, उसके माध्‍यम से क्रिश्चियन स्‍वसंसेवी संस्‍थाओं (Christian Voluntary Institutions) का उत्‍पीड़न हो रहा है, बच्‍चों के साथ रेप के झूठे मुकदमे बनाकर पादरियों को परेशान किया जा रहा है। इसमें बोला गया है कि अनाथ बच्‍चों के मामलों को लेकर भारत में इन ईसाई संस्‍थाओं को फंसाया जा रहा है।

उल्‍लेखनीय है कि शिबू थॉमस ने ”यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम” (USCIRF)  को अपनी यह रिपोर्ट भेजी है, उसने  इस रिपोर्ट की फाइडिंग को संज्ञान में लिया और भारत की इस मामले में निंदा की है । कानूनगो ने कहा है कि पहले श्री थॉमस  इस प्रकरण में अपना पक्ष हमारे सामने रख दें, फिर दुनिया को बताएंगे कि इनकी बातों में कितनी सच्‍चाई है। 

USCIRF

जेजे एक्‍ट तोड़े उसपर हो सख्‍त कार्रवाई

उन्‍होंने कहा कि Persecution Relief NGO की आई एक रिपोर्ट को देखकर यही लगता है कि राष्‍ट्रीय बाल आयोग एवं देश की सरकारी संस्‍थाएं अपना काम जैसे किसी बदले की भावना के साथ कर रही हैं, जबकि हकीकत इससे अलग है। चूंकि जेजे एक्‍ट और पॉक्‍सो एक्‍ट के अंतर्गत ये सारे मामले आते हैं और आयोग का काम इन दोनों एक्‍ट की मॉनिटरिंग करना है।

तब हमने मप्र के चीफ सैकेटरी को नोटिस करके इनसे ऐसी सभी घटनाओं की जानकारी मांगी है। यदि ऐसी घटनाओं की जानकारी हमें मिलेगी तो हम कार्रवाई जरूर करेंगे, लेकिन दुखद है कि आरोप लगानेवाली ये संस्‍था अब तक कोई जानकारी उपलब्‍ध नहीं करा सकी है । 

बाल आयोग के अध्‍यक्ष ने बताया कि इस पूरे मामले में हमने चीफ सैकेटरी को नोटिस दिया था, चीफ सैकेटरी के ऑफिस से फिर डिपार्टमेंट को गया, डिपार्टमेंट ने शिबू थॉमस से पूछा, Persecution Relief NGO अब थॉमस समय सीमा में इसका कोई उत्‍तर नहीं दे पाए हैं। ऐसे में हमारा कहना है कि जब इससे संबंधित रिपोर्ट छापी गई है तो पूरे तथ्‍य पहले से ही मौजूद होने चाहिए थे।

आज वे जो बोल रहे हैं कि हमें डाटा कलैक्‍ट करने में टाइम लगेगा। ऐसे में प्रश्‍न यही है, आपने यह रिपोर्ट कैसे छाप दी? इसलिए इस पूरे प्रकरण को बाल आयोग ने भोपाल डीआईजी को सौंप दिया है। वो जांच करें और जरूरी जो भी आईपीसी के प्रोवीजन हैं, उनके तहत इस मामले में शिबू थॉमस और उसकी संस्‍था Persecution Relief NGO पर कार्रवाई करें। 

सात साल की बच्‍ची को 2 साल बाद अब तो मिले न्‍याय 

एक सात साल की बच्‍ची के केस को लेकर जिसमें कि उसकी स्‍कूल से घर आते वक्‍त मौंत हो गई थी में श्री कानूनगो का कहना है कि उसमें हमने जांच पूरी की और उसमें यह पाया गया कि पुलिस की जो इन्‍वेस्‍टिगेशन थी, वह बिल्‍कुल ही अन्प्रोफेशनल्‍स थी ।  कभी बताते कि उसके भोजन में जहर मिलाया था, कभी बताते कि यह कोई ऑर्गेनिक पॉयजन था।

जांच में बहुत ही हल्‍के दर्जे की लापरवाहियां की गई थीं। पूरे स्‍टेटमेंट नहीं हैं। सीसीटीवी फुटेज उसमें अब तक पूरे नहीं निकले। जबकि आज दो साल होने को आ गए हैं। हमने उसमे प्रमुख सचिव को लिखा है । इसमें किसी दूसरी ऐजेंसी से जांच कराइए। यह केस हल करना भोपाल पुलिस के बस का नहीं। 

उन्‍होंने कहा है कि जेजे एक्‍ट में पंजीकृत सभी स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं को बाल कल्‍याण समिति के बताए आदेशों एवं जेजे एक्‍ट के तहत ही कार्य करना है। यदि कोई संस्‍था बात नहीं मानती हैं तो सीडब्ल्यूसी का काम शासकीय काम है और शासकीय काम में व्‍यवधान उत्‍पन्‍न करने के लिए जो कार्रवाई की जानी चाहिए वह हो, हमारे संज्ञान में मामले आएंगे हम उसमें यह भी निर्देश जारी करेंगे। 

सागर कलेक्‍टर पर भी बरसे आयोग अध्‍यक्ष 

श्री कानूनगो सागर कलेक्‍टर की लापरवाही को लेकर भी बरसे हैं। उन्‍होंने हिस से कहा कि सागर डायोसिस का एक मामला भी हमारे संज्ञान में है । इसमें सागर कलेक्‍टर बहुत लापरवाही कर रहे हैं, यहां दलित बच्‍चियों को कन्‍वर्ट करने के लिए रखा गया था, लेकिन वह धर्मान्‍तरण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने को राजी नहीं।

1968 धर्म स्‍वातंत्र्य अधिनियम के अनुसार यह आवश्‍यक था कि इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमें कार्रवाही हो, पर अब तक कलेक्‍टर ने कुछ किया नहीं है, इसलिए इस मामले में भी मध्‍य प्रदेश चीफ सेक्रेटरी को हमारी ओर से लिखा गया है, सागर कलेक्टर धर्मांतरण का मामला दर्ज करने के साथ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की समुचित धाराओं के तहत कार्यवाही करें।  

बच्‍चों के अधिकार संरक्षण के लिए हो रहा ‘मासी’ नामक एप लॉन्च 

उन्होंने कहा कि इन बाल संरक्षण गृहों की सुरक्षा व निगरानी के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ‘मासी’ नामक एप लॉन्च करने जा रहा है। जीपीएस इनेवल्ड इस एप से बाल संरक्षण ग्रहों में निरीक्षण के लिए पहुंचने वाले अधिकारियों की रियल टाइम जानकारी व उनके द्वारा दिया जा रहा डाटा भी रियल टाइम में मिल जायेगा। 

इसके साथ ही उनका कहना था कि हमने काउंसिलिंग के जरिए ऐसे तमाम बच्चों के लिए साइकोलॉजिस्‍ट की व्‍यवस्‍था की है। केंद्र के स्‍तर पर टैली कॉउन्‍सलिंग शुरू की गई है। अब पॉक्‍सो विक्टिम को टैली कॉउन्‍सि‍लिंग से जोड़ा जाएगा, ऐसे सभी बच्चों के लिए दिल्ली से काउंसलिंग की व्यवस्था रहेगी,  जिससे उनका मनोबल बढ़े और वह अपने इच्‍छानुसार तय क्षेत्र में आगे बढ़ें।

यह भी पढ़ें: कोरोना संक्रमण से मौतों में भारी इजाफा, लापरवाही का है यह नतीजा

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