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Karbi Anglong Agreement: असम में ऐतिहासिक समझौता, आएगी शांति

- अमित शाह बोले, असम और कार्बी क्षेत्र के इतिहास में स्वर्णमयी अक्षरों से लिखा जाएगा आज का दिन
- पांच से अधिक संगठनों के लगभग 1000 कैडर ने हथियार डालकर मुख्यधारा में आने की शुरुआत की
- त्रिपक्षीय शांति समझौते पर कार्बी विद्रोही संगठनों की ओर से तीन धड़ों के प्रमुखों ने हस्ताक्षर किये

नई दिल्ली/गुवाहाटी: केंद्र सरकार ने शनिवार को नई दिल्ली में त्रिपक्षीय “Karbi Anglong Agreement” पर हस्ताक्षर किये। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और छह कार्बी संगठनों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में यह शांति समझौता हुआ।

समझौते के बाद अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि मोदी सरकार दशकों पुराने संकट को हल करने और असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। आज 5 से अधिक संगठनों के लगभग 1000 कैडर ने हथियार डालकर मुख्यधारा में आने की शुरुआत की है।

Karbi Anglong Agreement

यह Karbi Anglong Agreement शांति समझौता केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय में हुआ। समझौते पर कार्बी विद्रोही संगठनों की ओर से कार्बी लोंगरी एनसी हिल्स लिबरेशन फ्रंट (KLNLF), यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (UPLA), कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर (KPLT) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी लोंगरी (PDCK) की तीन धड़ों के प्रमुखों ने हस्ताक्षर किये।

इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा, केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद, सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव दिलीप सैकिया के साथ ही असम के सांसद, कार्बी आंग्लांग स्वायत्तशासी परिषद के सीईएम तुलीराम रांग्हांग समेत अन्य सम्मानित प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

कार्बी क्षेत्र के इतिहास में स्वर्णमयी अक्षरों के साथ लिखा जाएगा यह समझौता

समझौते के बाद अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार दशकों पुराने संकट को हल करने और असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह दिन निश्चित रूप से असम और कार्बी क्षेत्र के इतिहास में स्वर्णमयी अक्षरों के साथ लिखा जाएगा। आज 5 से अधिक संगठनों के लगभग 1000 कैडर ने हथियार डालकर मुख्यधारा में आने की शुरुआत की है।

उन्होंने कहा कि कार्बी आंगलोंग के संबंध में असम सरकार पांच साल में एक क्षेत्र के विकास के लिए 1000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। नरेंद्र मोदी सरकार की नीति है कि जो समझौता हम करते हैं, उसकी सभी शर्तों का पालन हम अपने ही समय में पूरा करते हैं।

असम के मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने समझौते के बाद कहा कि असम में दो आदिवासी समूह बोडो और कार्बी असम से अलग होना चाहते थे। 2009 में बोडो समझौता हुआ और इसने असम की क्षेत्रीय अखंडता को बसाते हुए विकास का नया रास्ता खोला।

आज Karbi Anglong Agreement हुआ। इससे कार्बी आंगलोंग इलाके में शांति आएगी। कार्बी आंग्लांग समझौते पर हस्ताक्षर असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। नए समझौते के तहत पहाड़ी जनजाति के लोग भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत आरक्षण के हकदार होंगे।

Karbi Anglong Agreement विकास और शांति की ओर ले जाएगा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को धन्यवाद देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा, ‘ऐतिहासिक कार्बी समझौते पर हस्ताक्षर के लिए मैं केंद्र की मोदी सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं जो दशकों पुराने संकट को हल करने, असम की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।’

‘मैं असम के मुख्यमंत्री को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। आज के इस समझौते में प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के प्रयासों का भी योगदान है। सोनोवाल ने कहा, ‘मेरा मुंबई में तीन दिनों का कार्यक्रम था, लेकिन मुझे पता चला कि यहां एक महत्वपूर्ण काम होने वाला है, इसलिए मैंने यहां मौजूद रहने के लिए अपना दौरा रद्द कर दिया।’

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इस मौके पर कार्बी आंग्लांग स्वायत्तशासी परिषद के सीईएम तुलीराम रांग्हांग ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार, राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी जिला कार्बी आंग्लांग में अब शांति कायम होगी तथा इलाके का तेजी से विकास होगा।

दिल्ली में Karbi Anglong Agreement पर हस्ताक्षर करने के बाद कार्बी लोंगरी नॉर्थ कछार हिल्स लिबरेशन फ्रंट के प्रदीप तेरांग ने कहा कि कार्बी आंगलोंग के विकास की हमारी 90-95% मांगों को इस समझौते से पूरा किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि यह समझौता हमें विकास की ओर ले जाएगा और शांति लाएगा।

बोडोलैंड में चल रही हिंसा को समाप्त करने के लिए हुआ था समझौता

Karbi Anglong Agreement इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कई गुटों में बिखरे असम के प्रमुख जातीय समुदाय कार्बी के विद्रोह का लंबा इतिहास रहा है, जो 1980 के दशक के उत्तरार्ध से हत्याओं, जातीय हिंसा, अपहरण और कराधान में शामिल रहा है।

लगभग 200 कार्बी उग्रवादी उन 1,040 उग्रवादियों का हिस्सा हैं, जिन्होंने इस साल 25 फरवरी को पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की उपस्थिति में गुवाहाटी के एक कार्यक्रम में औपचारिक रूप से हथियार डाल दिए थे। आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादी कई दिन पहले ही दिल्ली पहुंचे थे।

वहां पर वे अलग-अलग होटलों में ठहरे थे। यह भी आज समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान मौजूद थे। आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों में इंग्ती कथार सोंगबिजित भी शामिल था, जो राज्य में उग्रवाद और जातीय हिंसा के कई मामलों में शामिल रहा है।

इन उग्रवादियों ने कुल 338 हथियार जमा किए, जिनमें 11,203 गोलियों के साथ 8 लाइट मशीनगन, 11 एम-16 राइफल और 58 एके-47 राइफल भी थी। पांचों संगठनों के उग्रवादी एक साल बाद तब अपने हथियार के साथ आत्मसमर्पण करने आए थे जब भाजपा ने बोडोलैंड में लंबे समय से चल रही हिंसा को समाप्त करने के लिए बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

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