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November 21, 2024
विचार

भारतीय रक्षा क्षेत्र को मजबूत करेगी DRDO की Advanced Chaff Technology

Advanced Chaff Technology: रक्षा क्षेत्र ने देश में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन यानी DRDO एक ऐसी एंटी रडार तकनीक विकसित कर रहा है, जिसके जरिए लड़ाकू विमानों को मिसाइल के हमलों से बचाया जा सकेगा।

भारतीय लड़ाकू विमानों को धराशाई करने की हसरत न तो अब चीन की पूरी होने वाली है और ना ही पाकिस्तान जैसे मुल्क की, क्योंकि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO ने रडार और मिसाइलों को चकमा देने वाली वो तकनीक विकसित कर ली है, जिस तकनीक को लड़ाकू विमानों का सबसे बड़ा रक्षा कवच माना जा रहा है।

Chaff Technology DRDO

Advanced Chaff Technology का विकास DRDO की जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला (डिफेंस लैबोरेट्री ऑफ जोधपुर) और पुणे की उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (हाई एनर्जी मेटेरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी एच ई एम आर एल) ने मिलकर किया है। ये Chaff तकनीक लड़ाकू विमानों को दुश्मन के रडार से बचाएगी।

सबसे पहले इस तकनीक का इस्तेमाल जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों पर किया जाएगा, क्योंकि जगुआर विमानों पर ही इसका ट्रायल पूरा किया गया है। वायु सेना से हरी झंडी मिलने के बाद मिराज, सुखोई समेत दूसरे लड़ाकू विमानों में इसका इस्तेमाल किया जाएगा।

जहाजों को दुश्मन की मिसाइल से बचाएगी यह तकनीक

दुनिया में ब्रिटेन की तीन कंपनियां ही Chaff Technology तैयार कर रही हैं। DRDO चैफ के निर्माण के लिए इस तकनीक को स्वदेशी कंपनियों को ट्रांसफर करेगा। खास बात यह है कि DRDO की ओर से विकसित चैफ कार्टिलेज दुनिया में सर्वश्रेष्ठ तकनीक है।

इससे पहले दुनिया में विकसित Chaff को रडार बेस मिसाइलें भेद भी सकती हैं, लेकिन भारत के Chaff को नहीं, यानी इस Chaff तकनीक के जरिए भारत के लड़ाकू विमान दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित हो जाएंगे।

Chaff फाइटर विमानों में लगने वाला काउंटर मेजर डिस्पेंडिंग यानी दुश्मन के रडार आधारित मिसाइल से बचाने वाला उपकरण होता है, ये विमान को इंफ्रारेड और एंटी रडार से बचाता है। इसकी मदद से युद्ध को जीतना आसान हो जाता है, ये इस तकनीक की बहुत बड़ी खूबी है, ये एक रक्षा कवच का काम करता है जो जहाजों को दुश्मन की मिसाइल से बचाएगा।

असल में यह Chaff फाइबर होता है, बाल से भी पतले इस फाइबर की मोटाई महज 25 माइक्रोन होती है। DRDO ने इन करोड़ों फाइबर से एक 20 से 50 ग्राम का कार्टिलेज तैयार किया है। Chaff को विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है।

ऐसे होता है Advanced Chaff Technology का इस्तमाल

जैसे ही लड़ाकू विमान के पायलट को दुश्मन मिसाइल से लॉक होने का सिग्नल मिलता है, तब उसे चैफ कार्टिलेज को हवा में फायर करना पड़ता है। सेकेण्ड के दसवें हिस्से में इससे करोड़ों फाइबर निकलकर हवा में अदृश्य बादल बना देते हैं और मिसाइल लड़ाकू विमान को छोड़कर इसे अपना टारगेट समझ कर हमला कर देती है और विमान बच निकलता है।

Chaff के इस्तेमाल के लिए पायलट को आधा सेकेंड से भी कम समय मिलता है। ऐसे में पायलट को विशेष प्रशिक्षण की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए वर्चुअल सिस्टम तैयार किया जा रहा है, ताकि पायलट सीधे विमान में जाने से पहले प्रशिक्षित हो जाए। DRDO ने Chaff Technology को विकसित करने के लिए चार साल की समय सीमा निर्धारित की थी, लेकिन महज ढाई साल में ही DRDO ने इसे विकसित कर लिया।

इस स्वदेशी तकनीक का निर्माण भारत की ही दो कंपनियां करेंगी। DRDO ये तकनीक इन स्वदेशी कंपनियों को ट्रांसफर करेगा, वायु सेना इस तकनीक को इन कंपनियों से खरीदेगी। अभी तक एयर फोर्स को करीब 100 करोड़ सालाना इस तकनीक के आयात पर खर्च करने पड़ रहे हैं। अब न सिर्फ इसके आधे दामों में वायु सेना को ये तकनीक मिलेगी, बल्कि भारत अपने मित्र देशों को निर्यात करने पर भी विचार कर सकता है।

DRDO ने इसी साल अप्रैल में नौसेना के जहाजों के लिए भी इसी तरह की तकनीक विकसित की थी। इस तकनीक से भारतीय नौसेना के जहाजों को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा और उन्हें मिसाइल हमलों से बचाया जा सकेगा।

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DRDO द्वारा विकसित इस Advanced Chaff Technology के तीन प्रकार हैं-
  1. पहला कम दूरी की मारक क्षमता वाला Chaff Rocket जिसे SRCR कहते हैं
  2. दूसरा मध्यम रेंज Chaff Rocket MRCR
  3. तीसरा लंबी दूरी की मारक क्षमता वाला Chaff Rocket LRCR

हाल ही में भारतीय नौसेना ने अरब सागर में भारतीय नौसैनिक जहाजों से इन तीनों प्रकार के रॉकेटों का प्रायोगिक परीक्षण किया, जिसमें इस तकनीक का प्रदर्शन अच्छा रहा।

सेना के विभिन्न अंगों को बदलते वक्त की चुनौतियों का सामना करने के लिए आधुनिक हथियारों और तकनीकों से लैस करना जरूरी हो जाता है। यही कारण है कि रक्षा मंत्रालय स्वदेश में निर्मित हथियारों और टेक्नोलॉजी के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और इस कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है।

वर्तमान इलेक्ट्रॉनिक युग में शत्रु के आधुनिक रडारों से अपने लड़ाकू विमानों को बचाना चिंता का विषय है। लड़ाकू विमान या कोई भी उड़ती हुई वस्तु रडार की नजर में आ जाती है। रडार माइक्रोवेव तरंगें छोड़ता है, जो वस्तु की दिशा व स्थिति बता देती हैं। Chaff Technology में रडार को भ्रमित किया जाता है।

Chaff Technology का विकास आत्मनिर्भर भारत के लिए भी बड़ी उपलब्धि है। स्वदेश में निर्मित इस तरह की तकनीक भारत को सामरिक रूप से सफल बनाती है, साथ ही यह आत्मविश्वास भी पैदा होता है कि विश्व मानकों के अनुरूप टेक्नोलॉजी का विकास करने में भारत भी सक्षम है। बड़ी मात्रा में इसका उत्पादन करने के लिए अब इस प्रौद्योगिकी को उद्योग में स्थानांतरित कर दिया गया है।

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