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November 21, 2024
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भारतीय सेना ने खरीदी 600 Multi Roll Thermal Imaging Binoculars

- पुलवामा हमले के बाद 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक में किया गया था इस्तेमाल
- पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर निगरानी कार्यों के लिए लगाई गई है यही दूरबीन

नई दिल्ली: भारतीय सेना ने विशेष बलों के लिए बेंगलुरु की टोंबो इमेजिंग कंपनी से 600 Multi Roll Thermal Imaging Binoculars की खरीद आपातकालीन फंड से की है। कंपनी के उत्पादों का इस्तेमाल कई देश कर रहे हैं जिनमें इज़राइल और फ्रांस भी शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों से भारतीय सशस्त्र बल भी इनका उपयोग कर रहे हैं।

पुलवामा हमले के बाद 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान स्पेशल फोर्स के जवानों ने इसी भारतीय फर्म से खरीदे गए थर्मल साइट्स का इस्तेमाल किया था। कुछ उत्पाद निगरानी कार्यों के लिए चल रहे लद्दाख गतिरोध के दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात हैं।

Thermal Imaging Binoculars

यह कंपनी दो दर्जन से अधिक देशों में बहु मिशन दृष्टि के लिए दूरबीन समेत अन्य हथियार प्रणालियों का निर्यात करती है। इसकी बहु-मिशन दूरबीन वजन में काफी हल्की हैं और नजदीकी मुकाबले के लिए अधिक ट्यून की गई हैं।

इस उत्पाद की विशिष्टता यह है कि इसे एक ही समय में हेलमेट और हथियार पर लगाया जा सकता है। लगभग 300 ग्राम वजन की दूरबीन बटन के क्लिक के साथ हेलमेट से हटकर तुरंत हथियार पर लग सकती है।

टोंबो इमेजिंग ऐसे सिस्टम बनाने वाली दुनिया की कुछ कंपनियों में से एक है। उनके कुछ उत्पाद निगरानी कार्यों के लिए चल रहे लद्दाख गतिरोध के दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात हैं।

Thermal Imaging Binoculars खरीदने का ऑर्डर बेंगलुरु की टोंबो इमेजिंग कंपनी को दिया

लगभग एक दशक पहले नाटो के साथ संयुक्त अभ्यास के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने इस कंपनी से खरीद शुरू की गई थी क्योंकि अमेरिकी सेना उन हथियारों का इस्तेमाल कर रही थी जिन पर टोनबो सिस्टम लगा हुआ था।

सेना ने आपातकालीन खरीद के तहत 600 Multi Roll Thermal Imaging Binoculars खरीदने का ऑर्डर बेंगलुरु की टोंबो इमेजिंग कंपनी को दिया है, ताकि शहरी युद्ध और सीमाओं पर काम करने वाली अपनी कुछ विशिष्ट इकाइयों की मदद की जा सके। कंपनी के साथ किया गया दूसरा अनुबंध बहु मिशन-दृष्टि के लिए है, जिसे हेलमेट और हथियार पर भी लगाया जा सकता है।

सूत्रों ने यह भी कहा कि यह अनुबंध 100 करोड़ रुपये से अधिक का है और यह खरीद सेना मुख्यालय का इन्फैंट्री निदेशालय कर रहा है, जबकि पहले उत्तरी कमान ने छोटे बैचों में अपने सैनिकों के लिए खरीद की थी।

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अगर इसकी आपूर्ति एक साल के भीतर समय से हो जाती है तो उसके बाद एक बड़ा खरीद आदेश दिया जा सकता है। कंपनी का कहना है कि भारतीय सेना ने जब इस कंपनी से खरीद शुरू की थी तो उसके पहले पांच देश हमारी तकनीक खरीद रहे थे।

कंपनी ने 2012 के आसपास वैश्विक बाजार पर ध्यान केंद्रित किया। अमेरिकी कंपनी डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी के साथ काम करने से उन्हें अमेरिकी बाजार में अपने उत्पादों को जल्दी पहचान दिलाने में मदद मिली।

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