लखनऊ: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को Indian Menopause Society, वाराणसी के ‘दि जॉय आफ ऐजिंग माइंड, बॉडी एण्ड स्पिरिट‘ विषयक 26वें त्रिदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन समारोह को राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित करते हुए कहा कि Menopause प्राकृतिक तौर पर महिलाओं का शारीरिक बदलाव है।
किशोर अवस्था में एक बालिका वयस्क होकर मां बनने की जिस क्षमता को प्राप्त करती है, बढ़ती उम्र में उसी क्षमता का प्राकृतिक तौर पर समाप्त होना ही मेनोपॉज है। Menopause के दौरान महिलाएं अनेक शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजरती हैं। अत्यधिक रक्तस्राव, हार्मोन के बदलाव से कमजोरी, थकान, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन जैसी कई समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। महिलाएं संकोचवश सामाजिक स्तर पर अपनी इन समस्याओं की चर्चा भी नहीं करती हैं।
मेनोपॉज के बारे कॉलेज की छात्राओं को भी बताने की अवश्यकता है
राज्यपाल ने कहा कि वैसे तो यह प्रक्रिया महिलाओं की बढ़ती उम्र में होती है, परन्तु आजकल की व्यस्त जीवनचर्या और खानपान की वजह से कम उम्र की महिलाओं में मेनोपॉज हो जाता है जो कि एक समस्या है।
महिला मेनोपॉज से पूर्व अपने जीवन के 40-45 वर्ष गुजार चुकी होती है। शेष जीवन उसे हार्मोनल परिवर्तन के बाद किस तरह से गुजारना है, इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि अधिकतर सामाजिक स्तर पर मेनोपॉज को उपेक्षित विषय समझा जाता है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए मेनोपॉज का समय और भी दुष्कर है, जहां चिकित्सीय परामर्श के अभाव में बहुत सी ग्रामीण महिलाएं इस दौर से गुजरते समय घातक बीमारियों और संक्रमण से ग्रस्त हो जाती हैं और उन्हें समुचित चिकित्सा सुविधा भी प्राप्त नहीं हो पाती है।
राज्यपाल ने कहा कि मेनोपॉज के बारे कॉलेज की छात्राओं को भी बताने की अवश्यकता है, इससे वे अपने परिवार की 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं का मार्गदर्शन कर सकेंगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में Menopause का एक चैप्टर होना चाहिए और इसकी चर्चा विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में होनी चाहिए।
प्रदेश में चल रहे स्वयं सहायता समूह में लाखों की संख्या में महिलाएं काम कर रही हैं, उसमें अधिकतर महिलाएं 40-60 वर्ष की हैं। चिकित्सक उन्हें जागरूक करने का कार्य करें। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान स्वयं रखना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि महिलाएं बीमारी को कभी भी न छिपाएं और चिकित्सक को अपनी बीमारी के बारे में पूरी जानकारी दें।
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Menopause के संबंध में महिलाओं में जागरूकता जरूरी
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को Menopause के समय अपनी देखभाल, खानपान और आवश्यकता होने पर चिकित्सक से परामर्श लेने के लिए जागरूक किया जाना बेहद जरूरी है। महिलाएं स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर काफी हद तक मेनोपॉज के गम्भीर लक्षणों से बच सकती हैं।
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम एवं भावनात्मक सुधार से भी समस्याओं को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संस्था समाज की बुजुर्ग महिलाओं की सेहत को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। चिकित्सक अपनी सेवाएं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं तक भी पहुंचाएं, क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य की देखभाल और उचित पोषण आदि की जानकारी की बहुत आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हमें जीवन के इस दौर में स्वास्थ्यगत देखभाल के बारे में सोचना है। चिकित्सा के क्षेत्र में विभिन्न विषयों के विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान की सुविधा का अपना एक अलग ही महत्व होता है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि इस अधिवेशन के दौरान इन बिन्दुओं पर चर्चा करने के साथ Menopause को लेकर विश्व में हो रहे नवीनतम शोधों और अध्ययनों पर भी विचार-विमर्श करेंगे, जिसके निश्चय ही सार्थक परिणाम समाज को, विशेषकर बढ़ती उम्र की महिलाओं को मिलेंगे।