शहर के सब्जी बाजारों में इम्यूनिटी बढ़ाने वाले नींबू की मांग बढ़ गई है। सामान्य तौर पर 30 रुपये दर्जन मिलने वाला नींबू इस समय 60 रुपये दर्जन के रेट से बिक रहा है। कोविड की दूसरी लहर में फिर से आम लोगों के भीतर शारीरिक क्षमता बढ़ाने और स्वयं को कोरोना से बचाए रखने में नींबू सहायक है। कोरोना काल में ज्यादातर लोग घरेलू नुस्खों को ही अपना रहे हैं। इसमें नींबू एक कारगर औषधी है। नींबू के रस से लीवर स्वस्थ, कैल्सियम की कमी को पूर्ति तथा स्फूर्ति भी बनी रहती है।
नींबू सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ाने में ही मददगार नहीं है। यह पेट के कीड़ों को खत्म करने, पेट दर्द से आराम, भूख बढ़ाने, पित्त और कफज विकारों को ठीक करने, साथ ही और भी कई रोगों में लाभप्रद है। नींबू विटामिन सी का बेहतर स्रोत है। साथ ही, इसमें विभिन्न विटामिन्स जैसे थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन बी-6, फोलेट और विटामिन-ई की भी मात्रा पायी जाती है।
नींबू के बढ़े रेट का आम जनजीवन पर पड़ रहा असर
लखनऊ के डालीगंज सब्जी बाजार में नींबू विक्रेता संजय ने कहा कि नींबू बाजार में महंगा होने का एक कारण यह भी है कि इस समय ग्रामीण क्षेत्रों से नींबू कम आ रहा है। नींबू की मांग बढ़ी है लेकिन ज्यादातर लोगों को पके हुए पीले नींबू ही पसंद है। इस वक्त हरे नींबू बाजार में आ रहे हैं। जिन्हें आवश्यकता है, वे खरीदकर ले भी जा रहे हैं।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी नम्रता पांडे ने कहा कि नींबू के बढ़े रेट का आम जनजीवन पर असर पड़ रहा होगा लेकिन नींबू के बढ़े रेट के पीछे कालाबाजारी नहीं हो सकती है। नींबू पेड़ से बाजार तक आने में जो भी समय लेता है, उतने ही और वक्त में वह खराब हो जाता है, इसलिए इसकी कालाबाजारी नहीं हो सकती। बढ़े हुए रेट का कारण बाजार में नींबू का कम आना ही है।
उन्होंने कहा कि बाजार में सब्जी के कालाबाजारी पर विभाग नजर रखे हुए हैं। आलू, प्याज और टमाटर पर विशेष रूप से विभागीय नजर है। इसमें और भी जरूरत की सब्जियों पर अपनी पैनी नजर है। नींबू को औषधि के रूप में उपयोग करें। नींबू इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रभावी, संक्रमित विषाणु को नष्ट करने में कारगर है। नींबू के उपयोग से शरीर में ब्लड प्रेशर, शुगर, लीवर को कंट्रोल रखा जा सकता है। इससे पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।
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