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शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का अमेरिका में निधन

नई दिल्ली: भारतीय शास्त्रीय गायक पद्म विभूषण पंडित जसराज का सोमवार को 90 साल की उम्र में अमेरिका के न्यू जर्सी में निधन हो गया। उनके निधन से संगीत जगत से लेकर बॉलीवुड तक सभी शोक में डूब गए हैं। उनका संबंध मेवाती घराने से था। उन्होंने संगीत दुनिया में 80 वर्ष से अधिक बिताए थे और कई प्रमुख पुरस्कार से नवाजे गए थे।

उन्होंने भारत, कनाडा और अमेरिका में भारतीय संगीत सिखाया। उनके कुछ शिष्य नामी संगीतकार भी हैं। जसराज जब चार साल के थे तभी उनके पिता पंडित मोतीराम का निधन हो गया था और उनके बड़े भाई पंडित मणिराम ने उनकी देखभाल की थी। उन्‍होंने 14 वर्ष की आयु में गायक के रूप में प्रशिक्षण शुरू किया। 22 साल की उम्र में उन्‍होंने गायक के रूप में अपना पहला स्‍टेज कन्‍सर्ट किया। गायक पंडित जसराज पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण सहित विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किए गए थे।

शास्त्रीय गायक पंडित जसराज

इतिहास में पंडित जसराज भारत के पहले संगीतकार हैं और दुनिया भर में चौथे संगीतकार हैं, जिनके नाम पर अंतरिक्ष में ग्रहों के नाम रखे गए हैं। नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के खगोलविद और इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने 11 नवम्बर 2006 को खोजे गए एक ग्रह 2006 VP32 (संख्या -300128) को उनके सम्मान में ‘पंडितजसराज’ नाम दिया था।

दलेर मेहंदी ने पंडित जसराज के निधन पर दुख जताया

सिंगर दलेर मेहंदी ने सोशल मीडिया पर उनके निधन पर दुख जताया। दलेर मेहंदी ने ट्विटर पर लिखा-‘हिंदुस्तानी संगीत उस्ताद-पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्म श्री-पंडित जसराज का कुछ देर पहले अमेरिका में निधन हो गया। भारत ने एक और मणि खो दी है, जो सबसे दुर्लभ है।’ 

जसराज ने मशहूर फिल्‍म निर्देशक वी शांताराम की बेटी मधुरा शांताराम से विवाह किया था। मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित जसराज ने पहली बार सन 2008 में फिल्म के एक गीत को अपनी आवाज दी है। विक्रम भट्ट निर्देशित फिल्म 1920 के लिए उन्होंने अपनी जादुई आवाज में एक गाना गाया था। 

सम्मान और पुरस्कार

पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्म श्री, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, मास्टर दीनानाथ मंगेशकर अवार्ड, लता मंगेशकर पुरस्कार, महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार, सुमित्रा चरत राम अवार्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट, मारवाड़ संगीत रत्न पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप, संगीत काला रत्न आदि। 

पढ़ें: संगीत की भावनात्मक मिठास में डूबे रसिक : तानसेन समारोह

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